टोक्यो। जापान में कोरोनावायरस पर सरकार के देर से जागने पर लोगों में गुस्सा है। यहां 9000 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, वहीं 178 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले टोक्यो में ही 2600 मरीज मिल चुके हैं। देश में पहला केस 16 जनवरी को सामने आया था। 27 फरवरी को प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश के सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए। फरवरी में ही डायमंड प्रिसेंस क्रूज पर 700 से ज्यादा कोरोना के मामले मिले। पहला केस आने के 83 दिन बाद इमरजेंसी की घोषणा की गई।
नौ प्रांतों के अस्पतालों में आपातकालीन बेड खत्म
राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता एनएचके के मुताबिक देश के नौ प्रांतों के अस्पतालों में कोरोना के लिए रखे गए आपातकालीन बेड खत्म होने को हैं। टोक्यो, क्योडो, ह्योगो, फुकुओका जैसे बड़े प्रांतों में यह स्थिति है। जापान के दूसरे बड़े शहर ओसाका के स्थानीय प्रशासन ने लोगों से वाटरप्रूफ कोट और रेनकोट दान करने के लिए कहा है, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मियों के पास सुरक्षा किट नहीं है। ओसाका के महापौर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के दूसरे शहरों में डॉक्टर और नर्सों को बीन बैग पहनकर इलाज करना पड़ रहा है।
पूरा ध्यान ओलिंपिक आयोजन पर ही रहा
क्योटो की दोशिशा यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर नॉरिको हामा कहती हैं कि इससे पता चलता है कि सरकार खतरे को लेकर कितनी गंभीर है। उसे पता ही नहीं है कि क्या करना है। गलती के डर से उन्होंने कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की। आम लोग आर्थिक तंगी में जी रहे हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है। छोटे कारोबारियों का भी यही हाल है। लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सरकार का पूरा ध्यान ओलिंपिक खेलों के आयोजन पर ही रहा। सरकार जुलाई तक भी गेम्स कराने के लिए तैयार थी। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी द्वारा समर गेम्स और पैरालिंपिक रद्द करने के भी काफी दिनों बाद इमरजेंसी का ऐलान किया गया।
सरकार ने रियायतों की घोषणा नहीं की
कारोबार में भी सिर्फ उन्हीं लोगों को मदद दी जा रही है, जो सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते हैं। हामा कहती हैं कि इस पर लोग रोष नहीं दिखाएंगे तो और क्या करेंगे। टोक्यो यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 20 साल के इसेइ इजावा ने कहा कि मेरे जैसे कई छात्र परेशान हैं। इस महीने के अंत में फीस जमा करनी है। लेकिन, अभी तक सरकार ने इसमें रियायत देने की घोषणा नहीं की। हमें कोई मदद नहीं मिली। परिवार से भी हम समस्या साझा नहीं कर सकते। वो पहले से ही परेशान हैं।
सरकार ओलिंपिक की मेजबानी खतरे में डालने के लिए राजी नहीं थी
डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व नेता और टोक्यो के वेसेडा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मीको नकाबयाशी कहती हैं कि देश में नेतृत्व की साफ कमजोरी दिख रही है। सरकार ओलिंपिक की मेजबानी को खतरे में डालने के लिए राजी नहीं थी। क्योंकि उनकी और कई बिजनेस की प्रतिष्ठा दांव पर थी। इसी को बचाने के लिए देश की जनता को नजरअंदाज कर दिया गया। अर्थव्यवस्था से जरूरी जिंदगी बचाना है। सरकार को इसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए था।
पूरे देश में लग सकती है इमरजेंसी, 4 लाख खतरे में: रिपोर्ट
कोरोना पर जापान की होक्काइदो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ने शिंजो आबे सरकार की नींद उड़ा दी है। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार ने सख्ती नहीं की, तो 4 लाख लोगों की मौत हो सकती है। कहा जा रहा है कि आबे पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर सकते हैं। देश में सिर्फ उन्हीं की जांच हो रही है, जिनमें लक्षण हैं। इसलिए समस्या बढ़ गई। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक देश में 8.5 लाख वेंटिलेटर की जरूरत भी है।