डॉ. हर्षवर्धन बोले- विकासशील देशों में अभी वैक्सीनेशन काफी कम; इसलिए ऐसी पहल भेदभावपूर्ण और नुकसानदेह

Posted By: Himmat Jaithwar
6/5/2021

दुनियाभर में कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर चर्चा तेज हो गई है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी वैक्सीन पासपोर्ट की वकालत की है। भारत ने G7 समिट से पहले इसे लेकर चिंता जाहिर की है। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को G-7 प्लस मिनिस्टर लेवल के सेशन में हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा अभी वैक्सीन पासपोर्ट को अनिवार्य करना सही नहीं है। इस तरह की पहल भेदभावपूर्ण साबित हो सकती है। वजह यह है कि विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में अभी लोगों के वैक्सीनेशन का प्रतिशत काफी कम है। इस स्थिति में ऐसी कोई भी पहल ऐसे देशों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

वैक्सीन पासपोर्ट से क्या फायदा?
कोरोना के इस दौर में कई देशों ने संकमण के डर से अपने देशों में बाहरी देशों से आने वाले यात्रियों की एंट्री पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं, जिन देशों में एंट्री खुली हुई है वहां बाहर से आने वाले यात्रियों को लंबे समय के लिए क्वारैंटाइन रहना पड़ता है। अगर वैक्सीन पासपोर्ट लागू कर दिया जाए, तो यात्रियों को क्वारैंटाइन में छूट दी जा सकेगी।

भारत में भी वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी
भारत में अब तक 18 करोड़ 16 लाख 78 हजार 744 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। इनमें से सिर्फ 4 करोड़ 58 लाख 89 हजार 129 लोगों को ही दूसरी डोज दी जा चुकी है। यह भारत की कुल आबादी का सिर्फ 3.3% है। इसलिए वैक्सीन पासपोर्ट की अनिवार्यता से दुनिया की सबसे बड़ी आबादी पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

बोरिस जॉनसन ने दिया था प्रस्ताव
हाल ही में बोरिस जॉनसन ने संकेत दिए थे कि G-7 सम्मेलन के दौरान वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जा सकती है। उनका प्रस्ताव इंटरनेशनल ट्रैवल को आसान बनाने का है, लेकिन इसमें अभी कई समस्याएं हैं। कई देश ऐसे भी हैं जहां पर अभी मैन्युफैक्चरिंग या फिर अन्य समस्याओं की वजह से वैक्सीनेशन पूरी रफ्तार नहीं पकड़ सका है।

11 से 13 जून तक G7 समिट
इस बार 11 से 13 जून तक G7 समिट का आयोजन किया जा रहा है। यह यूनाइटेड किंगडम में होगा। भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी इसमें आमंत्रित किया गया है। महामारी की दूसरी लहर की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में वर्चुअली हिस्सा लेंगे। 2020 में ये सम्मेलन अमेरिका में होने वाला था, लेकिन कोरोना के चलते इसे रद्द करना पड़ा था।

G-8 से G-7
2014 तक G-7 को G-8 के तौर पर जाना जाता था। तब रूस ने क्रीमिया पर अटैक करके उसे अपने कब्जे में ले लिया था। अब भी वहां रूस का ही अधिकार है। तब के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसका सख्त विरोध किया और रूस को इस संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिलहाल अमेरिका के अलावा इस संगठन के दूसरे देश इस तरह हैं- ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, कनाडा और यूरोपीय यूनियन (EU)।



Log In Your Account