नई दिल्ली. कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए भारत में चल रहे 40 दिन के लॉकडाउन ने पेट्रोल-डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटा दी है। इसके कारण पेट्रोलियम उद्योग से जुड़ी सरकार की टैक्स आय कम हो रही है। पेट्र्रोल उद्योग से सरकार को जो राजस्व मिलता है, वह बजट आय में 20 फीसदी का योगदान करता है। केयर रेटिंग्स के अर्थशास्त्री मदन सबनविस के मुताबिक, अप्रैल में ईंधन उत्पादों की खपत में कम से कम 80 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके कारण सरकार को पेट्रोलियम उद्योग से होने वाली आय में 40 हज़ार करोड़ रुपये (5.3 अरब डॉलर) का नुकसान होगा। इसका मतलब है कि लॉकडाउन ने सरकार को अप्रैल में हर दिन तेल राजस्व में 17.5 करोड़ डॉलर की चपत लगाई है।
लॉकडाउन में पूरे महीने देश की पूरी आबादी कमोबेश घरों में ही रही
लॉकडाउन के कारण इस महीने देश के करीब 130 करोड़ लोग मोटे तौर पर अपने-अपने घरों में ही बंद रहे। उन्होंने वाहनों का उपयोग न के बराबर किया। इस दौरान उद्योग-धंधे भी बंद रहे। इसके साथ ही अंतरराष्ट्र्रीय बाजार में क्रूड की कीमत में भी भारी गिरावट आई। इससे ईंधन उत्पादों व घरेलू क्रूड उत्पादन से मिलने वाले टैक्स में और कमी आई। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ईंधन उपभोक्ता बाजार है।
क्रूड की कीमत घटने से भी सरकार की टैक्स आय घटी
सबनवीस ने कहा कि कच्चे तेल की कम कीमत सरकार के लिए चिंता की बात है, क्योंकि इसके कारण टैक्स से प्राप्त होने वाला राजस्व घट जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके कारण सरकारी अधिकारियों के लिए तेल रिफाइनरी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को बेचना भी मुश्किल हो जाएगा। सरकार ने इस साल इस कंपनी के विनिवेश की योजना बना रखी है।
पेट्रोलियम सेक्टर ने गत साल अप्रैल-दिसंबर में सरकार को 3.8 लाख करोड़ रुपए के टैक्स व डिविडेंट दिए
भारत में पेट्र्रोल पंप पर पेट्रोल और डीजल जैसे प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादों की जितनी कीमत होती है, उसका आधा से अधिक हिस्सा टैक्स होता है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) जैसी सरकारी कंपनियों के कब्जे वाले पेट्रोलियम सेक्टर ने पिछले साल अप्रैल-दिसंबर के दौरान टैक्स व डिविडेंड के जरिये केंद्र व राज्यों को कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। तेल उत्पादकों की आय कम होने से सरकार को डिविडेंड का भुगतान करने की उनकी क्षमता भी कम हो जाएगी। गौरतलब है कि सिटी ग्रुप इंक का अनुमान है कि सरकार का राजकोषीय घाटा इस साल GDP के 8 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जबकि बजट में सरकार ने 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय किया है।