ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। स्कंद पुराण में, इस दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। यह शुभ और फलदयी माना गया है। इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून रविवार को है। कई जगह इस पर्व को दस दिन तक मनाए जाने की परंपरा भी है। पुराणों में कहा गया है कि भगीरथ की घोर तपस्या के बाद जब गंगा धरती पर आईं थीं, तो उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी थी। गंगा के धरती पर आने के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाता है।
इस तरह करें गंगा पूजन गंगा दशहरा के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। वर्तमान कोविड समस्या के कारण यदि आप घर से बाहर किसी पवित्र नदी तक नहीं जा सकते हैं, तो घर में ही स्नान के जल में गंगा या किसी नदी का पवित्र जल मिलाकर ‘नमः शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:’ मंत्र का जाप 10 बार करना चाहिए।
अपने पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना करें। गंगा दशहरा पर मां गंगा को 10 पुष्प, दशांग धूप, 10 दीपक, 10 फल तथा 10 प्रकार के नैवेद्य चढ़ाए जाते हैं। इस दिन 16 मुट्ठी तिल लेकर तर्पण करना चाहिए।
इस दिन किया गया दान-अनुष्ठान कार्य पितरों को मोक्ष वंशवृद्धि के लिए अति उत्तम माना गया है।
काला तिल, छाता, चावल, मिष्ठान का दान इस दिन करना चाहिए। पारिवारिक समस्याओं से परेशान लोग गंगा में खड़े होकर 11 फेरी कर मां से सुख-शांति और समृद्धि की कामना करें। लंबी बीमारी से जूझ रहे प्रियजन के लिए स्नान के बाद बाबा विश्वनाथ को जल अर्पित कर उसके उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।