नई दिल्ली: Bank Privatisation: सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है. कुछ दिन पहले ही सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) ने उन सरकारी बैंकों के नामों की फाइनल लिस्ट विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति (Core Group of Secretaries on Disinvestment) को सौंपी थी. इन्हीं में से कुछ बैंकों का निजीकरण होना है. हालांकि नामों पर अबतक खुलासा नहीं हुआ है.
किन बैंकों का हो सकता है निजीकरण ?
नीति आयोग को दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जिनका निजीकरण किया जाना है, जिसका ऐलान वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में किया गया था. हालांकि किन बैंकों का निजीकरण होगा ये नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कई नामों की चर्चा है. इसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), सेंट्रल बैंक (Central Bank) जैसे बैंकों के नाम शामिल हैं. पहले चरण में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के नामों पर मुहर लगा सकती है. सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्ट में United India Insurance, Oriental Insurance के नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं.
नीति आयोग ने सुझाए ये नाम?
इन नामों के बीच Times of India में छपी खबर के मुताबिक सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. लेकिन इस बीच एक और नाम उभरकर सामने आ रहा है सूत्रों के मुताबिक सरकार बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में भी अपनी हिस्सेदारी को घटा सकती है. सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के प्रस्तावों पर विनिवेश और वित्तीय मामलों का विभाग में विचार विमर्श चल रहा है.
हाल ही में केंद्र सरकार ने IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए कैबिनेट से मंजूर दी है. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में पेश किए गए आम बजट भाषण में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाएगा. इसके लिए बैंकों के नाम का चयन करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गई थी.
हमें SBI जैसे बड़े बैंकों की जरूरत: सीतारमण
बैंकों के निजीकरण को सही ठहराते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश को SBI जैसे बड़े बैंकों की जरूरत है. हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो देश की उम्मीदों को पूरा कर सकें. हाल ही में उन्होंने कहा था कि निजीकरण की वजह से बैंक के कर्मचारियों के हितों के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा. उनकी सैलरी या स्केल या फिर पेंशन का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
'कर्मचारियों के हितों का रखेंगे पूरा ख्याल'
सरकार ने सरकारी कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सा बेचकर इस वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसमें दो सरकारी बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण भी शामिल है. आपको बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में ये लक्ष्य 2.10 लाख करोड़ रुपये था, जिसे सरकार ने घटा दिया है.