भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने ब्याज दरों को बरकरार रखने का फैसला किया है। तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक में यह फैसला किया गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए आरबीआई एकोमोडेटिव स्टांस को बरकरार रखेगा।
ये हैं मौजूदा दरें
- रेपो रेट 4.00%
- रिवर्स रेपो रेट 3.35%
- मार्जिनल स्टैंडिंंग फैसिलिटी रेट 4.25%
- बैंक रेट 4.25%
चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ का अनुमान घटाकर 9.5% किया
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई में हाल ही में आई कमी से थोड़ी गुंजाइश बनी है। विकास की गति हासिल करने के लिए पॉलिसी स्तर पर सभी पक्षों का समर्थन जरूरी है। सामान्य मानसून से इकोनॉमिक रिकवरी में मदद मिलेगी। शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 9.5% कर दिया है। इससे पहले आरबीआई ने 10.5% ग्रोथ का अनुमान जताया था। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.1% रहने का अनुमान जताया है।
17 जून को जी-सिक्युरिटीज खरीदेगा आरबीआई
शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए आरबीआई 17 जून को 40 हजार करोड़ रुपए की जी-सिक्युरिटीज (गवर्नमेंट सिक्युरिटीज) खरीदेगा। दूसरी तिमाही में 1.20 लाख करोड़ रुपए की जी-सिक्युरिटीज खरीदी जाएंगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत का विदेशी पूंजी भंडार 600 बिलियन डॉलर के पार जा सकता है। एमपीसी ने 31 मार्च 2026 तक वार्षिक महंगाई दर को 4% पर बनाए रखने का लक्ष्य दिया है।
अप्रैल में भी दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) पैनल ने अप्रैल 2021 में हुई अपनी पिछली बैठक में भी दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह लगातार छठा ऐसा मौका है जब आरबीआई की अहम दरें वर्तमान स्तरों पर ही बरकरार रखी गई हैं। 2020 में आरबीआई ने 115 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी।
रिजर्व बैंक ने कई बार दरों को घटाया है, पर बैंक इसका पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं देते हैं। पिछले कोरोना से लेकर अब तक रिजर्व बैंक ने दरों में करीब 1.50 पर्सेंट से ज्यादा की कटौती की है। हालांकि, इस समय लोन पर ब्याज की दरें ऐतिहासिक रूप से सबसे कम हैं। यही हाल आपकी बैंक में जमा रकम पर भी है। उस पर भी सबसे कम ब्याज मिल रहा है।
MPC में 6 सदस्य होते हैं
MPC में 6 सदस्य होते हैं। 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। 3 सदस्य RBI का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल हैं।
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर आरबीआई से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नकदी को नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।
होम लोन लाने वालों के लिए पॉजिटिव कदम
प्रॉपर्टी कंसलटेंट फर्म एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि ब्याज दरों में बदलाव ना करना होम लोन लेने वालों के लिए पॉजिटिव कदम है। यह खासतौर पर उन बायर्स के लिए फायदेमंद है जिन्होंने एक्सटर्नल बैंचमार्क रेपो रेट के आधार पर लोन लिया है। इस समय रिटेल लोन की दरें 2 दशक के निचले स्तर पर हैं।