हाउसिंग पाॅलिसी / रतन टाटा ने कहा- अब तक हमने जो देखकर गर्व किया, क्या उससे शर्मिंदा हैं? किराए की झोपड़ी के बजाय खुद के घर की संभावना पर विचार करें

Posted By: Himmat Jaithwar
4/21/2020

मुंबई. टाटा संस के चेयरमैन (एमरिटस) रतन टाटा ने साेमवार काे देश की हाउसिंग पाॅलिसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम बड़ी इमारत बनाने के लिए गंदी बस्तियाें काे दूसरी जगह बसा देते हैं। इसके बजाय हमें गरीबाें काे गुणवत्तापूर्ण जीवन देने के लिए अपनी पुनर्बसाहट नीतियाें पर दोबारा विचार करना चाहिए। वे ग्लाेबल इनाेवेशन प्लेटफाॅर्म काॅर्पजिनी के ‘फ्यूचर ऑफ डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन’ विषय पर वर्चुअल पैनल डिस्कशन में बाेल रहे थे। इससे 10,000 से अधिक काॅर्पोरेट और 100 से अधिक स्टार्टअप जुड़े थे। टाटा ने क्या कहा, पढ़िए प्रमुख अंश:

सरकार जीवन की गुणवत्ता के मानकाें का फिर परीक्षण करे, क्याेंकि झुग्गियाें में मानक थम जाते हैं

पिछले कुछ महीनाें से हम बड़ी दीनता से देख रहे हैं कि कैसे एक बीमारी पूरी दुनिया पर राज कर सकती है। यही बीमारी हमारे वजूद और हमारे काम करने के तरीके काे बदल रही है। अब समय आ गया है कि हम गुणवत्तापूर्ण जीवन काे लेकर चिंता करें। हमें खुद से पूछना चाहिए कि अब तक हमने जाे देखकर गर्व महसूस किया, क्या हम उससे शर्मिंदा हैं...? हमें किराए की झाेपड़ी की बजाय मालिकाना हक के घर की संभावना पर विचार करने की जरूरत है।

कम लागत के हमने जाे ढांचे खड़े किए, अब वे ही नई समस्या का कारण बन गए हैं

उन्होंने कहा, कोरोना के बाद हमें गंदी बस्तियाें की पुनर्बसाहट की अपनी नीति बदलनी चाहिए। इस महामारी ने हमें समझाया है कि पास-पास रहना मुश्किलें पैदा करता है। पहली बार यह महसूस हाे रहा है कि पास-पास, कम लागत के हमने जाे ढांचे खड़े किए, अब वे ही नई समस्या का कारण बन गए हैं। आधुनिक समय के स्लम-रिडेवलपमेंट प्राेजेक्ट वर्टिकल स्लम के अलावा कुछ नहीं है, जिनमेें रहने वाले लाेगाें काे ताजी हवा, खुली जगह और बुनियादी हाइजीन के लिए जूझना पड़ता है।

हमें गंदी बस्तियां हटाते समय अफाेर्डेबल हाउसिंग पर जाना चाहिए- टाटा

टाटा ने कहा- मेरा सुझाव है कि गंदी बस्तियाें में रहने वाले लाेगाें के रहन-सहन पर शर्मिंदा हाेने के बजाय हमें उन्हें नए भारत का हिस्सा मानकर स्वीकार करना चाहिए। काेराेना हमारे लिए चेतावनी है, जिसने हमें नई चिंताएं बताई हैं। सरकार स्लम-रिडेवलपमेंट पाॅलिसी बनाते समय गंदी बस्तियों में रहने वाले लाेगों की जरूरतें समझे। वह जीवन की गुणवत्ता के स्वीकार्य मानकाें का एक बार फिर परीक्षण करे, क्याेंकि जहां झुग्गियां स्थापित की जाती हैं, वहां ये मानक थम जाते हैं।

मैं जाेर देकर कहना चाहूंगा कि हमें गंदी बस्तियां हटाते समय अफाेर्डेबल हाउसिंग पर जाना चाहिए। आर्किटेक्ट और डेवलपर काे यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अब समय आ गया है कि एक जैसे दिमाग वाले लाेग बैठकर उन निर्णयाें की आलाेचना करें, जाे पिछले सालाें में हमने नजरअंदाज कर दिए हैं।



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