नयी दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने रविवार को वैज्ञानिकों को एक निश्चित समय सीमा को ध्यान में रखते हुए COVID-19 (Coronavirus) की रोकथाम के समाधान विकसित करने को कहा है. उन्होंने कहा कि ये 'युद्ध का समय' है और इसे एक सामान्य शोध नहीं माना जाना चाहिए.
हर्षवर्धन ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के महानिदेशक शेखर मंडे और सभी 38 CSIR प्रयोगशाला निदेशकों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में मंडे ने कहा कि एक कोर स्ट्रेटजी ग्रुप (सीएसजी) बनाया गया है और जिसमें पांच वर्टिकल के तहत कोरोना वायरस (Coronavirus) संबंधी कार्य किए जा रहे हैं. इनमें डिजिटल और मॉलिक्यूलर सर्विलेंस, त्वरित और किफायती निदान, नई दवाएं / दवाओं का पुन: उपयोग और इससे जुड़ी उत्पादन प्रक्रियाएं, अस्पतालों के उपकरण, पीपीई, आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट सिस्टम शामिल है.
हर्षवर्धन ने CSIR के वैज्ञानिकों को एक निश्चित समय सीमा को ध्यान में रखते हुए COVID-19 की रोकथाम के समाधान विकसित करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि ये 'युद्ध का समय' है और वैज्ञानिकों को युद्ध खत्म होने से पहले ही समाधान देने के लिए काम करना चाहिए, उन्हें इसे एक सामान्य शोध नहीं मानना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि COVID-19 का एक फयदा ये भी है कि ये देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा और इससे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल उपकरण विकसित करने में स्वदेशी क्षमता को भी बढ़ावा मिलेगा.
मंत्री हर्षवर्धन ने CSIR लैब की सराहना भी की कि ये लैब कोरोनावायरस रोगियों के स्वैब सैंपल की जांच भी कर रही थीं और उनमें से कुछ ने वायरस की जेनेटिक सीक्वेन्सिंग करना भी शुरू कर दिया है और आने वाले कुछ हफ्तों में करीब 500 सीक्वेन्सिंग करने का लक्ष्य है. जेनेटिक सीक्वेन्सिंग होस्ट की प्रतिक्रिया जानने के साथ-साथ बीमारी के खतरे की पहचान करने में बहुत महत्वपूर्ण है. मंत्री ने कहा कि ये प्रयास उन्हें 26 साल पहले के पोलियो उन्मूलन आंदोलन की याद दिलाते हैं.