नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को गुट निरपेक्ष (NAM) देशों के वर्चुअल समिट को संबोधित किया. गुट निरपेक्ष देशों का ये सम्मेलन अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव की कोशिशों के बाद आयोजित किया गया. इस समिट में कोरोना संकट पर चर्चा रही, जिससे भारत समेत दुनियाभर के तमाम देश जूझ रहे हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का भी जिक्र किया और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग आतंक का जानलेवा वायरस, फर्जी खबरें और फर्जी वीडियो फैलाने में लगे हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट ने विश्व को वर्तमान अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की सीमाओं से परिचित करा दिया है और पारदर्शिता, समानता और मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है. मानवता पिछले कई दशकों के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है और गुट निरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) के सदस्य देश वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित करने में सहायता कर सकते हैं क्योंकि वे विश्व की सबसे नैतिक आवाज हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा. यह करीब 120 विकासशील देशों का मंच है. उन्होंने कहा कि महामारी से मुकाबला करने के दौरान भारत ने यह दिखाया है कि लोकतंत्र, अनुशासन और निर्णायक क्षमता किस तरह से एक साथ मिलकर सच्चे जनांदोलन का रूप ले लेते हैं. गुट निरपेक्ष देश हमेशा विश्व का नैतिक स्वर रहे हैं और इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा. 30 देशों के प्रमुख ने लिया हिस्सा इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में एशिया, अफ्रीका, लातिन अमेरिका , कैरेबिया और यूरोप के सदस्य देशों के 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और शासन प्रमुखों तथा अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी ने नैम कॉन्टैक्ट ग्रुप के सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारत के संस्थापक सदस्यों में शामिल होने के नाते इस संगठन के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया. भारत ने 20 देशों को दवा भेज की मदद प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संकट को देखते हुए घरेलू जरूरतों के बावजूद भारत ने करीब 120 देशों को दवा की आपूर्ति की जिनमें 59 गुट निरपेक्ष देश शामिल हैं. भारत की सभ्यता पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप मे देखती है. हम अपने नागरिकों की देखभाल करने के साथ ही अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ा रहे है....भारत को दुनिया के औषधालय के तौर पर देखा जाता है,खासतौर पर किफायती दवाइयों के लिए. कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद दुनिया को वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी. हमें ऐसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है जो आज के विश्व का बेहतर ढंग से प्रतिनिधित्व कर सकें. हमें केवल आर्थिक उन्नति ही नहीं बल्कि मानव कल्याण को भी प्रोत्साहित करना है. भारत ने लंबे समय तक इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है. इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिज्जानी मोहम्मद बांदे, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष मूसा फाकी महामत, ईयू के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल आदि ने संबोधित किया. सम्मेलन के बाद नेताओं ने एक घोषणा पत्र स्वीकार किया जिसमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत को रेखांकित किया गया. विदेश मंत्रालय ने बताया कि नेताओं ने सदस्य देशों की जरूरतों का पता लगाने के लिए ‘कार्य बल’ के गठन की घोषणा की