नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कोरोना वायरस के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर नया बयान दिया है। आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात अप्रैल के अनुमान से ज्यादा खराब होंगे। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के वित्तीय बाजारों को ज्यादा झटके झेलने होंगे।
विकासशील देशों पर पड़ेगा ज्यादा असर
गुरुवार को काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की वेबकास्ट में बोलते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि विकासशील देशों पर कोरोना का ज्यादा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को अपनी वित्तीय जरूरत पूरी करने के लिए बाहरी बाजार से 2.5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की राशि जुटानी होगी।
वित्तीय मदद की जरूरत को लेकर संकोच ना करें विकासशील देश
गीता गोपीनाथ ने कहा कि विकासशील देशों को 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अपने मौजूदा लैंडिंग रिसोर्सेज से जुटानी चाहिए। साथ ही उन्हें कितनी वित्तीय मदद चाहिए, यह बताने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संकट जल्द जाने वाला नहीं है। चीजें काफी खराब हो गई हैं। स्वास्थ्य संकट का अभी समाधान नहीं हुआ है।
वैश्विक जीडीपी में 3% की गिरावट का अनुमान जताया था
आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने 14 अप्रैल को कहा था कि यह ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया। इस महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महामंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। वैश्विक जीडीपी में 3% की गिरावट आ सकती है।
टीका या दवा के विकास में देरी हुई तो और खराब हालात होंगे
जॉर्जीवा ने कहा कि तीन महीने पहले हमारा आंकलन था कि हमारे सदस्य देशों में से 160 देशों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी, लेकिन अब 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय में गिरावट की आशंका है। यह इतिहास में पहला मौका है जब विशेषज्ञ आईएमएफ को बता रहे हैं कि यह वायरस लंबे समय तक कहर ढाता रहा या टीका और दवा के विकास में देरी हुई तो हालात और खराब हो सकते हैं।