महाराष्ट्र विधानसभा परिषद की 9 सीटों पर चुनाव 21 मई को, मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने का खतरा टला

Posted By: Himmat Jaithwar
5/1/2020

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव 21 मई को होंगे। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को यह घोषणा की। इसके पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की गुरुवार को चुनाव करवाने की सिफारिश आयोग से की थी। सभी 9 सभी सीटें 24 अप्रैल को खाली हुई थीं। 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। वे न विधानासभा के और न विधान परिषद के सदस्य हैं। उनका छह महीने का कार्यकाल 28 मई को खत्म हो रहा है। इस लिहाज से उनकी कुर्सी को खतरा था। दरअसल, ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, वे अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। संविधान के मुताबिक- उन्हें छह महीने में विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी, अगर ऐसा नहीं होगा तो पद छोड़ना पड़ता। उद्धव ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी।


कैबिनेट ने दो बार उद्धव  को मनोनीत करने का प्रस्ताव भेजा था
राज्यपाल ने चुनाव आयोग से विधान परिषद के चुनाव कराने की सिफारिश गुरुवार को की। इसके पहले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने दो बार प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल से सिफारिश की थी कि वह उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर दें। लेकिन, राज्यपाल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उद्धव ठाकरे को गवर्नर के मनोनीत कोटे से विधान परिषद का सदस्य बनाने के लिए कैबिनेट ने राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा था। राज्य में इससे पहले दत्ता मेघे और दयानंद महास्के को भी मंत्री बनने के बाद राज्यपाल विधान परिषद के लिए मनोनीत कर चुके हैं।

विधान परिषद में ये निर्वाचित सदस्य

  • महाराष्ट्र विधान परिषद में कुल 78 सीटें हैं। इनमें से 66 सीटों पर निर्वाचन होता है, जबकि 12 सीट राज्यपाल कोटे से मनोनीत की जाती हैं।
  • 30 सदस्यों को विधानसभा के सदस्य यानी एमएलए चुनते हैं। 7-7 सदस्य स्नातक निर्वाचन और शिक्षक कोटे के तहत चुने जाते हैं। इनमें राज्य के सात डिविजन मुंबई, अमरावती, नासिक, औरंगाबाद, कोंकण, नागपुर और पुणे डिविजन से एक-एक सीट होती है। 22 सदस्य स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत चुने जाते हैं।

उद्धव से पहले 7 नेता बिना चुनाव जीते मुख्यमंत्री बने

  • आर अंतुले पहले ऐसे नेता थे। जून 1980 में मुख्यमंत्री बने। बाद में विधान परिषद के सदस्य बने।
  • वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।
  • शिवाजीराव निलंगेकर-पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त पाटिल किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • शंकरराव चव्हाण मार्च 1986 में मुख्यमंत्री बने। उस वक्त वे केंद्रीय मंत्री थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।
  • 1993 में मुंबई दंगे की वजह से सुधाकरराव नाइक मुख्यमंत्री पद से हट गए। तब शरद पवार को मुख्यमंत्री बनाया। वे नरसिंह राव सरकार में रक्षा मंत्री थे।  बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • सुशील कुमार शिंदे  2003 में मुख्यमंत्री बने। तब वे किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में वो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • 2010 में पृथ्वीराज चव्हाण ने मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर सीएम पद की शपथ ली थी। बाद में विधान परिषद सदस्य बने। 



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