लॉकडाउन के बाद केंद्र शहरों की सार्वजनिक परिवहन सेवा को ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) मॉडल की राह पर चलाने की कवायद शुरू करेगी। सरकार इससे संबंधित दिशा-निर्देश बना रही है, जिससे देश में टीएफएल मॉडल को लेकर एक नीति लागू की जा सके। इस फैसले से लोगों को सस्ती, सुगम व आरामदेह सार्वजनिक परिवहन सेवा मिल सकेगी। वहीं, कोरोना के माहौल में मानव संपर्क कम होगा।
सेवा में सुधार के प्रयास
अधिकारी ने बताया कि एक डबल डेकर बस कार से 20 गुना अधिक यात्री ढोती है। यह मेट्रो, ट्रेन व दूसरे सार्वजनिक परिहवन से कई गुना बेहतर सेवा है। देश में 22 फीसदी की रफ्तार से वाहन बढ़ रहे हैं। शहरों में यातायात कंजेशन, वायु प्रदूषण व सड़क दुर्घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसको देखते हुए नितिन गडकरी सार्वजनिक परिवहन सेवा में सुधार लागू करने के लिए प्रयासरत हैं।
टीएफएल और मंत्रालय के बीच एमओयू
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गत दिवस देश के सार्वजनिक परिवहन सेवा में टीएफएल मॉडल शुरू करने की बात कही है। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 11 जनवरी 2018 को टीएफएल और सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के बीच में एमओयू किया जा चुका है। इसके तहत शहरी क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट नीति, योजनाएं, तकनीक हस्तांतरण, संस्थागत ढांचा तैयार किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि मंत्रालय टीएफएल मॉडल के दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है, जिससे लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सुझाव के लिए राज्यों को जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि दिशा-निर्देश में प्रमुख रूप से राज्यों में लंदन की तर्ज पर सार्वजनिक परिवहन में सुधार के लिए फ्रेंचाइजी मॉडल शुरू किया जाएगा। यह मॉडल लंदन में पूरी तरह से सफल साबित हुआ है।
ऑनलाइन टिकट खरीदने की सुविधा
लंदन में सार्वजनिक परिवहन में बसें टीएफएल की हैं, लेकिन उनका परिचालन व रख-रखाव निजी कंपनियां करती है। टीएफएल ने बसों के डिजाइन, सेवापरक गुणवत्ता, सुरक्षा, ईंधन आदि के लिए कड़े मापदंड बना रखे हैं। निजी ऑपरेटरों को उक्त मापदंडों का पालन करना अनिवार्य है। टीएफल ने समूची सार्वजनिक परिवहन सेवा को जीपीएस से जोड़ रखा है। इससे यात्रियों को प्रत्येक 30 सेकेंड पर बस की जानकारी मिलती है और ऑनलाइन टिकट खरीदने की सुविधा है। जीपीएस के जरिए टीएफएल बस परिचालन पर कड़ी निगरानी करता है। बसों के लिए एक लेन समर्पित है, जिससे वह तय समय पर पहुंचती हैं। बसों का किराया टीएफएल तय करता है और इस मद में मिलने वाले राजस्व का निजी कंपनियों के साथ हिस्सेदारी दी जाती है।