दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन से भारत की इकोनॉमी को 7 से 8 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान

Posted By: Himmat Jaithwar
4/14/2020

नई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 21 दिन से लागू देशव्यापी लॉकडाउन से भारत की इकोनॉमी को 7-8 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह अनुमान विश्लेषकों और औद्योगिक संगठनों का है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन है। इस दौरान अधिकतर कंपनियां बंद रहीं, उड़ान सेवाएं निलंबित रहीं और ट्रेनों का परिचालन नहीं हुआ। लोगों और वाहनों की आवाजाही पर भी पाबंदी रही। कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया था। यह लॉकडाउन 25 मार्च से 14 अप्रैल तक प्रभावी है। इस लॉकडाउन की वजह से 70 फीसद आर्थिक गतिविधियां, निवेश, निर्यात और अन्य गतिविधियां लगभग रुक गईं। इस लॉकडाउन के दौरान केवल जरूरी सामान एवं सेवाओं संबंधि गतिविधियों के परिचालन की अनुमति थी, जिनमें कृषि, खनन, यूटिलिटी सेवाओं और कुछ वित्तीय एवं आइटी सेवाएं और लोक सेवाएं शामिल थीं।


महामारी का झटका ऐसे वक्त लगा जब आर्थिक तेजी के संकेत दिखने शुरू हुए थे
सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने कहा है कि भारत में महामारी ऐसे समय में आई है जब देश की इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत नजर आ रहे थे। इस महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में देश में एक बार फिर धीमी विकास दर की आशंका पैदा हो गई है। देशभर लॉकडाउन से इकोनॉमी को कम-से-कम सात से आठ लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।


मार्च की शुरुआत से ही देश में आंशिक शटडाउन जैसे हालत थे
Acuite Ratings & Research Ltd ने इस महीने के शुरू में अनुमान जताया था कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को हर दिन करीब 4.64 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपए से अधिक) का नुकसान होगा। इस तरह से 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन से जीडीपी को करीब 98 अरब डॉलर (7.5 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होगा। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण मार्च की शुरुआत से ही देश की अर्थव्यवस्था आंशिक शटडाउन जैसे हालत से गुजर रही थी। 25 मार्च से यह पूरी तरह ठप्प हो गई। 14 अप्रैल को इस लॉकडाउन का आखिरी दिन है, लेकिन यदि वायरस का संक्रमण बढ़ा, लंबे समय तक आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। इस महामारी से उपजे संकट की वजह से ट्रांसपोर्ट, होटल, रेस्तरां और रियल एस्टेट गतिविधियां सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार की सुबह राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में मौजूदा लॉकडाउन के बाद की परिस्थितियों एवं उपायों का ब्योरा दे सकते हैं।


ट्र्रक संचालकों को लॉकडाउन के पहले 15 दिन में 35,200 करोड़ रुपए का नुकसान
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि ट्रक संचालकों को लॉकडाउन के पहले 15 दिनों में करीब 35,200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हर ट्रक को रोजाना औसतन 2,200 रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। देश में करीब 1 करोड़ ट्र्रक हैं। इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा ट्रक लॉकडाउन में सड़क से गायब रहे, क्योंकि इस दौरान सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई की ही अनुमति थी। यदि लॉकडाउन हटा भी ली जाती है, तब भी ट्रकों का परिचालन सामान्य स्तर पहुंचने में कम से कम 2 से 3 महीने लगेंगे। क्योंकि लोगों की खरीदने की क्षमता घट जाने से गैर-आवश्यक वस्तुओं की खपत में तुरंत तेजी आने की उम्मीद नहीं है। एआईएमटीसी करीब 93 लाख ट्र्रांसपोर्टर्स और ट्रक संचालकों का प्रतिनिधि संगठन है।


रियल्टी सेक्टर को करीब 1 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका
रियल्टी सेक्टर के प्रतिनिधि संगठन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के मुताबिक रियल्टी सेक्टर को न्यूनतम करीब 1 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है। संगठन के प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि मैं अधिकतम नुकसान का अनुमान नहीं लगा सकता। मोटी गणना के आधार पर कम से कम एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।


खुदरा व्यापार क्षेत्र को मार्च के आखिरी दो सप्ताह में 30 अरब डॉलर का नुकसान
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक नए कोरोनावायरस के कारण मार्च के आखिरी दो सप्ताह में देश के खुदरा व्यापार क्षेत्र को 30 अरब डॉलर का अनुमान हुआ है। देश के खुदरा व्यापार क्षेत्र में करीब 7 करोड़ छोटे, मझोले और बड़े व्यापारी आते हैं। ये व्यापारी हर महीने करीब 70 अरब डॉलर का कारोबार करते हैं। इस सेक्टर में 45 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है।


कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत के विकास अनुमान में बड़ी कटौती कर दी है
विश्व बैंक ने चालू कारोबारी साल में भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 1.5-2.8 फीसदी कर दिया है। यह 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सबसे कम विकास दर होगी। विभिन्न एजेंसियों ने चालू कारोबारी साल में देश की विकास दर का अनुमान इस प्रकार से रखा है :

  • विश्व बैंक : 1.5-2.8 फीसदी
  • एशियाई विकास बैंक : 4 फीसदी
  • एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स : 3.5 फीसदी
  • फिच रेटिंग्स : 2 फीसदी
  • इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च : 3.6 फीसदी
  • मूडीज : 2.5 फीसदी (2020 के लिए)



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