रिटायर एक्सईएन ने ऑनलाइन ठगी में 65.77 लाख की जमा पूंजी गंवाई, पुलिस के एक्सपर्ट ने रात-दिन एक कर 64 लाख बचा लिए

Posted By: Himmat Jaithwar
6/2/2021

जोधपुर। भीतरी शहर में बनियावाड़ा निवासी सेवानिवृत्त एक्सईएन कृष्ण कुमार के मोबाइल पर 24 मई को एक कॉल आया। सामने वाले ने खुद को मोबाइल नेटवर्किंग कंपनी का प्रतिनिधि बताते हुए उनकी सिम बंद होने की जानकारी दी और वापस शुरू करने के लिए उन्हें मैसेज में एक लिंक भेज उस पर क्लिक करने को कहा। इसके कुछ देर बाद ही कृष्ण कुमार के खाते से 6 लाख रुपए निकल गए।

फिर शातिर ने उनके खाते में पड़ी कुल 58 लाख रुपए से अधिक की अलग-अलग एफडी तोड़कर भी रुपए निकालने शुरू कर दिए। खाते के कुल 65.77 रुपए खतरे में आ गए। ये अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी थी। जीवन भर की जमा पंूजी आंखों के सामने खाते से खाली होते देख कृष्ण कुमार के हाथ-पांव फूल गए। वे तुरंत खांडा फलसा पुलिस थाने पहुंचे और अपने साथ हुई ठगी की जानकारी दी।

थानाधिकारी दिनेश लखावत ने तुरंत ही अपने साइबर एक्सपर्ट कांस्टेबल सुरेश विश्नोई को यह केस सौंपा। सुरेश ने कृष्ण कुमार का खाता संभाला तो उसमें से 6 लाख रुपए की नकदी तो गायब मिली ही 58 लाख रुपए की अलग-अलग करवाई गई एफडी में से डेढ़ लाख की एक एफडी भी टूटी पाई।

उसने तुरंत शातिर के ट्रांजेक्शन की डिटेल खंगालनी शुरू की, ताकि पता चल सके कि शातिर ने किस पेमेंट गेट-वे से वो राशि अपने खाते में ट्रांसफर की है। फिर बैंक अधिकारियों से बात की तो उन्होंने एफडी में से रुपए निकलने को असंभव बताया। तब पुलिस ने कृष्ण कुमार का खाता चैक करवाया तो बैंक अधिकारी भी सकते में आ गए।

उन्होंने तुरंत शेष बची सारी एफडी को सुरक्षित किया। इधर, कांस्टेबल सुरेश ने शातिर द्वारा इस्तेमाल किए गए पेमेंट गेट-वे के नोडल अधिकारी से बात कर कृष्ण कुमार के खाते से निकाली गई रकम में से चार लाख रुपए रिफंड करवा दिए। अब शेष राशि को भी वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

ट्रेसिंग की कहानी कांस्टेबल की जुबानी: मैंने रात एक-एक बजे तक काम किया, हार नहीं मानी, यह कामयाबी सबसे बड़ा सुकून
कृष्ण कुमार ने मुझसे मिलते ही कहा कि जिंदगी भर की कमाई चली गई, बचा लीजिए। उनकी यह गुहार मेरे दिल में घर कर गई। मैं तुरंत काम पर लग गया। उस रात एक बजे तक मैंने हर एक लिंक को खंगाला। 65 लाख में से 6 लाख तो शातिर पहले ही निकाल चुका था, लेकिन बड़ी परेशानी तब हुई जब वह एफडी तोड़ने लगा। मैंने सबसे पहले बैंक के जरिए सभी एफडी को सुरक्षित करवाया।

फिर ई-मेल के जरिए उस वॉलेट से संपर्क किया जिससे शातिर ने रुपए अपने खाते में ट्रांसफर किए। जयपुर में उस कंपनी के नोडल अधिकारी से संपर्क हुआ। उन्होंने तुरंत ही शातिर के खाते में ट्रांसफर हुई रकम को वापस लाने के लिए काम शुरू कर दिया। करीब 4 लाख रुपए रिफंड हो गए।

मेरे लिए वो सबसे बड़ा सुकून का पल था। कुल 65.77 लाख रुपए में से 64 लाख रुपए अब सुरक्षित हैं। बची राशि को भी वापस लाने के लिए शातिर का पीछा जारी है। सुरेश अब तक 20 से अधिक साइबर ठगी में पीड़ितों को रुपए वापस दिला चुके हैं।

पुलिस ने सही मायनों में जिंदगी लौटा दी
पिछले दिनों मैं कोरोना होने से पहले ही परेशान था। इस बीच बैंक खाते में पड़ी जीवन भर की पूंजी ठग के हाथ में चली गई तो सब कुछ लुट जाने जैसा लगा। पुलिस की मेहनत से जब 64 लाख रुपए सुरक्षित हो गए तो ऐसा लगा जैसे जिंदगी लौट आई हो। - कृष्ण कुमार, पीड़ित



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