नई दिल्ली. कोरोनावायरस के कारण चल रहे लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए सरकार दूसरा प्रोत्साहन पैकेज लाने की दिशा में काम कर रही है। इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार यानी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी। इस मुलाकात में प्रोत्साहन पैकेज पर चर्चा की जाएगी। एक सरकारी अधिकारी के हवाले से ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि पीएम और वित्त मंत्री के बीच पैकेज को लेकर अंतिम फैसला हो जाता है तो इसकी घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी।
एमएसएमई सेक्टर पर हो सकता है फोकस
एक अन्य अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडान 2.0 शुरू होने के बाद घोषित होने वाले दूसरे प्रोत्साहन पैकेज में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) पर विशेष फोकस हो सकता है। इसका कारण यह है कि लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा यही सेक्टर प्रभावित हुआ है। अधिकारी के अनुसार इस सेक्टर को 15 हजार करोड़ रुपए का क्रेडिट गारंटी फंड दिया जा सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किए जाने वाले उपायों में सबसे पहले एमएसएमई के लिए घोषणा की जा सकती है। इससे पहले मार्च में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसमें गरीबों के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के अलावा फ्री राशन भी शामिल था।
वित्त मंत्रालय की विभिन्न मंत्रालयों के साथ की चर्चा
कोरोनावायरस के आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से चर्चा कर रहा है। इसमें उद्योगों के अनुसार पड़ने वाले नुकसान पर भी चर्चा की गई है। माना जा रहा है कि आने वाले उपाय प्रधानमंत्री की ओर से गठित टास्क फोर्स की ओर से उपलब्ध कराए गए इनपुट पर आधारित होंगे। दूसरे प्रोत्साहन पैकेज में हॉस्पिटालिटी एंड टूरिज्म, एविएशन एंड एक्सपोर्ट, टेक्सटाइल और जेम्स एंड ज्वैलरी जैसे सेक्टर्स पर भी फोकस किया जा सकता है। इंडिया इंक स्लोडाउन के कारण बदतर स्थिति में पहुंची अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कुल जीडीपी का 3 से 5 फीसदी के प्रोत्साहन पैकेज की मांग कर रहा है। भारत की जीडीपी के 1 फीसदी हिस्सा करीब 2 लाख करोड़ रुपए के आसपास होता है।
लॉकडाउन से 10 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान
देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण विभिन्न वित्तीय संस्थाओं ने अर्थव्यवस्था को 6 से 10 लाख रुपए तक के नुकसान का अनुमान जताया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के आर्थिक ग्रोथ के अनुमान को 5.8 फीसदी से घटाकर 1.9 फीसदी कर दिया है। इस लॉकडाउन से रिटेल, ट्रैवल एंड टूरिज्म, हॉस्पिटालिटी, कंस्ट्रक्शन एंड ट्रांसपोर्ट समेत कई सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अब लॉकडाउन को 21 दिनों से बढ़ाकर 40 दिनों का कर देने से कई सेक्टरों की मुसीबत बढ़ गई है। लॉकडाउन में केवल एफएमसीजी और हेल्थकेयर सेक्टर को सपोर्ट मिलने का अनुमान जताया गया है।