एक दिन किन्नर नूरी कंवर को एक घर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब उन्होंने जाकर पूछा तो पता चला कि एक मां अपने 5-6 साल के बेटे को इसलिए मार रही है, क्योंकि वह खाना मांग रहा था और घर में खाने के लिए कुछ नहीं है। यह दृश्य देख नूरी ने निर्णय लिया कि वह अपनी क्षमता अनुसार लोगों की मदद करेंगी।
700 गरीब परिवारों को दिया खाना
गुजरात के बड़ौदा शहर में रहने वाली नूरी ने लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान अपने घर के आसपास रह रही किन्नर सदस्यों के घर में दाल, आटा, चावल, शक्कर, तेल, मसाले आदि पहुंचाए थे। इसके अलावा नूरी के शिष्यों ने 700 गरीब परिवारों के घरों में पका खाना भी पहुंचाया। इतना ही नहीं नूरी ने स्थानीय बस्ती और झुग्गी के लोगों को अपना और अपनी बहनों का फोन नंबर देते हुए कहा कि जब भी उनके घर में खाना खत्म हो जाए, तो इसकी जानकारी दें।
सोने के हार रखा गिरवी
सभी मांगलिक कार्य और ट्रेन आदि बंद होने की वजह से किन्नर समाज की किसी भी तरह की आमदनी नहीं हो पा रही है। लेकिन इसके बाद भी बड़ौदा का यह समुदाय जरूरतमंदों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। नूरी बताती हैं कि उन्होंने लोगों के घरों तक खाना पहुंचाने के लिए अपने सोने के गहने गिरवी रख दिए। कई सालों से पैसे बचाकर अपने लिए एक हार बनवाया था, जिसे गिरवी रख दिया। वह कहती है कि हार बनवाया तो बहुत मन से था, लेकिन अभी पूरा जीवन पड़ा है छुड़वा लूंगी, लेकिन फिलहाल लोगों को भूखा मरने से बचाना है।
सोशल
डिस्टेंसिंग का रख रहे ध्यान
पास और परमिशन के साथ रिक्शे के जरिए समुदाय ने जरूरतमंद लोगों का चयन कर शुरू के कुछ दिन पका हुआ खाना बांटा। इसके बाद अब राशन के पैकेट करीब 1000 लोगों के घरों तक पहुंचा चुके हैं। राशन बांटते समय सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए यह किन्नर गलियों में पहुंचकर जोर- जोर से बोलते हैं- सब अपने घरों के अंदर ही रहे हम सामान दरवाजों पर रख देंगे, ताकि संक्रमण का खतरा ना हो। देशभर में जारी लॉकडाउन का असर देश के ट्रांसजेंडर समुदाय पर भी देखने को मिल रहा है, लेकिन बावजूद इसके ऐसे दौर में बड़ौदा का किन्नर समुदाय इस संकट काल में शहर के जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आया हैं।