नई दिल्ली। गुरुग्राम के रहने वाले खेमचंद पिछले एक महीने से वैक्सीन का स्लॉट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक नाकाम रहे हैं। खेमचंद कहते हैं, 'कम से कम वैक्सीन की एक डोज तो मिले, उसके लगाए बगैर हम कैसे फाइट करें...।'
उत्तर प्रदेश के रहने वाले अनूप ने 1 मई को ही वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया था, लेकिन उन्हें अभी तक स्लॉट नहीं मिला है। वैक्सीन का स्लॉट हासिल करना किसी लड़ाई जीतने जैसा बन गया है। खेमचंद और अनूप जैसे लाखों लोग हैं, जिन्होंने कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन तो करा लिया है, लेकिन उन्हें अभी स्लॉट नहीं मिला है।
दिल्ली के रहने वाले सुनील कुमार हर समय अपने मोबाइल फोन पर नजरे गड़ाए रहते हैं। जैसे ही कहीं स्लॉट खाली मिलता है वो अपने किसी परिचित के लिए बुक करने की कोशिश में लग जाते हैं। सुनील कहते हैं, 'मैं कोई ट्रिक नहीं जानता हूं। बस चैट बोट के जरिए खाली स्लॉट चैक करता हूं। जहां दिखता है वहीं अपने किसी परिचित के लिए बुक कर देता हूं। कई बार ऐसा होता है कि जानकारी भरते-भरते ही स्लॉट हाथ से निकल जाता है। बहुत तेज स्पीड से इनपुट एंटर करना होता है। इंटरनेट स्पीड भी फास्ट चाहिए।'
18 + के वैक्सीनेशन की घोषणा के बाद से दिल्ली और उत्तर प्रदेश के सेंटर्स पर वैक्सीन आउट आफ स्टॉक है। कई बार स्लॉट बुक करने के बाद भी सेंटर्स पर वैक्सीन नहीं लग पा रही है।
स्लॉट मिला, बिना वैक्सीन लगे ही जारी हो गया सर्टीफिकेट
जैसे-तैसे अगर स्लॉट मिल भी जाता है तो ये इस बात की गारंटी नहीं है कि वैक्सीन लग ही जाएगी। बुलंदशहर में रह रहे रिसर्च स्कॉलर आशीष शुक्ला ने कई दिनों के प्रयास के बाद स्लॉट बुक किया, लेकिन उन्हें बिना वैक्सीन लगाए ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया।
35 वर्षीय आशीष शुक्ला कहते हैं, 'मैंने दस दिन पहले बुलंदशहर में कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाने के लिए स्लॉट बुक किया था। मुझे 28 मई एक से तीन बजे के बीच का स्लॉट दिया गया था। वैक्सीनेशल सेंटर अगोता बुलंदशहर में था। मैं निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गया था। जब मैं अगोता हेल्थसेंटर पहुंचा तो बताया गया कि 18-44 के बीच वाले लोगों को वैक्सीन लग नहीं रही है।'
आशीष कहते हैं, 'हेल्थसेंटर के कर्मचारियों ने बताया कि अब सेंटर पर नहीं बल्कि गांव-गांव घूमकर वैक्सीन लगाई जा रही है। अभी टीम कसैली नाम के गांव में है। मैं अगोता से कसैली पहुंचा तो वहां वैक्सीनेशन ड्राइव चल रही थी। वहां सभी दस्तावेज दिखाने के बावजूद मुझे वैक्सीन नहीं लगाई गई। उन्होंने अपने सिस्टम में मेरे मोबाइल नंबर से लॉगइन किया और मुझे दिखाया कि 18-44 आयु वर्ग के लिए स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं।'
आशीष वैक्सीन लगवाने अपने घर से बीस किलोमीटर दूर गए थे। जब बिना वैक्सीन लगवाए ही वो घर पहुंच गए तो उनके पास मैसेज आया कि उन्हें वैक्सीन लग गई है और वो सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं। आशीष कहते हैं, 'मुझे वैक्सीन तो लगी नहीं लेकिन सर्टिफिकेट जरूर मिल गया है। पोर्टल पर भी यही अपडेट है कि मैंने वैक्सीन लगवा ली है। अब समझ नहीं आ रहा है कि ये कैसा वैक्सीन ड्राइव चल रहा है।'
