नई दिल्ली। कोरोनावायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। मध्य प्रदेश में ही इस वैरिएंट के 7 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 2 मरीजों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर्स का कहना है कि जिन मरीजों की जान गई, उन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी। वहीं जिन तीन मरीजों को वैक्सीन की एक या दो डोज लग चुकी हैं वे ठीक हो गए हैं या होम आइसोलेशन में हैं।
बाकी दो मरीजों को भी वैक्सीन नहीं लगी है, लेकिन उन्होंने डेल्टा वैरिएंट को मात दे दी। इनमें एक 22 साल की महिला और 2 साल का बच्चा है। डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों में 3 भोपाल, दो उज्जैन और एक-एक रायसेन और अशोकनगर जिलों से हैं।
डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर अब विपक्ष ने सरकार को घेरना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिए मोदी सरकार से ये 3 सवाल पूछे हैं-
1. इसकी जांच और रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर टेस्टिंग क्यों नहीं हो रही?
2. वैक्सीन इस पर कितनी प्रभावशाली है, पूरी जानकारी कब मिलेगी?
3. तीसरी लहर में इसे नियंत्रित करने का क्या प्लान है?
भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर 3 राज्यों में चेतावनी
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है। इसे देखते हुए सरकार ने दो दिन पहले महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल को तैयार रहने के निर्देश भी दिए हैं। भारत में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं।
डेल्टा-प्लस वैरिएंट क्या है?
भारत में मिले कोरोनावायरस के डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.617.2 को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा नाम दिया है। B.1.617.2 में एक और म्यूटेशन K417N हुआ है, जो इससे पहले कोरोनावायरस के बीटा और गामा वैरिएंट्स में भी मिला था। नए म्यूटेशन के बाद बने वैरिएंट को डेल्टा+ वैरिएंट या AY.1 या B.1.617.2.1 कहा जा रहा है।
K417N म्यूटेशन वाले ये वैरिएंट्स ओरिजिनल वायरस से अधिक इंफेक्शियस हैं। वैक्सीन व दवाओं के असर को कमजोर कर सकते हैं। दरअसल, B.1.617 लाइनेज से ही डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) निकला है। इसी लाइनेज के दो और वैरिएंट्स हैं- B.1.617.1 और B.1.617.3, जिनमें B.1.617.1 को WHO ने वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) की लिस्ट में रखा है और कप्पा नाम दिया है।
डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई थी दूसरी लहर
भारत ने डेल्टा वैरिएंट की वजह से हाल ही में दूसरी खतरनाक लहर का सामना किया है। केस कम हो रहे हैं, पर उन्हें फरवरी के स्तर तक पहुंचने में जुलाई का दूसरा हफ्ता लग सकता है। मई के अंत तक जुटाए गए 21 हजार कम्यूनिटी सैंपल्स में से 33% में डेल्टा वैरिएंट मिला है। यह वैरिएंट उस स्ट्रेन से बहुत अलग है, जिसके खिलाफ फार्मा कंपनियों ने मौजूदा वैक्सीन बनाई है।
UK, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में हुए टेस्ट बताते हैं कि वैक्सीन इफेक्टिव तो है, पर जब उन्हें डेल्टा जैसे वैरिएंट्स के खिलाफ जांचा गया तो वह कुछ ही एंटीबॉडी बनाने में सफल रहे हैं। चिंता यह है कि डेल्टा वैरिएंट के कई नए रूप सामने आ चुके हैं। भारत समेत कई देशों में यह प्रमुख वैरिएंट बनकर उभरा है। आगे चलकर भारत में यह महामारी के प्रबंधन में चुनौती बन सकता है।
नए वैरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन कितनी असरदार?
भारत में ICMR-NIV (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी) और CSIR-CCMB (सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी, हैदराबाद) ने एक स्टडी की है। इसमें डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का असर देखने की कोशिश की गई। नतीजे बताते हैं कि वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी तो बन रही है, पर वह ओरिजिनल कोरोनावायरस के मुकाबले बन रही एंटीबॉडी के मुकाबले कम है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि एंटीबॉडी लेवल कभी भी इम्यूनिटी का इकलौता मार्कर नहीं होता। डेल्टा-प्लस वैरिएंट से वायरस तेजी से फैल रहा है, इसके भी बहुत कम सबूत हैं। इस वजह से WHO ने फिलहाल वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOC) लिस्ट में इसे नहीं रखा है।
इंग्लैंड में जो 36 डेल्टा-प्लस मरीज मिले हैं, उनमें से 18 ने वैक्सीन नहीं ली थी। सिर्फ दो ने वैक्सीन के दोनों डोज लिए थे। 36 केसेस में कोई भी मौत नहीं हुई है। इसी तरह डेल्टा-प्लस केसेस में सिर्फ दो ही 60+ के थे। यानी ज्यादातर केस 60 वर्ष से कम उम्र वालों में है।