टाटा संस के बोर्ड की बैठक शुक्रवार को, एन. चंद्रसेकरन कुछ कंपनियों की बिजनेस स्ट्रेटेजी में व्यापक फेरबदल कर सकते हैं

Posted By: Himmat Jaithwar
6/5/2020

मुंबई. टाटा संस के बोर्ड की बैठक शुक्रवार को होनी है। खबर है कि कंपनी के चेयरमैन एन. चंद्रसेकरन टाटा समूह की बिजनेस रणनीति में व्यापक फेरबदल कर सकते हैं। चेयरमैन के रूप में उनका चौथा साल चल रहा है। वे समूह को परेशान कर रही समस्याओं का समाधन खोजने पर चर्चा करेंगे।

टाटा स्टील, टाटा मोटर्स जेएलआर और टाटा पावर पर होगा फोकस

टाटा स्टील यूरोप, टाटा मोटर्स जेएलआर और टाटा पावर के कारण पूरे ग्रुप के प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि चंद्रसेकरन इन कंपनियों के लिए नई रणनीति अमल में ला सकते हैं। वे मेडिकल डिवाइसेस और डिजिटल जैसे भविष्य के बिजनेस के लिए पूंजी खर्च करने पर जोर दे सकते हैं।वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा होनेवाली इस बोर्ड की बैठक का काफी महत्व है। कारण कि कोविड 2019 की महामारी के बाद किस तरह रास्ता बनाया जाए, इस पर बैठक में चर्चा होगी।

कुछ कंपनियों के पैसे जुटाने की योजना पर मंजूरी ली जाएगी

बैठक में टाटा मोटर्स और जेएलआर द्वारा ज्यादा पैसा जुटाने की योजनाओं पर भी मंजूरी ली जाएगी। वित्त वर्ष 2017 और वित्त वर्ष 2019 के बीच टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा पावर ने संयुक्त रूप से 74,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। वित्त वर्ष 2018 की शुरुआत से टाटा संस ने ग्रुप की कंपनियों में ग्रोथ कैपिटल के रूप में 20,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। हाल के समय में देखें तो 19 फरवरी से टाटा ग्रुप का शेयर घटा है और औसतन इसमें 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।

टाटा समूह की कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन घटा

कोरोना की महामारी के कारण शेयरों में बिकवाली से टाटा समूह की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.5 लाख करोड़ रुपए घटकर 10.57 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (टीसीएस) का मार्केट कैपिटलाइजेशन जहां 59,000 करोड़ रुपए घटा है, वहीं टाइटन का मार्केट कैप 30 हजार करोड़ रुपए घट गया है। इसी तरह टाटा मोटर्स के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 22,000 करोड़ रुपए की कमी आई है।

ग्रुप की कुल 28 लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में 19 फरवरी से 25 से 45 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। ऐसी स्थिति में एन. चंद्रसेकरन के जिम्मे लिक्विडिटी को सुरक्षित रख कर ग्रुप की कंपनियों को वृद्धि के रास्ते पर आगे ले जाने की भी चुनौती है।



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