चीतों की आबादी बढ़ाने के लिए नामीबिया से लाकर 8 चीतों को मध्य प्रदेश के जंगलों में छोड़ने की मोदी सरकार की पहली की सबदूर तारीफ हो रही है। इस बीच, नामीबिया से चीतों को भारत तक लाने में अहम भूमिका निभाने वालीं लॉरी मार्कर (कार्यकारी निदेशक, चीता संरक्षण कोष) ने अच्छी खबर सुनाई है। लॉरी मार्कर के मुताबिक, आने वाले दिनों में भारत और भी चीतें लाए जाएंगे। ये चीते न केवल नामीबिया, बल्कि दक्षिण अफ्रीका से लाए जाएंगे। इसके लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच वार्ता चल रही है। लॉरी मार्कर ने इस बात पर चिंता जताई कि दुनिया में चीतों की संख्या लगातार घट रही है।
भारत में लाने होंगे और चीते, तभी बढ़ेगी आबादी
लॉरी मार्कर के मुताबिक, चीतों की यह प्रजाति इतनी है कि पुन: प्रजनन के लिए उपयोग की जा सकती है। भारत में यदि चीतों की आबादी बढ़ाना है तो हमें और चीते लाने होंगे।
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर भारत में नामीबिया से 8 चीते लाए गए हैं। विशेष विमान के जरिए नामीबिया से पहले जयपुर और फिर वायु सेना के हेलिकॉप्टर से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाए गए। खुद प्रधानमंत्री इस मौके पर पर कूनो अभयारण्य पहुंचे और चीतों की जंगल में छोड़ा। अब इन चीतों पर नजर रखी जा रही है। शिकारियों से बचाने के लिए विशेष प्रबंधन किए गए हैं।
नामीबिया से चीतों को लाने के इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर काम करने वालों में उत्साह है। आने वाले दिनों में और चीतों को लाने की मांग उठ सकती है। नामीबिया के बारे में कहा जा रहा है कि उसने भारत को चीते देने का फैसला यूं ही नहीं लिया। फैसला लेने से पहले उसने भारत में वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर पिछले वर्षों का ट्रैक रिकार्ड भी देखा। इस दौरान देश में न सिर्फ वन्यजीवों के संरक्षित क्षेत्रों में बढ़ोतरी हुई, बल्कि बाघ, शेर, तेंदुआ और हाथी जैसे वन्यजीवों की संख्या में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।