कर्नाटक के हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया। बड़ी खबर यह रही है कि दोनों जजों की राय अलग-अलग है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने जहां कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन किया, वहीं दूसरे जज न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने इसके खिलाफ फैसला दिया। इस तरह अब यह मामला अब चीफ जस्टिस के पाले में चल गई है। अब सीजेआई तय करेंगे कि मामलों को तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाए या पांच जजों की बेंच के पास।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के पक्ष में फैसला दिया। उनका मानना है कि स्कूल या कॉलेज में कोई कुछ भी पहनकर नहीं जा सकता है। वहीं न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने बैन के फैसले का विरोध किया। उनका कहना है कि इस मामले को कर्नाटक हाई कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता के हिसाब से देखा, जबकि ऐसा नहीं किया जाना था। वहीं उनकी एक और बड़ी दलील यह भी थी कि देश में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति खराब है। यदि लड़कियां इस कारण स्कूल नहीं जा सकेंगी तो वो नहीं पढ़ेंगी या मदरसों का रुख करेंगी।
क्या कहा जस्टिस हेमंत गुप्ता में
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सभी 26 अपीलों को खारिज कर दिया। उनका मत है कि हिजाब इस्लाम का एक अनिवार्य अभ्यास नहीं है और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध सही है। उन्होंने अपील के खिलाफ 11 प्रश्नों को तैयार किया है और उन सभी का उत्तर दिया है।
हाई कोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया : जस्टिस सुधांशु धूलिया
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इस आधार पर फैसला किया कि इस्लाम में हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, जबकि यह तर्क इस विवाद के लिए आवश्यक नहीं है। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने गलत रास्ता अपनाया। यह अंततः पसंद का मामला है और अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का मामला है। इससे कुछ ज्यादा नहीं, कुछ कम नहीं।'
जानिए अब तक क्या हुआ
देश की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले पर पूरे देश की नजर थी, क्योंकि इसका असर सिर्फ कर्नाटक नहीं, पूरे देश पर देखने को मिलेगा। मामला शिक्षण संस्थानों में बुर्का या हिजाब पहनने पर है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस पर बैन लगाया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कई दौर की सुनवाइयों के बाद पिछली सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 10 दिन चली सुनवाई में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी। आखिरी सुनवाई 22 सितंबर को हुई थी और कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मुस्लिम छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी जिसमें कहा गया था कि कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध सही और इस्लाम में हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने सिख प्रथाओं के साथ तुलना, अनिवार्यता की परीक्षा, पोशाक के अधिकार और शिक्षा के अधिकार के मुद्दे पर तर्क प्रस्तुत किए। वहीं राज्य सरकार की ओर से यह कहते हुए प्रतिबंध को उचित ठहराया गया कि यह धार्मिक रूप से तटस्थ फैसला है।