रायपुर। छत्तीसगढ़ में सवा साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने हारी हुई विधानसभा सीट पर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने एक-एक सीट पर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया। कार्यकर्ताओं की नाराजगी और विकास कार्यों की स्थिति के बारे में फीडबैक लिया। साथ ही चुनाव लड़ने के योग्य दावेदारों की भी तलाश की। प्रदेश की 14 विधानसभा सीट पर भाजपा, तीन पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और दो पर बसपा विधायक हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि हारी सीट पर जीत दर्ज करे।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पार्टी की सबसे कमजोर स्थिति बिलासपुर संभाग में है। यही कारण है कि प्रभारी पुनिया और अध्यक्ष मरकाम ने बिलासपुर की हारी सीट से समीक्षा शुरू की। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो बिलासपुर संभाग में संघ प्रभावी भूमिका में है। इसके कारण कांग्रेस की लहर की बावजूद संभाग की बिल्हा, जांजगीर-चांपा, बेलतरा, मस्तुरी में भाजपा को जीत मिली। वहीं जैजेपुर और पामगढ़ में बसपा और कोंटा में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की रेणु जोगी विधायक हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि बिलासपुर संभाग की हारी सीटों पर जीत दर्ज करे। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो भाजपा ने अपने प्रदेश संगठन में जो बदलाव किया है, उसमें मैदानी क्षेत्र के नेताओं को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। भाजपा भी मैदानी क्षेत्रों में ताकत लगा रही है, जिसके कारण कांग्रेस को अपनी जीती सीट के साथ मैदानी क्षेत्र की हारी सीट पर मशक्कत करनी पड़ रही है।
भाजपा के साथ बसपा भी दे रही चुनौती
बिलासपुर संभाग की सीट पर कांग्रेस को भाजपा के साथ-साथ बसपा भी चुनौती दे रहा है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने मस्तुरी में 29 प्रतिशत, अकलतरा में 38, जांजगीर-चांपा में 23, चंद्रपुर में 29, जैजेपुर में 41, पामगढ़ में 36 प्रतिशत वोट पाए। इसमें सिर्फ चंद्रपुर सीट पर कांग्रेस को जीत मिली, बाकी सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हार गए। चंद्रपुर में कांग्रेस ने बसपा के बागी रामकुमार यादव को उम्मीदवार बनाया था।