कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वियतनाम में वायरस के नए वैरिएंट की पुष्टि हुई है। दावा है कि यह हवा के जरिए तेजी से फैलता है। वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री गुयेन थान लॉन्ग ने बताया कि इस वैरिएंट में सबसे पहले भारत और ब्रिटेन में मिले B.1.617 से मिलते-जुलते स्ट्रेन हैं। वैज्ञानिकों ने हाल ही में संक्रमित हुए कुछ मरीजों को इन्फेक्ट करने वाले वायरस की जेनेटिक स्टडी की। इसमें इस नए स्ट्रेन की पुष्टि हुई। पहले ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत में कोरोना का नया स्ट्रेन कोहराम मचा चुका है।
इससे पहले वियतनाम में सात वैरिएंट फैल चुके
कोरोना का यह वैरिएंट गले में तेजी से बढ़ता है और तेजी से आसपास के माहौल में फैलता है। हालांकि लॉन्ग ने यह नहीं बताया कि अभी वियतनाम में इस नए वैरिएंट के कितने केस आए हैं। इससे पहले भी वियतनाम में सात वैरिएंट फैले हुए थे।
कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए
लॉन्ग का कहना है कि देश में बढ़ते मामलों के पीछे नया वैरिएंट जिम्मेदार हो सकता है, जो देश में 30 से ज्यादा इलाकों में फैल चुका है। इसके बाद से यहां कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। कुछ जगहों पर धार्मिक कार्यक्रमों के बाद मामले बढ़ते देखे गए, जिसके बाद उन पर रोक भी लगा दी गई है। ज्यादातर बड़े शहरों में भीड़ जमा होने पर प्रतिबंध है। पब्लिक पार्क, रेस्तरां, बार, क्लब और स्पा भी बंद हैं।
वैक्सीनेशन भी चल रहा
9.7 करोड़ की आबादी वाले वियतनाम में फिलहाल एस्ट्रोजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। यहां अब तक 10 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। हाल ही में अमेरिकी कंपनी फाइजर के साथ 3 करोड़ डोज की डील की गई है। जल्द ही मॉडर्ना के साथ भी डील होने की उम्मीद है।
अब तक 6,900 से ज्यादा केस और 47 मौतें
यहां अब तक कोरोना के 6,908 केस आए हैं। इनमें से 47 लोगों की मौत हुई है। डराने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर केस मई के महीने में आए हैं। फिलहाल देश में एक्टिव केस यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 3,965 है और 2,896 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं।
पहली लहर पर काबू पाने कामयाब रहा था वियतनाम
कोरोना की पहली लहर से निपटने में वियतनाम की रणनीति की दुनियाभर में तारीफ हुई थी। चीन से शुरू हुआ वायरस भी पड़ोसी देश वियतनाम में नहीं फैल पाया था। वहां की सरकार ने शुरुआत में बड़े स्तर पर क्वारैंटाइन और स्ट्रिक्ट कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी थी। इसी वजह से यहां पहली लहर ज्यादा खतरनाक नहीं हो पाई थी।