देश के 72% इलाकों में सामान्य बारिश नहीं हुई, कहीं कम तो कहीं बहुत ज्यादा, फिर बन रही है एक्सट्रीम वेदर कंडीशन

Posted By: Himmat Jaithwar
7/1/2021

जून में इस साल 188.5 मिमी बारिश हुई। यह औसत 166.9 मिमी से 13% ज्यादा है। मौसम विभाग ने 101-104% बारिश का अनुमान लगाया था। ये दीर्घावधि औसत है, जो 880 मिलीमीटर होता है। यानी जुलाई-सितंबर में 88% बारिश होनी अभी बाकी है। जून में मानसून पूरे देश में पहुंच गया, लेकिन केवल 28% इलाकों में ही सामान्य बारिश हुई है। बाकी 72% क्षेत्र में कहीं बहुत ज्यादा, तो कहीं बहुत कम बारिश हुई। आइए, मानसून के शुरुआती 30 दिनों का हिसाब-किताब देखते हैं...

जून के आखिरी 12 दिनों में बिगड़ गया मानसून का मूड
1 जून को आया मानसून 12 जून तक देश के 80% हिस्से में पहुंच गया। 18 जून तक जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और केरल को छोड़कर पूरे देश में मूसलाधार बारिश हुई। इसी के चलते 18 दिनों में सामान्‍य से 41% ज्यादा बारिश हो गई। ऐसा लगने लगा कि ये साल बारिश से तबाही मचाने वाला है, लेकिन अगले 12 दिनों में पूरी कहानी बदल गई।

दरअसल, 15 जून से अरब सागर से चार पश्चिमी विक्षोभ उठे। इन्होंने मानसून की लय बिगाड़ दी। 18 जून के बाद सिर्फ बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में रेनी डे हुए। आप जानते हैं कि रेनी डे क्या होता है? जिस दिन 2.4 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है तो उसे रेनी डे कहते हैं। मौसम का ये बदलता मूड सिर्फ इस साल दिखा हो, ऐसा नहीं है। 10 साल से यही चल रहा है। कभी सामान्य से 34% ज्यादा तो कभी 42% कम।

देश के 694 जिलों में से 501 में सामान्य बारिश नहीं
देश के कुल 694 जिलों में से केवल 193 जिलों में सामान्य बारिश हुई। बाकी 194 जिलों में बहुत ज्यादा, 142 जिलों में ज्यादा, 168 जिलों में कम और 27 जिलों में बहुत कम बारिश हुई। मौसम विभाग बारिश को 5 तरीके से नापता है। वो देखता है कि LPA की तुलना में कितनी बारिश हुई।

इस बार जून की असामान्य बारिश का पैटर्न किसी एक राज्य में नहीं बल्कि राजस्‍थान, मध्य प्रदेश, गुजरात से लेकर UP-बिहार तक दिख रहा है। पहले ये पैटर्न राजस्‍थान और समुद्र से सटे राज्यों में देखा जाता था।

बिहार में इतनी बारिश कि बाढ़ आ गई, दिल्ली में सिर्फ सेल्फी लेने भर की
बिहार में 20 और 21 जून को लगातार बारिश होती रही। इससे चंपारण, मुंगेर और लालगंज के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बन गई। मौसम विभाग के अलर्ट पर 100 से ज्यादा गांवों के लोगों को पलायन के लिए कहा गया। उधर, दिल्ली में पूरे जून केवल इतनी ही बारिश हुई कि लोग सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपडेट कर पाए। जून में दिल्ली में औसतन 6 दिन में 70 मिमी तक बारिश होती थी, लेकिन इस बार आधी भी नहीं हुई। अन्य राज्यों की हालत भी देखिए-

