ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा शुक्रवार, 5 जून को है। इस तिथि पर मांद्य चंद्र ग्रहण रहेगा, इसका धार्मिक असर नहीं होगा। इसीलिए पूर्णिमा से संबंधित सभी पूजन कर्म किए जा सकेंगे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पूर्णिमा पर चंद्र पूरी कलाओं के साथ दिखाई देता है। ये रात पूजन कर्म के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
चंद्र को अर्घ्य चढ़ाएं
पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद चंद्र को चांदी के लोटे से दूध और जल का अर्घ्य अर्पित करें। दूध में मिश्री और चावल मिला लेना चाहिए। ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
देवी लक्ष्मी की पूजा करें
पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में पीली कौड़ियां, गोमती चक्र भी रखें। दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। दूध में केसर मिलाएं और इसके बाद इस दूध को शंख में डालकर अभिषेक करें। महालक्ष्मी को हल्दी की गांठ, इत्र, गुलाब के फूल चढ़ाएं।
हनुमान चालीसा का पाठ करें
हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का या ऊँ नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।