जयपुर.. सरकार कोरोना संक्रमण रोकने को जी-जान से जुटी है, मगर सिस्टम का संक्रमण दावों को क्वारैंटाइन कर रहा है। अब तक कोरोना मुक्त मालवीय नगर के जयपुरिया अस्पताल में प्रशासन ने रामगंज के 39 लोगों को संदिग्ध मानते हुए भर्ती तो कर लिया, लेकिन दो दिन से इनके सैंपल तक नहीं लिए गए हैं। शिकायत पर भास्कर शुक्रवार को यहां पहुंचा तो हकीकत चाैंकाने वाली दिखी। अव्यवस्था का आलम ऐसा था कि संदिग्धों के खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं की गई है। खाने-पीने की तलाश में ये संदिग्ध अस्पताल की कैंटीन और बाहर खुलेआम घूम रहे हैं। वार्ड के बाहर न ताे काेई सुरक्षा गार्ड लगाया औैर ना ही डाॅक्टर इन्हें संभाल रहे हैं। कुछ संदिग्ध ताे अस्पताल के आसपास टहलते हुए टाेंक राेड पहुंच गए, कुछ काॅलाेनियाें में घूमते नजर आए। आसपास के लोगोें का आरोप है कि यहां काॅलाेनियाें में संक्रमण का खाैफ पैदा हाे रहा है।
कोरोना मरीजों के संपर्क में आए लोगों या बीमारी के लक्षणों के आधार पर 1834 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। जेडीसी टी. रविकांत की मानें तो इसके लिए 14 क्वारैंटाइन सेंटर्स तैयार किए हैं। यहां लोगों को 2 चाय, नाश्ता, दो वक्त का भोजन और पर्याप्त पानी सहित अन्य जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। दावा है कि सभी के लिए उपयुक्त कमरे और बेड तैयार किए गए हैं। अब तक जेएलएन, टोंक रोड, आगरा और दिल्ली हाईवे पर 7 हजार लोगों के लिए जगह तैयार होनी बताई जा रही है। जेडीए आगे के लिए 20 हजार लोगों को क्वारैंटाइन करने के लिए तैयारी कर रहा है। जो सेंटर्स तैयार हैं, उनमें शुक्रवार तक 1057 पुरुष, 469 महिला एवं 308 बच्चे आए हैं।
कालीचरण बोले- सरकार क्यों ग्रीन जाेन को हाॅटस्पाॅट बनाना चाहती है?
पूर्व मंत्री और मालवीयनगर विधायक कालीचरण सराफ ने विराेध जताते हुए कहा कि खुलेआम काेराेना संदिग्ध घूमने से काॅलाेनीवासी भयभीत हैं। क्या सरकार इस ग्रीन जाेन इलाके काे भी संक्रमित करना चाहती है। कालीचरण ने काॅलाेनीवासियाें की शिकायत मिलने पर सीएम काे पत्र लिखकर जयपुरिया अस्पताल काे काेराेना से मुक्त रखने को कहा है। नारायण नगर, अादिनाथ नगर, संयुक्त सांस्कृतिक, जय जवान काॅलाेनी, जय अम्बेनगर, लाल बहादुर नगर, कैलाशपुरी, हिम्मत नगर, इन्द्रा नगर विकास समितियाें ने विराेध जताया है।
तस्वीरें बता रही है कि स्टाफ रूम खाली पड़ा है। डॉक्टर्स भी नर्सिंग स्टाफ को फोन पर ही इंस्ट्रक्शन दे रहे हैं। संदिग्धों से पता चला कि शुक्रवार शाम तक कोई भी डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अस्पताल से कुछ लोग कॉलोनियों में टहलते-बतियाते नजर आते हैं। कुछ लोग तो टोंक रोड तक सैर करने पहुंच जाते हैं। ऐसे में कॉलोनी में संक्रमण फैला तो पूरे इलाके को दिक्कत होना तय है। भास्कर ने पक्ष जानना चाहा तो जयपुरिया अस्पताल अधीक्षक डाॅ. रेखा सिंह ने फाेन रिसीव नहीं किया।
विभाग का ‘बचकाना’ व्यवहार; इस पानी से प्यास भली, बच्चों की एंट्री कैसे?