  • बहुत ज्यादाः 60-99%
  • ज्यादाः 60% से अधिक
  • सामान्यः 20-59% से अधिक
  • कमः 20-59% से कम
  • बहुत कमः 19% से कम
    • राजस्‍थानः यहां 33 में से 9 जिलों में कम बारिश हुई। 2 जिलों में ज्यादा और 8 जिलों में बहुत ज्यादा बारिश हुई, लेकिन सामान्य बारिश वाले जिले 14 हैं। इसलिए औसत से 12% ही ज्यादा बारिश हुई।
    • मध्य प्रदेशः 51 जिलों में से केवल 13 में सामान्य बारिश हुई। बाकी 38 जिलों में कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश हुई। 18 जिलों में बहुत ज्यादा बारिश हुई। इसके चलते प्रदेश में सामान्य से 43% ज्यादा बारिश हुई।
    • छत्तीसगढ़ः 27 में से केवल 10 जिलों में सामान्य बारिश हुई। 7 जिलों में बहुत ज्यादा तो 9 जिलों में ज्यादा बारिश हुई। इसलिए प्रदेश में कुल 34% ज्यादा बारिश हुई।
    • बिहारः 38 जिलों में से 35 में बहुत ज्यादा बारिश हुई। 5 ऐसे जिले हैं जहां ज्यादा बारिश हुई। केवल 2 ही जिले ऐसे हैं जहां सामान्य बारिश हुई। कुल 119% बारिश हुई।
    • उत्तर प्रदेशः 75 जिलों में से केवल 11 जिलों में सामान्य बारिश हुई। 14 जिले ऐसे हैं जहां कम बारिश हुई। 35 जिलों में बहुत ज्यादा बारिश हुई। इसके चलते प्रदेश में 70% ज्यादा बारिश हुई।
    • गुजरातः इस राज्य के 33 में से 15 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। यहां ज्यादा बारिश वालों जिलों की तुलना में कम बारिश वाले जिले ज्यादा हैं। 9 जिले ऐसे हैं जहां कम बारिश हुई और 4 जिलों में ज्यादा बारिश हुई। इसके चलते प्रदेश में हुई कुल बारिश भी सामान्य से 8% कम है।
    • महाराष्ट्रः यहां के 36 जिलों में से 17 में ज्यादा बारिश और 6 में बहुत ज्यादा बारिश हुई है। इसके चलते प्रदेश में 37% ज्यादा बारिश हुई। केवल 10 जिले ही ऐसे हैं जहां सामान्य बारिश हुई।
    • 3 दिन की बारिश अब 3 घंटे में होने लगी है
      कम-ज्यादा बारिश वाले मौसम के ‌इस बदलते व्यवहार को ही एक्ट्रीम वेदर कंडीशन यानी चरम जलवायु कहा जा रहा है। यानी भूस्खलन, भारी बारिश, ओले पड़ना, बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोतरी। 1970-2005 के बीच 35 साल में 250 ऐसी घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2005-2020 के बीच सिर्फ 15 साल में इनकी संख्या 310 हो गईं।

      स्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पहलावत कहते हैं- मौसम की चरम परिस्थिति को इस तरह से समझा जा सकता है कि पहले केरल और मुंबई में बाढ़ आती थी, लेकिन अब गुजरात और राजस्‍थान में बाढ़ आने लगी है। बारिश की मात्रा में अधिक बदलाव नहीं है, लेकिन बारिश के औसत दिन (रेनी डे) कम हो गए हैं। अब मूसलधार बारिश हो रही है। 10 साल पहले जितनी बारिश तीन दिन में होती थी, अब वो तीन घंटे में हो जाती है।

      पहले चार महीनों तक नियमित रिमझिम बारिश होती थी। पानी जमीन में रिसकर नीचे तक पहुंचता और जलस्तर बढ़ जाता था, लेकिन अब तेज बारिश के चलते सारा पानी बहकर नदियों में चला जाता है। नदियों के जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की हालत बनती है।

      अब 8 जुलाई के बाद फिर से बारिश शुरू होगी
      मानसून ट्रफ लाइन हिमालय की तलहटी की ओर सरक रही है। क्या आप ट्रफ लाइन का सिस्टम समझते हैं? असल में बादलों के बीच जब ठंडी और गर्म हवा आपस में मिलती है तो कम दबाव का क्षेत्र बनता है। उस सिस्टम से निकलने वाली पट्टी को ट्रफ लाइन कहते हैं।

      ये लाइन जिस तरफ से गुजरती है, वहां अचानक ही मौसम में बदलाव हो जाता है, तेज हवा के साथ बारिश होती है। फिलहाल ये हिमालय की ओर सरक गई है, इसलिए इससे बादल बनना बंद हो रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक आरके जेनामानी बताते हैं कि अब 8 जुलाई के बाद मानसूनी बारिश के लिए फिर से मौसम तैयार होगा।



Log In Your Account