आशीष कहते हैं, 'पहले स्लॉट हासिल करने के लिए मशक्कत की। पेटीएम एप पर नोटीफिकेशन लगाया तब कई प्रयास के बाद स्लॉट मिला। अब पूरा दिन वैक्सीन लगवाने के लिए चक्कर काटा लेकिन वैक्सीन नहीं लगी।'
बुलंदशहर के रहने वाले आशीष शुक्ल स्लॉट बुक कर सेंटर पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि अब गांव में घूम-घूम कर वैक्सीन लग रही है। लेकिन, वहां पहुंचने पर उनसे कहा गया कि 18-44 वालों के लिए स्लॉट मौजूद नहीं है। हां उनके फोन पर यह मैसेज जरूर आ गया है कि आप अपना वैक्सीन प्रमाण पत्र डाउनलोड कर लें।
आशीष ने जब कोविन हेल्पलाइन पर फोन किया तो ऑपरेटर ने उनसे दोबारा किसी दूसरे नंबर और दस्तावेज के जरिए रजिस्ट्रेशन कराने का सुझाव दिया। उन्हें बताया गया कि जो गलती हुई है उसमें सुधार संभव नहीं हैं। आशीष को नहीं मालूम की आगे उन्हें क्या करना चाहिए।
चैटबोट से मिल जाती है खाली स्लॉट की जानकारी
भारत सरकार ने व्हाट्सएप चैटबोट 9013151515 जारी किया है जिस पर किसी क्षेत्र का पिनकोड मैसेज करके वहां उपलब्ध स्लॉट की जानकारी हासिल की जा सकती है। सरकार ने कोविन के API (एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस) का एक्सेस पब्लिक किया है जिसके जरिए प्राइवेट डेवलपर भी स्लॉट खाली होने की रियल टाइम जानकारी हासिल कर सकते हैं और उसे चैटबोट या अपने एप के जरिए पब्लिक कर सकते हैं।
कई थर्ड पार्टी एप ने भी नोटीफिकेशन की सर्विस दी है जो चयनित एरिया में स्लॉट खाली होती है अलर्ट भेज देती हैं। ये एप कोविन के डाटाबेस को एक्सेस करके ये जानकारी देती हैं। स्लॉट बुक करने का प्रयास कर रहे लोगों के लिए ये काफी मददगार भी होता है क्योंकि रियल टाइम में अलर्ट मिलने पर यदि तुरंत स्लॉट बुक करने का प्रयास किया जाता है तो स्लॉट मिलने की संभावना अधिक रहती है।
ऐसे मिलता है खाली स्लॉट का नोटिफिकेशन
सभी जिलों के अधिकारी वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर अपने क्षेत्र के स्लॉट कोविन एप पर खोलते हैं। आमतौर पर ऐसा शाम 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है। ये स्लॉट वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर खोले जाते हैं।
जिलास्तर से कोविन पोर्टल पर डाटा अपलोड किया जाता है जिसे आरोग्य सेतु एप या फिर कोविन पोर्टल पर रिफ्लेक्ट किया जाता है। थर्ड पार्टी एप (जैसे की पेटीएम) या चैटबोट कोविन के डाटाबेस को एक्सेस करते हैं और दर्ज किए गए पिनकोड के आधार पर सर्च करते हैं। ये चंद सेकंड के भीतर ही यूजर को पिनकोड के आधार पर वैक्सीन स्लॉट की जानकारी दे देते हैं। यदि स्लॉट उपलब्ध नहीं होता है तो यूजर को बताया जाता है कि दर्ज किए गए इलाके में कोई स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं। यदि आप शाम छह बजे के बाद स्लॉट चैक करेंगे तो अधिक उपलब्धता नजर आएगी क्योंकि ज्यादातर अपलोडिंग शाम छह बजे के बाद ही की जाती है।
युवाओं का कहना था कि वैक्सीन स्लॉट देखते-देखते ही गायब हो जाता है। ग्रामीणों इलाकों में लोगों का कहना था कि अगर आपके इलाके में इंटरनेट की स्पीड अच्छी नहीं और आप तेजी से फोन का इस्तेमाल कर सूचनाएं नहीं भर पाते तो आप वैक्सीन बुक ही नहीं कर पाएंगे।
अब थर्ड पार्टी एप पर रजिस्ट्रेशन भी हो सकेगा
