नई दिल्ली। भारत सरकार के कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने देश के किसानों को आश्वस्त किया है कि कोरोना महामारी के चलते किसानों के हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा। श्री तोमर आज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए देश के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों के माध्यम से यह संदेष किसानों को दे रहे थे। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के संगठन प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे विशेष रूप से चर्चा में सम्मिलित हुए।
केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह सही है कि अभी थोडा कष्ट किसानों को हो रहा है, लेकिन सरकार सचेत है और किसानों को उनका पूरा हक और राहत देने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। कृषि कार्य में आने वाली वस्तुओं जैसे बीज, कीटनाशक, उपकरण आदि की पूर्ति को आवश्यक सेवाओं में सम्मिलित किया गया है, तथा फसलों की कटाई नहीं रूके, इसके लिए मंत्रालय ने मशीनों को एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाने की अनुमति दी है। दलहन और तिलहन की कटाई पूर्णता की ओर है और देश में गेंहू की कटाई भी 80 प्रतिशत हो चुकी है।
कृषि मंत्री श्री तोमर ने बताया कि उपार्जन की दृष्टि से एफसीआई और नाफेड को तैनात कर दिया गया है। खरीदी समय से हो इसकी चिंता व्यापक स्तर पर की जा रही है। अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए राज्य सरकारें प्रस्ताव भेजती थीं और केंद्र सरकार उस पर मंजूरी प्रदान करती थीं। लेकिन कोरोना महामारी के इस दौर में राज्य सरकारों का समय जाया न हो, इसलिए केंद्र ने अपनी तरफ से राज्य सरकारों को ये ऑर्डर दिये हैं कि वे अपने यहां होने वाली दलहन और तिलहन की फसलों की 25 प्रतिशत तक खरीदी समर्थन मूल्य पर कर सकती हैं। गेंहूं के लिए भी यह कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर खरीदी शुरू करा सकती हैं। इस संबंध में मेरी विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से चर्चा हुई है। अधिकांश राज्य 15 अप्रैल तक और कुछ राज्य कटाई में देरी के चलते अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक गेहूं की खरीदी शुरू कर देंगे। इसमें देरी की संभावना नहीं है।
31 मार्च तक अपना फसल ऋण बैंक में जमा करने वाले किसानों को केंद्र की तरफ से ब्याज सब्सिडी दी जाती है। इस बार 31 मार्च की तारीख लॉकडाउन के बीच आ रही थी, जिसमें किसानों का अपनी उपज बेचना और बैंक तक आना संभव नहीं था। इसलिए हमने यह तारीख 31 मई तक बढ़ा दी है। यानी 31 मई तक कर्ज की राशि बैंक में जमा कराने वाले किसानों को भी ब्याज सब्सिडी मिलेगी। खरीफ की बुवाई के लिए पर्याप्त खाद, बीज और कीटनाशक उपलब्ध रहे, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास कर रही है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीबों को खाद्यान्न की कमी का सामना न करना पड़े इसलिए उचित मूल्य दुकानों से तीन महीनों का राशन उन्हें दिया गया। इसके अलावा इन लोगों को तीन महीनों तक पांच किलो चावल, पांच किलो गेहूं और एक किलो दाल निःशुल्क दिया जाएगा, इसकी व्यवस्था भी की गई है।
प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री किसान योजना की राशि की किश्त अप्रैल के प्रथम सप्ताह में किसानों को दे दी जाएगी। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 7 करोड़ किसानों के खातों में यह राशि पहुंच गई है। प्रधानमंत्री जनधन खातों में से 20 करोड़ 4 लाख खाते महिलाओं के हैं। इन खातों में पैसे पहुंचाने की घोषणा प्रधानमंत्री जी ने की थी। इन खातों में 500-500 रुपए की किश्त पहुंच गई है और करीब 1000 करोड़ रुपये इन महिलाओं ने अपने खातों से निकाल भी लिए हैं। वृद्ध, विकलांग बंधुओं के खातों में 1000 रुपया पेंशन के रूप में जाएं, इसका प्रयास चल रहा है और जल्द ही यह राशि पहुंच जाएगी।
श्री तोमर ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बनी रहे, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। जो प्रवासी मजदूर गांवों में आ गए हैं वे ठीक से रह सकें, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। बीच में रुके हुए मजदूरों के लिए भोजन, आवास, उपचार की व्यवस्था संबंधित राज्य सरकारें कर रही हैं। मनरेगा के अंतर्गत केंद्र की देय राशि राज्यों को दे दी गई है। व्यक्तिमूलक कार्य चल रहे हैं। सामुदायिक कार्य सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए चालू नहीं किए गए हैं। सभी राज्यों से प्लान तैयार रखने के लिए कहा गया है, ताकि 15 तारीख के बाद जो स्थिति बनेगी, उसके हिसाब से काम शुरू हो सके। राज्यों में हेल्थ के क्षेत्र में और ज्यादा काम हो सके, इसके लिए डीएमएफ ट्रस्ट की राशि के उपयोग के लिए संशोधन किया गया है। हार्टीकल्चर के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है।
श्री तोमर ने कहा कि फलों की फसल भी आ गई है। आवाजाही बंद होने से दाम गिर गए हैं। केंद्र की एमआईएस योजना में किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई का प्रावधान है। इसके अनुसार किसानों को हुए नुकसान की आधी भरपाई केंद्र और आधी राज्य सरकारें करती हैं। जिसके लिए राज्य सरकारों को आदेश कर दिये गए हैं। रेल मंत्रालय ने फल व अन्य सामान तेजी से और समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का निर्णय लिया है, इसके लिए काम किया जा रहा है। लॉकडाउन की स्थिति में भारत सरकार लगातार किसानों, गांव और गरीबों की परेशानी कम करने के लिये प्रयास कर रही है। हमारा प्रयास है कि उनका नुकसान न हो और इसे सुनिश्चित करने में हमारी जो भूमिका है उसका निर्वाह कर सकें।
वीडियो कान्फ्रेंस के दौरान श्री तोमर ने कुछ प्रश्नो के उत्तर देते हुए कहा कि लॉकडाउन के इस दौर में भी 1600 से अधिक मंडियां चालू हैं, जिनमें काम हो रहा है। प्रोजेक्ट को और सशक्त बनाया है और कोशिश है कि लोग मंडियों में आकर खरीद कर सकें। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं कि मंडी के बाहर भी खरीद हो सके।
स्वभाविक रूप से लॉकडाउन के कारण जल्दी खराब होने वाले उत्पादों का नुकसान हुआ है। फल और फूल उत्पादक किसानों को नुकसान हुआ है। सरकार की ओर से उनके नुकसान को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकारें इस मामले में सजग हैं और जो जरूरी कार्रवाई होगी, वो करेंगी।
मजदूरों के दो तीन प्रकार हैं। जो मजूदर रास्ते में फंसे हैं, वे स्थायी काम करने वाले हैं। दूसरे मजदूर कांट्रेक्ट लेबर हैं, जो कारखानों में ही काम करते हैं। तीसरे प्रकार के वे मजदूर हैं, जो फसलों की कटाई के लिए जाते हैं। ऐसे समय में हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाने की है, इसके लिए इन मजदूरों को जहां-तहां रोका गया है।
उन्होंने कहा कि किसी भी किसान, मजदूर और अन्य व्यक्ति को कष्ट न पहुंचे, इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। हम सभी आशान्वित है कि यह प्रयास फलीभूत होंगे और हम इस संकट से जल्दी ही बाहर आयेंगे।