भारत में कोरोना वैक्सीन के रोज करीब 29 लाख डोज लगाए जा रहे हैं और अब तक 24 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। ये सब कुछ जल्द से जल्द हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन अगर वैक्सीनेशन की यही रफ्तार रही तो भी देश में हर्ड इम्युनिटी आने में डेढ़ साल लग जाएंगे।
कोरोना के खिलाफ पूरी दुनिया में इतिहास का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है। ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक 178 देशों में 219 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। अभी दुनिया में रोज करीब 3.54 करोड़ लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं।
चीन डेली 1.89 करोड़ टीके लगाकर अव्वल बना हुआ है। वह अपने लोगों को अब तक 80 करोड़ डोज लगा चुका है। इस मामले में दूसरे पायदान पर भारत है।
ये आंकड़े महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे ही हर्ड इम्युनिटी की उम्मीद बंधी है। भारत की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि हर्ड इम्युनिटी का मतलब है कि अधिक से अधिक लोग कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी हासिल कर लें। तब इन्फेक्शन के नए नंबर घट जाएंगे। इसे पाने के दो ही तरीके हैं- पहला, नेचुरल इन्फेक्शन और दूसरा, वैक्सीनेशन। हर्ड इम्यूनिटी के लिए 75%-80% लोगों में एंटीबॉडी बनना जरूरी है। वैक्सीनेशन के जरिए हम यह टारगेट जल्द से जल्द हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक मौजूदा रफ्तार से भारत को 75% वैक्सीनेशन तक पहुंचने में 20 महीने लग जाएंगे। वहीं सरकार का टारगेट इस आंकड़े तक दिसंबर तक पहुंचने का है।
इस समय दुनियाभर में क्या है स्टेटस?
चीन भले ही 80 करोड़ के आसपास आबादी को वैक्सीनेट करने का दावा करता है, लेकिन उसके आंकड़ों पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भरोसा नहीं है। दरअसल, वह पॉजिटिव केस के आंकड़ों को शेयर नहीं करता। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट ऑवरवर्ल्डइनडेटा के तहत भी वैक्सीनेशन से जुड़े आंकड़े अपडेट किए जा रहे हैं। इसके मुताबिक अब तक दुनियाभर में 219 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। चीन के बाद अमेरिका (30 करोड़ डोज), भारत (24 करोड़ डोज), ब्राजील (7.1 करोड़ डोज), यूके (6.8 करोड़ डोज) में ही वैक्सीनेशन को रफ्तार मिल सकी है।
जैसे-जैसे वैक्सीनेशन आगे बढ़ा, नए केस घटते गए
दुनियाभर के विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वह उत्साह बढ़ाने वाले हैं। जिन देशों में वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी और ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट होते गए, उसी रफ्तार से नए पॉजिटिव केस में कमी आई है।
अमेरिका में इस साल 15 जनवरी तक 2% आबादी वैक्सीनेट हुई थी, वहीं दस लाख की आबादी पर 699 डेली केस सामने आ रहे थे। पर 8 जून को जब 47.4% आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है तो दस लाख की आबादी पर डेली केस घटकर 43 रह गए हैं।
इजरायल में इस साल 17 जनवरी को 14.3% आबादी वैक्सीनेट हुई थी, वहीं दस लाख की आबादी पर 902 डेली केस सामने आ रहे थे। 16 अप्रैल तक 57% आबादी वैक्सीनेट हो चुकी थी और तब दस लाख की आबादी पर डेली केस 20 रह गए थे। 7 जून को नए केसेज का डेली एवरेज घटकर 1.2 रह गया है।
यूनाइटेड किंगडम में इस साल 11 जनवरी को 2% आबादी वैक्सीनेट हुई थी, वहीं दस लाख की आबादी पर 868 डेली केस सामने आ रहे थे। पर 8 जून को जब 51% आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है तो दस लाख की आबादी पर डेली केस घटकर 81 रह गए हैं। यह भी हाल ही में डेल्टा वैरिएंट की वजह से बढ़े हुए केसेज की वजह से है। वर्ना 18 मई तक तो दस लाख की आबादी पर डेली केस घटकर 20 के आसपास रह गए थे।
कनाडा में 8 जनवरी को 0.3% आबादी वैक्सीनेट हुई थी, वहीं दस लाख की आबादी पर 242 डेली एवरेज केस सामने आ रहे थे। पर 8 जून को जब 36% आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है तो दस लाख की आबादी पर डेली केस घटकर 46 रह गए हैं।
फ्रांस में इस साल 14 अप्रैल को 13% आबादी वैक्सीनेट हुई थी, वहीं दस लाख की आबादी पर 704 डेली एवरेज केस सामने आ रहे थे। पर 8 जून को जब 31% आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है तो दस लाख की आबादी पर डेली केस घटकर 95 रह गए हैं।
भारत में अब तक 8.7% आबादी ही वैक्सीनेट हो पाई है। देश ने अभी भयावह दूसरी लहर देखी है, जब नए पॉजिटिव केस और मौतों के मामले में दुनिया में नए रिकॉर्ड बने। ऐसे में फिलहाल वैक्सीनेशन के असर का आकलन करना मुश्किल है।
भारत में वैक्सीनेशन की क्या है स्थिति?
भारत में 9 जून की सुबह तक 23.90 करोड़ डोज दिए जा चुके थे। 19.21 करोड़, यानी 20.46% आबादी को वैक्सीन का कम से कम एक डोज लग चुका है। वहीं, 4.69 करोड़, यानी करीब 5% आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं। सरकार ने जुलाई-अगस्त में 1 करोड़ डोज रोज लगाने का टारगेट रखा है। सरकारी अनुमान के मुताबिक उसे अगस्त से दिसंबर तक 210 करोड़ डोज मिल जाएंगे। इससे उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर तक हम 75% से अधिक आबादी को वैक्सीनेट कर हर्ड इम्युनिटी हासिल कर ले जाएंगे।