रामायण: 'सुग्रीव' की कास्टिंग के लिए परेशान थे रामानंद सागर, भगवान राम का नाम लेकर सोए और अगले दिन हुआ था ये चमत्कार

Posted By: Himmat Jaithwar
4/10/2020

रामानंद सागर की 'रामायण' का प्रसारण एक बार फिर से दूरदर्शन पर जारी है। पुन: प्रसारण की खास बात है कि इस बार भी रामायण को दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिल रहा है। पुन: प्रसारण के साथ ही हम अपने पाठकों को शो से जुड़े कई किस्से बता रहे हैं। ऐसे में आपको बताते हैं इस शो से जुड़े कुछ और किस्से, जिसमे शामिल है कि आखिर कैसे सुग्रीव की कास्टिंग हुई थी और कैसे मिला था रामानंद सागर को अपना 'रावण'।

रामानंद सागर की रामायण में हनुमान का किरदार दारा सिंह ने निभाया था। इस बारे में रामायण के सह -निर्देशक प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'दारा सिंह से हमारे परिवार जैसे संबंध थे और वो एक अनुशासित व्यक्ति थे।' रामायण में हनुमान के किरदार के लिए दारा सिंह के मेकअप पर लगभग 3 से 4 घंटे का समय लगता था। दारा सिंह खुद भी एक हनुमान भक्त थे।

गुजरात के उमरगांव में चली रामायण कि शूटिंग देर रात तीन-तीन बजे तक होती थी। सभी कलाकारो का खासा ध्यान रखा जाता था और कमाल की बात है कि कोई भी कलाकार शूटिंग के दौरान बीमार नहीं पड़ा। रावण के रोल में गुजराती अभिनेता अरविन्द त्रिवेदी को कास्ट किया गया। प्रेम सागर कहते ने कहा था कि अरविंद को देखते ही रावण की छवि सामने आई और हमें हमारा रावण गुजरात में मिला।

प्रेम सागर ने बताया था, 'रामायण के सभी मुख्य कलाकारो का चयन हो चुका था, पर रामानंद सागर ने सुग्रीव के रोल के लिए किसी को नहीं चुना इस बात से घबराए रामानंद सागर ने मन में भगवान राम को याद किया और सो गए। अगली सुबह रामायण के सेट्स पर इंदौर से एक बड़ी डील-डौल का पहलवान पहुंचा और उसने कहा कि वो सुग्रीव का रोल करना चाहता है और उसे तुरंत सुग्रीव के रोल के लिए कास्ट कर लिया गया।'
रामायण में काम करने वाले जूनियर आर्टिस्ट की गिनती कभी नहीं की गई। प्रेम सागर ने कहा था कि रामायण में लड़ाई के सीन में अगर लोग कम पड़ते थे तो आस पास के गाँव वाले जूनियर आर्टिस्ट बन जाते थे। वहीं लगातार छह सिल्वर जुबली सुपरहिट फिल्में बनाने के बाद रामानंद सागर ने जब टीवी पर रामायण बनाने का फैसला किया तो उनके सभी साथी अचंभित थे।


गौरतलब है कि रामायण ने भारतीय टेलीविजन इतिहास में नए मुकाम हासिल किए हैं। इसके हर दृश्य को जीवन्त बनाने में खासा मेहनत की गई थी। 1944 में एक ज्योतिष ने रामानंद सागर का हाथ देखकर ये भविष्यवाणी की थी कि वो अपने जीवन के अंतिम दिनों में श्री राम के जीवन को फिर रचेंगे।



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