भारत बायोटेक की कोवैक्सिन कोरोनावायरस के अल्फा (B.1.1.7) और डेल्टा (B.1.617) पर भी असरदार है। अमेरिका के टॉप हेल्थ रिसर्च संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की स्टडी में यह सामने आया है।
NIH ने कोवैक्सिन ले चुके लोगों के ब्लड सीरम पर दो स्टडी की थीं। जिनमें पता चला कि यह वैक्सीन अल्फा और डेल्टा वैरिएंट को खत्म करने वाली एंडीबॉडीज बनाने में सक्षम है। बता दें भारत में दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही ज्यादा खतरनाक हुई थी।
अमेरिकन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि हमारे एडजुवेंट से कोवैक्सिन के ज्यादा प्रभावी होने में काफी मदद मिली है। बता दें एडजुवेंट एक केमिकल होता है जो इम्यून सिस्टम के रिस्पॉन्स को बढ़ाता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर वैक्सीन के असर को बढ़ाने के लिए होता है। यह इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है, जो एंटीजन से लड़ता है। भारत अमेरिका और यूरोप से इसे इंपोर्ट करता है।
गंभीर संक्रमण रोकने में कोवैक्सिन 100% कारगर
NIH का कहना है कि कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल के नतीजों से पता चलता है कि यह सुरक्षित है। इसके फेज-3 ट्रायल के डेटा भी इसी साल उपलब्ध हो जाएंगे। फेज-3 के अंतरिम नतीजों से पता चलता है कि यह वैक्सीन कोरोना के सिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन के खिलाफ 78%, गंभीर संक्रमण पर 100% और एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन के खिलाफ 70% प्रभावी है।
कोवैक्सिन को जुलाई में WHO की मंजूरी मिल सकती है
कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की मंजूरी दिलवाने के लिए 23 जून को हुई प्री-सब्मिशन मीटिंग सफल रही थी। यानी इस वैक्सीन को WHO से अप्रूव करवाने के लिए भारत बायोटेक ने दूसरा पड़ाव पार कर लिया है। अब जुलाई में WHO भारत बायोटेक के डेटा का रिव्यू करेगा।