कोलकाता. पश्चिम बंगाल में आखिरकार ममता बनर्जी की सरकार ने मान लिया कि प्रदेश में 105 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसमें 33 लोगों की मौत कोरोना के चलते हुई है, जबकि जान गंवाने वाले 72 संक्रमित ऐसे थे, जिन्हें पहले से दूसरी गंभीर बीमारियां भी थीं। सिन्हा ने कहा कि ऐसे में उन्हें कोरोना से हुई मौतों की सूची में नहीं जोड़ा गया है। बता दें कि इसको लेकर केंद्र सरकार और कांग्रेस ने ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। दोनों ने ममता बनर्जी पर संक्रमितों की संख्या और मौतों का आंकड़ां छिपाने का आरोप लगाया था।
जांच टीम भेजने पर केंद्र और ममता सरकार में टकराव हुआ
केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण से उपजे हालात का जायजा लेने के लिए इंटर-मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम (आईएमसीटी) भेजी थी। ममता बनर्जी इससे नाराज हो गई थीं। उन्होंने केंद्र सरकार पर कोरोना की राजनीति करने का आरोप लगाया था। वहीं केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी पर संक्रमितों और मौतों का आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया था। केंद्रीय राज्य मंत्री देबश्री चौधरी ने कहा- ममता संक्रमण की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहीं हैं। सच्चाई छिपा रही हैं। सच सामने आया तो बौखलाने लगीं।
आईएमसीटी ने पूछा- मौतों का कारण कैसे तय किया? जवाब मिला डॉक्टर्स की टीम ने बताया
बीते शुक्रवार को आईएमसीटी ने निरीक्षण के बाद बंगाल के मुख्य सचिव से कई गंभीर सवालों के जवाब मांगे थे। मुख्य सचिव से पूछा था कि राज्य में मौतें कोरोना से हुई हैं, यह बात तय करने के लिए डॉक्टरों की कमेटी ने किस प्रणाली का इस्तेमाल किया। जो भी प्रणाली इस्तेमाल की गई, क्या वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईएमसीआर) की गाइडलाइन के हिसाब से सही है।
आईएमसीटी ने ममता सरकार को टेस्टिंग बढ़ाने का सुझाव दिया था
आईएमसीटी ने यह भी कहा- कोलकाता में टेस्ट नतीजों के लिए कुछ मरीजों को 5 दिन से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है। आपको रोजाना 2500 से 5000 तक टेस्ट करने चाहिए। आईएमसीटी के मुताबिक, राज्य सरकार को 4 पत्र लिखे जा चुके हैं। लेकिन, वहां से अब तक कोविड-19 अस्पतालों, क्वारैंटाइन सेंटर और कंटेनमेंट जोन की सटीक जानकारी नहीं दी गई। इसका जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि मौतों का कारण डॉक्टर्स की टीम ने तय किया है। यही नहीं प्रदेश सरकार ने उल्टे केंद्र सरकार से पूछ लिया कि अगर कोई संक्रमित सड़क हादसे में मारा जाएगा तो क्या उसे बीमारी के चलते मौत मानी जाएगी? आरोप लगाया कि आईएमसीटी के पास मौतों का स्पष्ट कारण जानने का कोई सटीक तरीका नहीं है।