16 लाख से अधिक राज्य कर्मियों, शिक्षकों के DA व पेंशनर्स के DR में इजाफे पर रोक

Posted By: Himmat Jaithwar
4/25/2020

लखनऊ। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने में केंद्र के साथ प्रदेश सरकार भी पूरे जोर से लगी है। इसी क्रम में बचाव, उपचार और राहत कार्यों के लिए खजाना खोले बैठी योगी आदित्यनाथ सरकार आय के स्त्रोत तलाशने-लपकने में भी जुटी है। प्रदेश सरकार ने आय के स्त्रोत को सहेजने की खातिर प्रदेश में 16 लाख से अधिक सरकारी कर्मियों के साथ शिक्षकों के डीए और पेंशनर्स के डीआर में इजाफे पर रोक लगा दी है। इसका शासनादेश भी जारी किया गया है। उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी केंद्र की तरह अपने कर्मियों का जनवरी से प्रस्तावित महंगाई भत्ता व पेंशनरों के महंगाई राहत रोकने का एलान किया है। सरकार ने राज्य कर्मचारियों के 6 तरह के भत्तों पर रोक लगाई हैं। इसे 31 मार्च 2021 तक स्थगित रखा जाएगा। इसमें मंहगाई भत्ता विभागीय भत्ते, सचिवालय भत्ता, पुलिस भत्ता भी शामिल हैं।इसका 16 लाख कर्मचारी व 11.82 लाख पेंशनर पर इसका असर पड़ेगा। प्रदेश सरकार केंद्र के फैसले पर हर संभव अमल का प्रयास करती है उसी क्रम में यह निर्णय लिया गया हैं। विधायकों व मंत्रियों के वेतन भत्ते व विधायक निधि में कटौती व स्थगन से लेकर सरकारी दफ्तरों को खोलने से जुड़े सभी निर्णय इसकी बानगी हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस शासनादेश को जारी करने के साथ ही सरकारी कर्मियों के छह और भत्तों पर भी रोक लगा दी है। जनजीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग भी उतनी ही तैयारी के साथ लड़ी जा रही है। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार बचाव, उपचार और राहत कार्यों के लिए खजाना खोलने के साथ आय के स्त्रोत भी तलाश तथा सहेज रही है। प्रदेश में विधायकों की निधि और वेतन से करोड़ों रुपये का एकमुश्त इंतजाम कर चुकी सरकार की नजर अब राज्यकर्मियों और शिक्षकों के डीए (महंगाई भत्ता) पर थी।

केंद्र की तरह राज्य सरकार ने भी डीए बढ़ाने पर रोक लगा दी है। सरकार को इससे तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन का तगड़ा असर सरकार की कमाई पर पड़ रहा है। कमाई तो घट ही रही है, कोरोना से निपटने के खर्चों में जबरदस्त इजाफा भी होता जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार उन तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिनसे आम जनता पर किसी तरह का वित्तीय बोझ आए बिना प्रदेश के खजाने की सेहत सुधारी जा सके।

मंत्रियों-विधायकों के वेतन में 30 फीसद की कटौती करने के बाद राज्य सरकार ने राज्यकर्मियों व शिक्षकों के डीए में इजाफे पर रोक लगा दी। अब केंद्रीयकर्मियों की तरह यहां भी पहली जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक राज्यकर्मियों व शिक्षकों के डीए एवं पेंशनर्स की महंगाई राहत (डीआर) की बढ़ोतरी पर रोक लगा दी गई है।

बचेंगे 15 हजार करोड़
राज्यकर्मियों को 17 फीसद की दर से डीए मिल रहा है। केंद्र सरकार ने इसमें इस वर्ष जनवरी से चार फीसद के इजाफे की घोषणा की थी, जिससे राज्यकर्मियों का डीए भी 21 फीसद हो जाता। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने बताया डीए में चार फीसद की बढ़ोतरी होने पर तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार आता है।

अगर डेढ़ वर्ष तक चार-चार फीसद ही डीए में इजाफा माना जाए तो दस हजार करोड़ रुपये होगा। 12.40 लाख स्वीकृत पदों में से कार्यरत लगभग 10 लाख राज्यकर्मी, 7.12 लाख शिक्षक व अन्य के डीए के अलावा तकरीबन 10 लाख पेंशनर्स की महंगाई राहत को जोड़कर देखा जाए तो तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपये होंगे। लॉकडाउन से राज्य सरकार को दस हजार करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है, जबकि गरीबों को राहत देने के साथ ही चिकित्सा इंतजाम के लिए सरकार लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपये दे चुकी है और खर्च में लगातार इजाफा होता जा रहा है।

सरकारी सेवकों के डीए पर पाबंदी वापस ले सरकार : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के डीए पर लगाई गई पाबंदी वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अब तो अधिकारी-कर्मचारी बिना अवकाश लिए अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना अधिक काम कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार उन्हें हतोत्साहित कर रही है। पेंशन पर निर्भर रहने वाले बुजुर्गों के लिए तो यह और भी घातक निर्णय है। 

आदेश पर विचार करे सरकार : सचिवालय संघ
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है राष्ट्रीय आपदा में प्रदेश के सरकारी कर्मचारी आर्थिक सहयोग प्रदान करने में पीछे नहीं है। मंहगाई भत्ते की फ्रीजिंग पर उसे अधिक आपत्ति नहीं थी, किंतु छह  भत्तों को मार्च, 2021 तक स्थगित करने से कर्मचारी काफी नाराज हैं। यहां पर तो वित्त विभाग के अधिकारी सरकार और कर्मचारी संगठनों को आमने सामने करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मिश्र ने कहा कि भत्तों के स्थगन संबंधी आदेश को वापस लेने पर सरकार को विचार करना चाहिए।



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