भारत में नर्सों को सिस्टर क्यों कहते हैं, परंपरा या कुछ और

Posted By: Himmat Jaithwar
5/12/2020

दिनांक 12 मई 2020 को इंटरनेशनल नर्सेज डे मनाया जाता है। 'लेडी बिथ द लैम्प' के नाम से पहचानी जाने वाली आधुनिक नर्सिंग की जननी 'फ्लोरेंस नाइटिंगेल' की याद में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। भारत में नर्स को सिस्टर कहा जाता है। सवाल यह है कि नर्स को सिस्टर क्यों कहा जाता है। क्या यह एक भारतीय परंपरा है या फिर कुछ और, आइए जानते हैं:-

नर्सिंग को हिंदी में परिचर्या कहा जाता है। भारत में नर्सिंग की शुरुआत 1000 ईसा पूर्व का वर्णन मिलता है। आधुनिक भारत में नर्सिंग कोर्स यानी परिचर्या के प्रथम शिक्षणालय (इंस्टीट्यूट) मद्रास में सन 1854 में और बंबई में 1860 में खुले। 1855 में लेडी डफ़रिन फ़ंड की स्थापना हुई थी, जिसकी सहायता से कई अस्पतालों के साथ परिचर्या के शिक्षणालय खोले गए और उनमें भारत की स्त्री नर्सों के प्रशिक्षण का श्रीगणेश हुआ। 

अब तो देश के प्राय: सभी बड़े अस्पतालों में नर्सों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है, जिनके द्वारा सामान्य परिचर्या में डिप्लोमा की भी व्यवस्था है। परिचर्या महाविद्यालयों में स्नातकों को बीएससी की उपाधि दी जाती है। जिस प्रकार MBBS डॉक्टर कुछ विशेष कोर्स करके स्पेशलिस्ट बन जाता है उसी प्रकार नर्सिंग में ग्रेजुएशन के बाद मेट्रनों (उ माता) और सिस्टर (उ बहन) अनुशिक्षकों को वार्डनों के संबंध में संक्षिप्त शिक्षा (रिफ़्रेशर कोर्स) किए जाते हैं। यानी मेट्रनों और सिस्टर का संबोधन भारत की परंपरा नहीं है बल्कि 2 डिग्री ओं का नाम है। इससे पता चलता है कि नर्स ने विशेष रिफ्रेशर कोर्स कर रखा है।



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