जल्द ही सरकार आरोग्य सेतु और कोविन के अलावा थर्ड पार्टी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए वैक्सीन स्लॉट बुक करने की सुविधा देने जा रही है। इसके लिए आदेश पारित कर दिया गया है। इन थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के जरिए वैक्सीनेशन का सर्टीफिकेट भी हासिल किया जा सकेगा।
जो एप कोविन डाटाबेस को एक्सेस करना चाहती हैं उन्हें कोविन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। सरकार का कहना है कि ऐसा जनता की सुविधा के लिए किया जा रहा है। लेकिन इन एप को भी डाटा कोविन पोर्टल पर ही अपडेट करना होगा।
सरकार के इन सभी कदमों से नागरिकों को वैक्सीनेशन के बारे में अधिक सरलता से जानकारियां तो मिल रही हैं। लेकिन वैक्सीन की अनुपलब्धता की वजह से उन्हें स्लॉट नहीं मिल पा रहा है। इससे लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
आसानी से नहीं मिलता स्लॉट
अमित सक्सेना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए ट्विटर पर लिखते हैं, 'अगर वैक्सीन नहीं है तो स्पष्ट बताएं। डेट शेड्यूल करते समय स्लॉट कैसे फुली बुक्ड शो होते हैं जबकि नार्मल सर्च पर स्लॉट ओपन शो होते हैं।'
नोएडा की रहने वाली 27 वर्षीय मिताली कई दिनों से स्लॉट बुक करने की कोशिश कर रहीं थीं। कई प्रयासों के बाद उन्हें ग्रेटर नोएडा में स्लॉट मिल गया और वो वैक्सीन लगवाने में कामयाब रहीं।
बड़े शहरों में भी स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं
हमने केंद्र सरकार के चैटबोट के जरिए कई शहरों की जानकारी हासिल करने की कोशिश की। इसमें बस आपको व्हाट्सएप पर पिनकोड मैसेज करना होता है और चैटबोट कुछ सेकंड में ही आपको वैक्सीन स्लॉट की ताजा जानकारी दे देता है।
सुबह 11 बजे चैक करने पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अगले तीन दिनों के लिए कहीं भी 18-44 आयु वर्ग के लिए स्लॉट उपलब्ध नहीं था। लखनऊ के बीआरडी अस्पताल में 29 मई के लिए इस आयुवर्ग का एक स्लॉट दिखा भी लेकिन आरोग्य सेतु एप खोलते-खोलते वो भी हाथ से निकल गया। यानी स्लॉट दिखने के कुछ सेकंड के भीतर ही अनुपलब्ध भी हो जाते हैं। इसकी एक वजह तो अधिकारी यही बताते हैं कि उपलब्ध वैक्सीन के मुकाबले बुक करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।
कुछ लोगों का यह भी कहना था कि फिलहाल सभी सेंटर्स पर कोवीशील्ड की उपलब्धता है। ऐसे में उन लोगों को परेशानी हो रही है, जिन्हें पहली डोज कोवैक्सीन की लगी है। समय हो जाने के बाद भी कोवैक्सीन न होने के कारण उन्हें दूसरा डोज नहीं लग पा रहा है।
हालांकि शाम को डाटाबेस फिर से अपडेट होने के बाद स्लॉट फिर से दिखने लगे। रात दस बजे चैक करने पर 18-44 आयुवर्ग के लिए 29 मई के लिए बीआरडी अस्पताल में कोवीशील्ड का कोई स्लॉट नहीं दिख रहा था लेकिन कोवैक्सिन की दूसरी डोज के 83 स्लॉट दिख रहे थे।
दरअसल कोवैक्सीन की दो डोज के बीच 4-6 सप्ताह का अंतर होना चाहिए और सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है। यानी जिन लोगों ने मई के पहले सप्ताह में कोवैक्सीन की डोज लगवाई है उन्हें अब दूसरी डोज दी जानी चाहिए।
वहीं कोवीशील्ड की दूसरी डोज लगाने का अंतर बढ़ाकर 12 सप्ताह तक कर दिया गया है। इसलिए ही कोवीशील्ड की दूसरी डोज के स्लॉट नहीं दिख रहे हैं।
बिहार की राजधानी पटना के अधिकतर हिस्सों में किसी भी आयुवर्ग के लिए स्लॉट उपलब्ध नहीं थे। वहीं राजधानी दिल्ली में सिर्फ 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए सीमित स्लॉट उपलब्ध थे। यहां 18-44 आयुवर्ग के लिए अपोलो अस्पताल में एक स्लॉट उपलब्ध दिखा रहा था, लेकिन वो भी कोविन एप पर नहीं मिल सका।
