सीजेआई बोबडे ने कहा- अपराध कम हुए; सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में रोज 205 केस आते थे, अप्रैल में कुल 305 मामले दर्ज हुए

Posted By: Himmat Jaithwar
4/28/2020

नई दिल्ली. कोरोना के हालातों पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे का कहना है कि शीर्ष अदालतों के जज आराम नहीं कर रहे बल्कि, मामलों को निपटा रहे हैं। हम साल में 210 दिन काम करते हैं। हालांकि, अदालतों में दायर होने वाले मुकदमों का दबाव कम हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में हर दिन 205 केस दर्ज हो रहे थे लेकिन, अप्रैल में ई-फाइलिंग के जरिए अभी तक कुल 305 केस ही आए। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि घटनाएं नहीं हो रहीं। चोरी के केस नहीं हो रहे, अपराधों में कमी आई है। पुलिस कार्रवाई भी कम हुई है।
संकट के समय संसद, अदालत में तालमेल जरूरी: सीजेआई
बोबडे का कहना है आपदा या महामारी को संभालने में अधिकारी सक्षम हैं। कोरोना संकट से न्यायपालिका कैसे निपट रही है, इस मुद्दे पर सोमवार को प्रेस से बातचीत में सीजेआई ने इंसान, धन और जरूरी वस्तुओं की प्राथमिकता तय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संकट के समय संसद, प्रशासन और न्यायपालिका को तालमेल से काम करना चाहिए।
'सरकार को जरूरतमंदों के रहने-खाने की व्यवस्था के निर्देश दिए'
जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की भूमिका पर सीजेआई ने कहा- इसमें कोई शक नहीं कि प्रशासन को लोगों की जान जोखिम में डालने की छूट नहीं दी जा सकती। जब कभी ऐसा हुआ तो अदालत दखल देगी। हमने सरकार से कहा है कि जरूरतमंदों को रहने-खाने और काउंसलिंग की सुविधा दी जाए।
'प्रवासी मजदूरों के मामले में जो भी संभव था किया'
कोरोना संकट के दौरान सरकार की लाइन पर चलने के आरोपों पर सीजेआई ने कहा कि कोरोना के सभी मामलों में सरकार से पूछ चुके हैं कि अभी तक क्या कदम उठाए गए? प्रवासी मजदूरों के मामलों में खास तौर से जानकारी मांगी गई थी। यह विचाराधीन मामला है लेकिन, जो भी संभव था हमने किया।
'वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अदालतों की जगह नहीं ले सकती'
अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई पर सीजेआई का कहना है कि संकट के इस समय में सुप्रीम कोर्ट से जो भी बन रहा है वह किया जा रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मौजूदा हालात को देखते हुए एक विकल्प है लेकिन, यह व्यवस्था अदालतों को रिप्लेस नहीं कर सकती।



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