रायपुरः बुनियादी शिक्षा का अधिकार (Basic Right To Education) के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों की पढ़ाई का खर्च केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाया जाता है. छत्तीसगढ़ में इस योजना में संशोधन हुआ, यहां 9वीं व 10वीं के छात्रों की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला लिया गया. लेकिन प्रदेश सरकार ने पिछले दो सालों से निजी स्कूलों को करोड़ों रुपए की राशि नहीं दी है.
शिक्षा विभाग का खजाना खाली
स्कूल शिक्षा विभाग ने खजाना खाली होने का हवाला देकर पिछले 2 साल से भुगतान रोक रखा है. 'शिक्षा का अधिकार' के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों को शिक्षा मिला करती थी. प्रदेश में कांग्रेस सरकार आते ही उन्होंने इस योजना को 10 वीं तक के बच्चों के लिए भी लागू कर दिया. इन छात्रों की पढ़ाई का खर्च राज्य सरकार उठाने वाली थी, प्राइवेट स्कूलों में योजना के तहत पढ़ने वाले ये छात्र अब 11वीं में पहुंच गए, लेकिन सरकार ने राशि का भुगतान नहीं किया है.
10 हजार करोड़ रुपए बकाया
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि उन्होंने संचालकों से बात की थी. बताया गया है कि राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया. लेकिन पैसों की दिक्कत होने की वजह से वित्त विभाग ने अब तक बकाया 10 हजार करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर नहीं की.
9वीं में स्कूल छोड़ रहे थे छात्र
जैसा की आप जानते हैं कि RTE के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को निशुल्क शिक्षा मिलती है. प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों को इस योजना के तहत आरक्षित किया जाता है. 2019 में आठवीं तक निशुल्क शिक्षा के बाद सभी छात्र एक साथ स्कूल छोड़ रहे थे. जिसे देखते हुए शासन ने योजना में संशोधन किया और 10वीं तक की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ली.