प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश की जनता को संबोधित किया। कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि चुनौती कितनी ही बड़ी हो, भारत का विजय का संकल्प भी उतना ही बड़ा रहा है। सेवाभक्ति और अनुशासन ने देश को हर तूफान से बाहर निकाला है। जल-थल-नभ तीनों सेना के सभी जवान कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे हुए हैं। पूरे देश को उन पर गर्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर्स और नर्सों ने लगातार काम किया और आज भी कर रहे हैं। इन वॉरियर्स पर चर्चा करने का मुझसे आग्रह किया गया है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग अचानक बढ़ गई। काफी प्लांट पूर्वी हिस्सों में हैं, जहां से इसे पहुंचाने में दिक्कत आती है। इसमें हमारे टैंकर और ट्रेन ड्राइवर्स ने आगे आकर देश के लिए अपने कर्तव्य को निभाया।
अब हम आपदाओं में ज्यादा जान बचा पा रहे
मोदी ने आगे कहा कि ताऊ ते और यास तूफान से देश लड़ा और कम से कम जनहानि सुनिश्चित की। पिछले कुछ सालों में हम आपदाओं में ज्यादा से ज्यादा जान बचा पा रहे हैं। संकट की घड़ी में जिस धैर्य, साहस और अनुशासन से आपदा प्रभावित राज्यों के लोगों ने काम किया, उनका धन्यवाद। जो लोग मदद के लिए सामने आए उन्हें सैल्यूट करता हूं। केंद्र और राज्य सभी मिलकर इन आपदाओं से लड़े। जिन्होंने अपनों को खोया, उन्हें सैल्यूट करता हूं।
कोरोना वॉरियर्स से मोदी के मन की बात
1. दिनेश उपाध्याय, ऑक्सीजन टैंकर ड्राइवर
- दिनेश- मैं ऑक्सीजन का टैंकर चलाता हूं। 15 से 17 साल हो गया ऑक्सीजन का टैंकर चलाते हुए। सर हमारा काम ही ऐसा है कि हमारी कंपनी आईनॉक्स भी हमारा बहुत ख्याल रखती है। जब हम किसी को ऑक्सीजन देते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है।
- मोदी- पहले की तुलना में अब जब ऑक्सीजन देने जाते हैं तो क्या रहता है दिमाग में आपके?
- दिनेश- हमें खाली अपने कर्तव्य को वक्त से पूरा करने का ख्याल रहता है। अगर टाइमली ऑक्सीजन पहुंचने पर किसी का जीवन बचता है तो हमारे लिए वही जरूरी होता है।
- मोदी- लोगों के नजरिए में बदलाव आया है?
- दिनेश- पहले हम जाम में फंसे रहते थे। अब बहुत मदद मिलती है। प्रशासन भी मदद करता है। अस्पताल पहुंचते हैं तो अस्पताल वाले विक्ट्री साइन दिखाते हैं। वी का इशारा करते हैं। हमें लगता है कि अच्छा काम किया होगा, जो इस सेवा का मौका मिला है। बच्चों को फोन पर बताते हैं। 8-9 महीने में घर जाते हैं। बच्चे बोलते हैं कि पापा काम करो पर सेफ्टी से करो।
2. शिरिसा गजनी, ऑक्सीजन एक्सप्रेस की लोको पायलट
- मोदी- माताओं-बहनों को सुनकर गर्व होगा कि एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस पूरी तरह महिलाएं ही चला रही हैं। मैंने शिरिसा जी को आमंत्रित किया है। आपको मोटिवेशन कैसे मिला? सामान्य दिनों में रेलवे को सेवाएं दीं, अब ऑक्सीजन की डिमांड के वक्त में आपको कैसा लगता है?
