जयपुर. राजस्थान में 15 अप्रैल को लॉकडाउन 2.0 की शुरुआत हो चुकी है। यहां कोरोना संक्रमण प्रदेश के 25 जिलों तक पहुंच चुका है और बुधवार सुबह तक संक्रमितों का आंकड़ा 1034 पर पहुंच गया। वहीं, राजधानी जयपुर हाई रिस्क (रेड) जोन में है। यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा 470 कोरोना संक्रमित सामने आए है। इनमें अकेले लगभग 400 केस जयपुर के परकोटे में स्थित रामगंज क्षेत्र से है। तेजी से बढ़ रहे आंकड़ों से माना जा रहा है कि रामगंज कम्युनिटी संक्रमण की बॉर्डर लाइन पर खड़ा है।
कोरोना हॉट स्पॉट बने रामगंज में प्रशासन ने संक्रमण को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां की है। इसके लिए पुलिस कमिश्नरेट, जिला प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा, एसडीआरएफ व अन्य एजेंसियों के बड़े अधिकारी लगे हुए है। ड्रोन कैमरों से निगरानी जारी है। वहीं, मंगलवार को इलाके की कई गलियों की तारबंदी की गई। इसके अलावा आरएसी की दो कंपनियां और करीब दो सौ बॉर्डर होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। वहीं, शेष दो सौ जवान और आरएसी की दो कंपनियां परकोटे के अन्य कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में भेजी गई है।
रामगंज की तरफ हर आने जाने व्यक्ति और वाहन पर नजर, रजिस्टर में सबका रिकॉर्ड
मंगलवार दोपहर 1 बजे भास्कर संवाददाता बड़ी चौपड़ पर पहुंचा। यहां से हॉटस्पॉट बने रामगंज की सीमा शुरू होती है। सबसे ज्यादा यहीं से रामगंज के लिए आवाजाही रहती है। ऐसे में यहां मजबूती से बैरिकेडिंग लगाकर नाकाबंदी की गई है। यहां मौजूद दो से तीन पुलिसकर्मी यहां से रामगंज आने जाने वाले हर व्यक्ति और वाहन को रोककर पूछताछ करते नजर आए। इसके अलावा नजदीक ही एक तंबू के नीचे बैठे दो पुलिसकर्मी एक रजिस्टर में इन लोगों का नाम, पता और वाहन संख्या, मोबाइल नंबर रिकॉर्ड करते नजर आए। यहीं, कुछ मजदूर तारबंदी व बैरिकेडिंग के लिए काम करते नजर आए।
गलियों में आवाजाही को रोकने के लिए लकड़ी के बेरिकेड्स लगाकर लोहे की तारबंदी
भास्कर संवाददाता रामगंज व माणकचौक इलाके में स्थित प्रमुख रास्तों में पहुंचे। जहां गलियों में आमजन की आवाजाही रोकने के लिए 13 अप्रेल की रात से ही लकड़ी के बेरिकेड्स लगाकर लोहे की तारबंदी का काम शुरू कर दिया गया था। यहां दो-दो पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। मंगलवार को कोरोना जोन बने इस क्षेत्र में कई जगहों पर लोहे की तारबंदी नजर आई। पिछले 21 दिनों ऐसा पहली बार इसलिए किया गया है क्योंकि लॉकडाउन का उल्लंघन कर पब्लिक इन्हीं छोटे रास्तों व गलियों से बचकर परकोटे से बाहर जा रही थी। यह तारबंदी अहसास करवा रही थी कि रामगंज कोरोना वायरस की कम्यूनिटी संक्रमण की बॉर्डर पर खड़ा है।
सिर्फ सैंपल लेने व स्क्रीनिंग में जुटी मेडिकल टीम, खाद्य आपूर्ति टीम, पुलिस व मीडियाकर्मियों को ही प्रवेश
यहां नाकाबंदी में मौजूद थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि रामगंज में सख्ती से सभी की आवाजाही को रोक दिया गया है। यहां सिर्फ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी व जवानों के अलावा इलाके में कोरोना संक्रमण के लिए सैंपलिंग और स्क्रीनिंग कर रही मेडिकल टीमों, राशन व खाद्य आपूर्ति में जुटे वाहनों, कर्मचारियों के अलावा मीडियाकर्मियों का ही प्रवेश दिया जा रहा है। इन सभी के नाम, पता, विभाग और वाहन संख्या नोट की जा रही है।
सूनी सड़कों पर सिर्फ पीपीई किट पहने मेडिकल टीम व पुलिसकर्मी नजर आए
शहर में रामगंज क्षेत्र वह जगह है जहां 24 घंटे सैंकड़ों की संख्या में लोगों की आवाजाही सड़कों पर नजर आती है। घनी आबादी और मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने से यहां अक्सर खुली रहने वाली दुकानें, ढाबे लॉक डाउन की वजह से बंद है। यहां सड़कों पर सन्नाटा पसरा पड़ा है। रामगंज चौपड़ व बाजार और इनकी गलियों में सिर्फ हर गली, नुक्कड़ पर पुलिसकर्मी तैनात नजर आए। गलियों के अंदर मकानों के बाहर कुछ लोग जरुर नजर आए। जिन्हें पुलिसकर्मी टोकते नजर आए
दूसरी तरफ, रामगंज बाजार में पीपीई सूट पहने मेडिकल टीमें नजर आती है। जो कि पिछले छह दिनों से डोर टू डोर संक्रमितों का पता लगाने के लिए डोर टू डोर सैंपल लेने में जुटी हुई है। वहीं, रामगंज चौपड़ पर भी कुछ ऐसा ही नजारा है। यहां एक तरफ तंबू के नीचे पुलिस अधिकारी व जवान नजर आए है। वहीं, दूसरी तरफ रामगंज डिस्पेंसरी के बाहर मेडिकल टीमें सैंपलिंग व स्क्रीनिंग करते हुए नजर आई। माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में संक्रमण के और भी मामले सामने आएंगे।