स्वास्थ्य विभाग ने दाे दिन पहले जयपुरिया अस्पताल काे क्वारैंटाइन सेंटर बनाया था। अस्पताल की पहली मंजिल पर मेल सर्जिकल और दूसरी पर फीमेल सर्जिकल वार्ड में संदिग्ध भर्ती किए मगर दो दिन से सैंपल नहीं लिए गए। हैरत की बात कि बच्चों को संदिग्धों के साथ रखा है। शुक्रवार सुबह 5 बजे पर जब महिलाओं ने पीने के लिए पानी मांगी ताे स्टाफ ने टॉयलेट के पास लगे नल से पानी भरने को कहा। किसी तरह दोपहर 3 बजे परिजनों ने पानी की बाेतल पहुंचाई।
मदरसों, मुसाफिरखानों और जमातखानों में बना दिए जाने चाहिए क्वारैंटाइन सेंट
कोरोना के जयपुर के बड़े हॉटस्पॉट रामगंज में संदिग्धों का होम क्वारैंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग एक बड़ा मुद्दा है। सघन आबादी वाले इस इलाके में बसावट के हालात ऐसे हैं कि हर घर में 15 से 25 सदस्यों के परिवार हैं। करीब दो वर्ग किलोमीटर में फैले अकेले रामगंज क्षेत्र की आबादी ही डेढ़ लाख से ज्यादा है। भास्कर ने शहर के मौजिज लोगों ने सुझाव जाने। पता चला कि रामगंज के आसपास आधे से 4 किलोमीटर दूरी में 10 समुदाय विशेष के ही स्कूल, मदरसे, मुसाफिरखाने, जमातखाने, सामुदायिक केंद्र को ही क्वारेंटाइन सेंटर बना दिए जाएं।
- आहंगरान स्कूल व कॉलेज, घाटगेट बाजार।
- मुस्लिम मुसाफिरखाना, एमडी रोड।
- रामगंज से आधा किलोमीटर दूर, करीब 50 कमरे।
- रामगंज से 2.5 किलोमीटर दूर, दो मंजिला भवन, करीब 70 कमरे।
- रामगंज से 2.5 किमी दूर, दो मंजिला भवन, करीब 30 कमरे।
- कुरैशियान जमातखाना, एमडी रोड
- मुस्लिम हाई स्कूल, फतेह टीबा।
- कुरैशियान मुसाफिरखाना, भिंडों का रास्ता चांदपोल।
- रामगंज से 3 किलोमीटर दूर हज हाउस, करबला।
- मंसूरी जमातखाना, रामगढ़ मोड़।
- रामगंज से एक किलोमीटर दूर, दो मंजिला भवन, 30 कमरे।
हम वक्फ जायदाद की लिस्ट दे चुके हैं- सरकार चाहे जिसे इस्तेमाल करे। मुसाफिरखाना, कुरैशियान जमातखाना, मुस्लिम स्कूल का उपयोग संभव है। - खानू खां बुधवाली, चेयरमैन, राजस्थान वक्फ बोर्ड
घनी आबादी में होम क्वारेंटाइन मुश्किल जरूर है, लेकिन जरूरत के मद्देनजर शहर की संस्थाएं, इदारें, समुदाय सार्वजनिक भवन आम कर दें। इसकी गुंजाइश है। - खालिद उस्मानी, चीफ काजी राजस्थान
हम कई संस्थाओं से बात कर रहे हैं कि लॉकडाउन में बंद पड़े उनके भवनों का इस्तेमाल हो। कई भवनों में कमरें और सुविधाएं भी हैं। यहां जांच कैंप भी लगा सकते हैं। - हाजी निजामुददीन, महासचिव, राजस्थान हज वेलफेयर सोसायटी
रामगंज के आसपास क्वारेंटाइन सेंटर बनाने से लोगों का प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा। घरों से ज्यादा दूर भी नहीं होंगे। उनमें असुरक्षा का भावना नहीं होगी। - मुफ्ती जाकिर नोमानी, शहर मुफ्ती, जयपुर