मुंबई. किसी भी बड़ी डील को पूरा करने के लिए एक ना एक शख्स ऐसा होता है, जो न तो कंपनी का मुखिया होता है न ही एडवाइजर होता है और न ही वह सामने आता है। एक ऐसा चेहरा होता है जो परदे के पीछे डील कराता है और बाद में वह परदे के सामने आ जाता है। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस जियो और फेसबुक के बीच डील कराने के पीछे भी एक ऐसे ही अनाम शख्स थे जिनका नाम था अंशुमान ठाकुर। हालांकि इस डील को नाम दिया गया था रेडवुड प्रोजेक्ट और इसमें 30 लोगों की एक कोर टीम बनाई गई जिसमें आकाश अंंबानी, ईशा अंबानी, मनोज मोदी आदि का समावेश था।
जब अंशुमान ठाकुर ने पूछा, मैं कुछ घंटे के लिए सो सकता हूं क्या ?
डील में इतनी व्यस्तता की उनको अपने सीनियर से पूछना पड़ा कि क्या मैं कुछ घंटों के लिए सो सकता हूं? इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना था कि पहले हमारी कोशिश इस डील का ऐलान 31 मार्च तक करने का था। लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया। दरअसल इस डील के लिए जो टीम बनी थी, उसमें 30 लोगों का समावेश था। लेकिन प्रमुख रूप से मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी, ईशा अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के सबसे विश्वसनीय मनोज मोदी, अंशुमान ठाकुर और सप्लाई चैन के ग्रुप प्रेसीडेंट पंकज पवार का भी समावेश था।
आकाश और ईशा अंबानी ने अमेरिका का किया कई बार दौरा
डील को पूरा करने के लिए आकाश अंबानी और ईशा अंबानी ने कई बार अमेरिका में फेसबुक के हेडक्वार्टर का दौरा किया और बातचीत को फाइनल दौर में पहुंचाया। मुकेश अंबानी और मार्क ज़करबर्ग के बीच बातचीत की शुरुआत 14 महीने पहले ही हो गई थी। जब फेसबुक ने अजीत मोहन को इंडिया हेड बनाया तो डील में तेजी आई। इस डील से रिलायंस जियो को 2.92 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि वह अभी भी 1.05 लाख करोड़ रुपए की सउदी अरामको की डील को जारी रखा है।
सुबह 4 बजे से ठाकुर ने डील का फाइनल करना शुरू किया था
बताते हैं कि फेसबुक के इंडिया हेड अजीत मोहन के साथ मीडिया कॉल जब अंशुमान ठाकुर ने खत्म कर लिया, तब यह माना गया की डील अब पूरी हो चुकी है। लेकिन इसकी कहानी काफी पहले लिखी जा चुकी थी और बुधवार को बस इसे अंतिम रूप देना था। रिलायंस जियो और फेसबुक के बीच 5.7 अरब डॉलर की यह डील कराने में ठाकुर की बड़ी भूमिका रही है। फेसबुक-जियो डील के लिए ठाकुर 22 अप्रैल सुबह 4 बजे से ही फोन पर लग गए थे। फेसबुक-जियो डील से पहले वह डॉक्यूमेंट्स के फाइनल ड्राफ्ट को फाइन ट्यून कर रहे थे।
पिछले 14 महीनों से इस डील पर काम कर रहे थे ठाकुर
ठाकुर इस डील पर पिछले 14 महीनों से लगे हुए थे। ऐसे में डील के ऐलान से पहले सो जाना दूर की बात थी। दूसरी सबसे बड़ी बात ये थी कि यह ठाकुर के करियर की सबसे हाई प्रोफाइल डील थी। हकीकत यही है कि कोविड-19 की महामारी की वजह से चीजें और उलझ गई थीं। जनवरी 2020 में दोनों कंपनियों के बीच नॉन-बाइंडिंग टर्म शीट पर साइन हो गया था। इसके बाद 16 मार्च को ठाकुर को फेसबुक के राज सिंह के साथ अहम बातचीत के लिए अपने बैंकर, वकीलों और सहयोगियों के साथ फेसबुक के मेनलो पार्क वाले हेडक्वार्टर जाना था।
कैलिफोर्निया में रेडवुड के पेड़ों की अधिकता से शुरू हुआ प्रोजेक्ट रेडवुड
इस प्रोजेक्ट को एक सीक्रेट नाम दिया गया था। नाम था प्रोजेक्ट रेडवुड। इसके कोर टीम में 30 लोग थे। प्रोजेक्ट रेडवुड नाम के पीछे की वजह यह थी कि कैलिफोर्निया में रेडवुड के पेड़ बहुत हैं और यही शहर फेसबुक का घर भी है। डील पर बात चल ही रही थी कि दुनिया भर के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन हो गया। लॉकडाउन के बाद सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ही एकमात्र रास्ता था। 16 मार्च की मीटिंग कैंसल होने के बाद दोनों कंपनियों के बीच पहली वर्चुअल मीटिंग भारत में लॉकडाउन शुरू होने से पहले वीकेंड में हुआ था।