नई दिल्ली। केंद्र सरकार से टकराव के बाद ट्विटर ने नए आईटी नियमों का पालन करने का निर्णय लिया है। सोमवार को सोशल मीडिया कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। कंपनी ने बताया कि उसने भारत सरकार के आई रूल कानून 2021 को लागू कर दिया है। इसके लिए कंपनी ने एक अधिकारी की नियुक्ति 28 मई को ही कर दी थी। हालांकि, कोर्ट में सरकार ने ट्विटर के दावे को खारिज कर दिया है।
वकील अमित आचार्य ने ट्विटर के खिलाफ याचिका लगाई थी। उन्होंने कंपनी पर सरकार के नियम न मानने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि 25 फरवरी को केंद्र सरकार ने नए आईटी नियम जारी किए थे। इस पर कंपनियों को 3 महीने के अंदर अमल करना था। 25 मई को सरकार की तरफ से दिया गया समय खत्म हो गया। इसके बाद ट्विटर ने अब तक शिकायतों के निवारण के लिए अधिकारी की नियुक्ति नहीं की।
सरकार ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को 3 श्रेणियों में बांटा
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को 3 श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में न्यूज पेपर्स या टीवी के अलावा डिजिटल माध्यम में समाचार देने वाले परम्परागत पब्लिशर्स हैं। दूसरी श्रेणी डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स की है। तीसरी श्रेणी में ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स हैं, जो डिजिटल माध्यम से मनोरंजन और दूसरी जानकारियां देते हैं। तीनों कैटेगरी में सरकार ने ये जानकारियां मांगी हैं...
पहली श्रेणी: इसके तहत पब्लिशर्स से से बुनियादी सूचनाएं जैसे नाम, यूआरएल, भाषा, ऐप, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी मांगी गई है। उन्हें टीवी चैनल की अनुमति या न्यूज पेपर्स का आरएनआई रजिस्ट्रेशन नंबर, कॉन्टेक्ट नंबर और शिकायत निवारण की व्यवस्था के बारे में बताना होगा।
दूसरी श्रेणी: इसमें भी तकरीबन पहली श्रेणी वाली जानकारियां मांगी गईं हैं। लेकिन इसमें कंपनी आइडेंटिफिकेशन नंबर और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की जानकारी भी पूछी गई है अगर वे कंपनियां हैं तो।
तीसरी श्रेणी: इसमें भी नाम, पता, यूआरएल, ऐप का नाम पूछा गया है। विदेशी ओटीटी कंपनी को अपने देश का रजिस्ट्रेशन बताना होगा। साथ ही भारत में उसने कब से काम शुरू किया, यह भी जानकारी देनी होगी। ओटीटी को भी शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में जानकारी देनी होगी, जिसमें कंटेट मैनेजर का नाम भी बताना होगा।
टूल किट मामले में भी हुआ था विवाद
टूल किट मामले पर केंद्र सरकार ने ट्विटर को सख्त हिदायत दी थी। सरकार ने ट्विटर से कहा था कि ट्विटर मैनिपुलेटेड मीडिया टैग का इस्तेमाल बंद करे, क्योंकि अभी टूलकिट मामले की जांच एजेंसी कर रही है। केंद्रीय IT मंत्रालय ने कहा था कि एजेंसी टूलकिट के कंटेंट की जांच कर रही है, न कि ट्विटर की।
केंद्र ने कहा था कि जब तक यह मामला जांच के दायरे में है तब तक ट्विटर अपना फैसला नहीं सुना सकता है। दरअसल, ट्विटर ने BJP के प्रवक्ता संबित पात्रा के कुछ ट्वीट पर मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग लगाकर दिखाया था। ये ट्वीट कांग्रेस की टूल किट को लेकर किए गए थे।
बाल आयोग के भी निशाने पर ट्विटर
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी ट्विटर को निशाने पर ले लिया है। आयोग ने बाल यौन शोषण से जुड़े कुछ लिंक्स के सिलसिले में ट्विटर से जवाब मांगा था, जिससे ट्विटर ने इंकार कर दिया। इसके बाद आयोग ने दिल्ली पुलिस से ट्विटर के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है।
ट्विटर पर बाल यौन शोषण के कुछ लिंक मिले
आयोग ने दिल्ली पुलिस को भेजी अपनी शिकायत में कहा है कि ट्विटर पर बाल यौन शोषण के कुछ लिंक मिले हैं। इसके अलावा डार्क वेब पर क्रिएट किए गए कुछ लिंक भी ट्विटर पर दिखाई दिए हैं। जब आयोग ने इस बारे में ट्विटर से जवाब मांगा तो उसने स्पष्ट कह दिया कि ट्विटर इंडिया इस मामले में जवाब नहीं दे सकता है। जबकि, आयोग की जांच में पता चला कि ट्विटर इंडिया के 99 फीसदी शेयर्स ट्विटर के पास हैं। इसके बाद बाल आयोग ने ट्विटर के खिलाफ पुलिस कम्प्लेंट की प्रक्रिया शुरू की।