दिल्ली में एक महीने में तीसरी बार भूकंप, रिक्टर स्केल पर 3.4 रही तीव्रता

Posted By: Himmat Jaithwar
5/10/2020

नई दिल्ली. कोरोनावायरस के संकट के बीच दिल्ली में एक महीने में तीसरी बार भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप दोपहर एक बजकर 14 मिनट पर आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 आंकी गई। 

भूकंप का केंद्र जमीन में पांच किलोमीटर की गहराई पर था। लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग अपने घरों में ही थे, ऐसे में सबने झटके महसूस किए। भूकंप की तीव्रता बहुत कम होने की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ। 

12 और 13 अप्रैल को भी आया था भूकंप
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में 12 अप्रैल और 13 अप्रैल को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 12 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में शाम 5.45 बजे  के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए। तब इसकी तीव्रता 3.5 मैग्नीट्‌यूड दर्ज की गई है। वहीं 13 अप्रैल को आए भूकंप की तीव्रता 2.9 मैग्नीट्यूड मापी गई थी।

6 की तीव्रता वाला भूकंप खतरनाक
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। डॉ. अरुण ने बताया कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है। 

वैज्ञानिक डॉ. अरुण बताते हैं कि धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है। ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं। जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है। 

दिल्ली-एनसीआर में हैं तीन फॉल्ट लाइन
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में तीन फॉल्ट लाइन हैं। जहां फॉल्ट लाइन होती है, वहीं पर भूकंप का एपीसेंटर बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और सोहना फॉल्ट लाइन मौजूद है। दरअसल, जिस पूर्वी दिल्ली में भूकंप के केंद्र था। वहां पर तीन इलाके नुकसान के लिहाज से बहुत खतरनाक हैं। 80 भू-वैज्ञानिकों की टीम ने इस बारे में एक रिपोर्ट तैयार की है। इन इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं। इसके साथ ही चिंता की बात यह भी है कि पूर्वी दिल्ली का इलाका यमुना खादर में बसा हुआ है। यहां यमुना नदी के पास वाली मिट्टी डाली गई है। इसलिए यहां की मिट्‌टी बहुत ढीली है। 



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