रांची। जनजातियों के भगवान बिरसा मुंडा का आज 121वां शहादत दिवस है। देश की आजादी में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए सिर्फ साढ़े चौबीस साल की उम्र में उन्हें रांची जेल में ही जहर देकर मार दिया गया था। ऐसे वीर सपूत के परिजन आज सम्मानजनक जिंदगी जीने की जंग लड़ रहे हैं। जयंती-पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण की रस्म अदायगी होती है। चुनाव के वक्त नाम का गुणगान होता है, फिर सभी उन्हें भुला देते हैं।
सीएम के नाम खुला पत्र...
आदरणीय मुख्यमंत्री जी, झारखंड
मैं जौनी कुमारी मुंडा। भगवान बिरसा मुंडा की वंशज। मैं अभी बिरसा कॉलेज खूंटी में बीए पार्ट-3 की छात्रा हूं। जब शिक्षक बिरसा के आंदोलन के बारे में पढ़ाते हैं, तो गर्व होता है। लेकिन, मैं किसी को नहीं बताती कि मैं भगवान बिरसा की पड़पोती हूं। क्योंकि लोग हमारी स्थिति देखकर निराश हो जाएंगे। सुनती हूं कि आदिवासी छात्राओं को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है। मैंने कई बार आवेदन दिए, लेकिन कभी नहीं मिली।
मेरे पिता सुखराम मुंडा 82 की उम्र में भी खेतों पर मेहनत करते हैं। 1,000 रुपए वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, उसी से मेरी पढ़ाई का खर्च चलता है। भगवान बिरसा ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ की बात करते थे। आज झारखंड में अबुआ राज है, लेकिन हमारी स्थिति थोड़ी भी नहीं सुधरी। मैं सरकार से कुछ नहीं मांगती। अलग से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन जो नियम जनजातियों के लिए बने हैं, जो योजनाएं गरीबों के लिए हैं, उनका लाभ तो मिले। मैं अपने लिए, अपने बाबा, अपनी मां के लिए सम्मान चाहती हूं। बस इतना ही।
सब्जी बेच रही बिरसा की पड़पोती
खूंटी बाजारटांड़ के पास आम, जामुन, कटहल बेच रहीं महिलाओं-युवतियों में एक जौनी कुमारी भी हैं, जो कच्चे कटहल का कोवा (बीज) बेच रही हैं। जौनी बिरसा मुंडा की पड़पौत्री हैं। सड़क के उस पार ही उसका कॉलेज है, जहां से वह स्नातक थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। उसका ऑनर्स मुंडारी भाषा है, जिसमें पढ़कर वे गांव और अन्य बच्चों को शिक्षित करना चाहती है। पिछली परीक्षा सेमेस्टर-3 में उसने 73.2% नंबर लाए थे। कॉलेज में 3 बार छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भरे, लेकिन कभी छात्रवृत्ति नहीं मिली।
गंभीर पहल हो तो इन योजनाओं का लाभ तत्काल संभव
बिरसा आवास याेजना
राज्य के जनजातियाें काे घर के लिए पीएम आवास याेजना की तर्ज पर झारखंड सरकार की ओर से बिरसा आवास याेजना चलाई जा रही है, लेकिन भगवान बिरसा के परिवार काे इसका भी लाभ नहीं मिल रहा।
छात्रवृत्ति याेजना
एसटी-एससी बच्चाें काे पढ़ाई के लिए केंद्र और राज्य सरकार छात्रवृत्ति याेजना चला रही है। बिरसा की पड़पोती को छात्रवृत्ति मिले तो आगे की पढ़ाई करने में उसे सहूलियत होगी।
बिरसा हरित ग्राम याेजनाइस योजना के तहत एससी-एसटी अपनी जमीन पर पाैधे लगा सकते हैं। इससे उन्हें राेजगार मिलता है। इसमें उन परिवार को चुना जाता है, जिनकी आजीविका खेती पर आश्रित है। हालांकि, बिरसा के परिवार की जमीन पर पौधे नहीं लगे हैं।