कोलकाता/दिल्ली. पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच इंटर-मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम (आईएमसीटी) को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। आईएमसीटी ने शुक्रवार को बंगाल के मुख्य सचिव से कुछ जवाब मांगे हैं। टीम ने मुख्य सचिव से कहा कि आप हमें यह बताइए कि राज्य में मौतें कोरोना से हुई हैं, यह बात तय करने के लिए डॉक्टरों की कमेटी ने किस प्रणाली का इस्तेमाल िकया है। टीम ने यह भी कहा कि जो भी प्रणाली इस्तेमाल की गई है, क्या वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईएमसीआर) की गाइडलाइन के हिसाब से सही है।
आईएमसीटी ने कहा कि हमने कोलकाता के अस्पतालों का दौरा किया है। यहां पर करोना वायरस के टेस्ट नतीजों के लिए कुछ मरीजों को 5 दिन से भी ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। आपको रोजाना 2500 से 5000 तक टेस्ट करने चाहिए।
गृह मंत्रालय ने ममता सरकार से कहा था- केंद्र के काम में दखल ना दें
आईएमसीटी की टीम बंगाल भेजे जाने के फैसले को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एकतरफा और अनचाहा बताया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में बंगाल की सरकार को अंधेरे में रखा गया। यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। ममता ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में लिखा था कि केंद्रीय टीमों ने राज्य सरकार को अपनी गतिविधियों के बारे में नहीं बताया। इन टीमों ने सीधे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से संपर्क किया और राज्य सरकार को सूचना दिए बिना सीधे ही फील्ड में दौरा करने लगीं।
आईएमसीटी ने भी बंगाल की तरफ से सहयोग को लेकर आपत्ति जाहिर की थी। इसी दिन गृह मंत्रालय की ओर से निर्देश दिए गए थे कि केंद्र के काम में राज्य दखल ना दें।
ब्रायन ने कहा था- गुजरात में टीमें क्यों नहीं भेजी जातीं
टीएमसी सांसद ने कहा था- मैं प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि गुजरात में ये टीमें क्यों नहीं भेजी गईं। वहां पांच हॉटस्पाट और 1850 केस हैं। तमिलनाडु क्यों नहीं भेजा गया? वहां 22 हॉटस्पॉट और 1477 केस हैं। यूपी क्यों नहीं भेजा गया। वहां नौ हॉटस्पॉट और 1900 केस हैं।
इस पर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा था- हम सिर्फ कोविड-19 से ही नहीं लड़ रहे हैं। हम उससे भी ज्यादा खतरनाक वायरस से लड़ रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल में है।