कोवीशील्ड का स्टॉक है, कोवैक्सीन नहीं
पश्चिमी दिल्ली की जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर रंजना के मुताबिक, 'कोवीशील्ड वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है, लेकिन कोवैक्सीन की उपलब्धता निरंतर नहीं हैं।' वहीं दिल्ली के निजी अस्पतालों में 18-44 आयुवर्ग के लिए भी वैक्सीन लगाई जा रही है लेकिन अब वॉक इन वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है।
पटपड़गंज के मैक्स अस्पताल में फिलहाल कोई स्लॉट उपलब्ध नहीं था। अस्पताल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, 'शाम को छह बजे के करीब 25 स्लॉट खाली होंगे। तब जो पहले ट्राई करेगा, उसे स्लॉट मिल जाएगा।' हालांकि शाम छह बजे ट्राई करने पर स्लॉट नहीं दिखे।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी कहीं भी 18-44 आयुवर्ग के लिए स्लॉट उपलब्ध नहीं दिख रहे हैं। नोएडा के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी नीरज त्यागी के मुताबिक अभी सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है। नीरज कहते हैं, 'जब वैक्सीन की उपलब्धता होती है, तब ही स्लॉट दिखते हैं।'
नीरज त्यागी के मुताबिक, 'कई वर्कप्लेस पर डाक्यूमेंट के जरिए बिना रजिस्ट्रेशन के भी वैक्सीनेशन हो रहा है लेकिन वहां भी पहले से अप्रूव्ड सूची में शामिल लोगों को ही वैक्सीन लग रही है।'
इस समय उपलब्ध होते हैं स्लॉट
वैक्सीनेशन से जुड़े जिन अधिकारियों से हमने बात की उनका कहना था कि शाम को 6 से 8 बजे के बीच उपलब्ध स्लॉट की जानकारी सर्वर पर अपडेट की जाती है। इसके बाद जैसे-जैसे स्लॉट भरते रहते हैं, सर्वर उन्हें अपडेट करता रहता है।
पूर्वी दिल्ली की जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. वीना वर्मा के मुताबिक इस समय वैक्सीन की किल्लत की वजह से कम स्लॉट उपलब्ध हो पा रहे हैं। वीना कहती हैं, 'हमें शाम तक उपलब्ध वैक्सीन का डाटा मिलता है जिसके बाद हम अवेलेवल स्लॉट की जानकारी पोर्टल पर अपडेट करते हैं।' हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि रोजाना औसतन कितने स्लॉट उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। दिल्ली और यूपी के कई अन्य जिलों के जिला प्रतिरक्षण अधिकारियों ने भी ये डाटा नहीं दिया। सबने एक जैसा ही जवाब दिया, 'अभी वैक्सीन की किल्लत है, जितनी डोज उपलब्ध होती हैं, उतने स्लॉट अवेलेवल करा दिए जाते हैं।'
अभी क्या है वैक्सीनेशन की स्थिति
भारत सरकार ने कहा है कि दिसंबर 2021 तक देश भर में वैक्सीनेशन पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि देशभर में वैक्सीनेशन का काम इस साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। 28 मई तक भारत में बीस करोड़ 57 लाख 20 हजार से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। इनमें से 161,850,092 पहले डोज लगे हैं जबकि 43,870,568 दूसरे डोज लगे हैं। सबसे ज्यादा 21,639,836 डोज महाराष्ट्र में लगाए गए हैं जबकि उत्तर प्रदेश में अब तक 17,355,300 डोज लगे हैं। भारत सरकार ने एक मई से 18 से 44 साल के लोगों के लिए देशभर में वैक्सीनेशन शुरू किया था। तब से ही वैक्सीन की किल्लत हो रही है।