- शिरिसा- मुझे अपने माता-पिता से मुझे मोटिवेशन मिला। मुझे लगा कि सभी सपोर्टिव हैं। मुझे ग्रीनकार्ड मिला। 125 किलोमीटर डेढ़ घंटे में पहुंच जाते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बहुत सपोर्ट मिल रहा है।
- मोदी- आपके माता-पिता और बहनों को प्रणाम इस सेवा के लिए और इस जज्बे के लिए।
3. एके पटनायक, एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन
- मोदी- कोरोना के वक्त आप बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, एक फौजी के नाते अलग तरह का काम किया है, आज आप जिंदगी बचाने के लिए दौड़ रहे हैं। पहले मरने-मारने के लिए दौड़ते थे।
- पटनायक- संकट के वक्त देश की मदद कर सकते हैं ये सौभाग्य का काम है। जो भी मिशन मिला है, उसे बखूबी से निभा रहे हैं। हमें जो संतोष मिल रहा है, वो बहुत ज्यादा है। एक महीने से हम ऑक्सीजन देश-विदेश से उठा रहे हैं। 107 इंटरनेशनल मिशन किए हैं, 3 हजार से ज्यादा घंटे तक उड़ान भरी है। लगातार एयरफोर्स ऑपरेशन कर रही है। सिंगापुर, दुबई, जर्मनी और यूके से ऑक्सीजन लेकर आए। ये मिशन बहुत शॉर्ट नोटिस पर प्लान किए जा रहे हैं।
- मोदी- इस पर देश गर्व का अनुभव करता है कि जल-थल-नभ के सभी जवान कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे हुए हैं।
- पटनायक- हम जी-जान से जुटे हुए हैं। मेरी बेटे भी साथ में है अदिति।
ग्रुप कैप्टन की बेटी से भी चर्चा की
- अदिति ने पीएम से कहा कि मैं 11 साल की हूं और पिता के काम पर मुझे गर्व महसूस होता है। मेरे पिता देशों से ऑक्सीजन टैंकर लाते हैं और कोरोना पीड़ितों की मदद करते हैं। वो आज कल घर पर रह भी नहीं पाते हैं और मैं उन्हें मिस करती हूं।
- मोदी- बेटा ये जान बचाने वाला काम सभी को पता चला है, जब साथी तुम्हारे जानते होंगे तो तुम्हें बहुत सम्मान से देखते होंगे।
- अदिति- मेरे फ्रैंड कहते हैं कि पापा तुम्हारे इतना अच्छा काम कर रहे हैं तो मुझे गर्व होता है। मेरे रिश्तेदार भी डॉक्टर हैं, जो दिन-रात लगे हुए हैं। ये सबकी कोशिशें हैं, जिनके दम पर हम कोरोना की लड़ाई जीतेंगे।
- मोदी- हमारे यहां कहते हैं कि बेटी जब बोलती है तो उसकी जुबान में सरस्वती विराजमान है, जब आप बोल रही हो तो आपकी जुबान ईश्वर की बात बन जाती है।
- अदिति- मेर हॉबी स्वीमिंग और बास्केटबॉल है। लॉकडाउन और कोरोना के दौरान मैं स्केटिंग और कुकिंग करती हूं। पापा जब लौटते हैं तो उनके लिए कुकीज बनाती हूं।
4. कोरोना टेस्टिंग लैब के टेक्निशियन
प्रकाश कांडपाल, लैब टेक्नीशियन, दिल्ली
- मोदी- प्रकाशजी अपने बारे में बताइए? कोरोना के वक्त आपका क्या अनुभव रहा है?
- प्रकाश- मेरा अनुभव 22 वर्षों का है। कोविड के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत दबाव पड़ा है। इस संकट में हमसे ज्यादा प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। हम उस पर खरा उतरते हैं तो गौरव की अनुभूति होती है। घर वाले डरते हैं तो कहता हूं कि हमारे देश के जवान हमेशा देश की रक्षा करते हैं और घर से दूर रहते हैं। उनकी तुलना में हमारा जोखिम काफी कम है। यही कहकर हम अपने काम में लगे रहते हैं।
- मोदी- सरकार लोगों से दूरी बरतने को कहती है और आपको कोरोना के सामने रहना पड़ता है। काम के घंटे भी बढ़ गए हैं। अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं ना?
- प्रकाश- सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है, प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हैं। अभी तक मेरा परिवार और जानने वाले संक्रमण से बचे हुए हैं। सावधानी रखते हैं तो हम इससे बच सकते हैं।