कोरोना की भयावह दूसरी लहर का सामना कर रहे भारत के लोग इसे लेकर न सिर्फ बेहद चिंतित हैं, बल्कि इस महामारी से निपटने के तरीके पर भी सरकार से काफी नाखुश हैं। दुनिया की जानी-मानी मार्केट रिसर्च कंपनी IPSOS के ताजा मासिक सर्वे के मुताबिक कोरोना को लेकर सरकार के काम करने की दिशा से मई में 48% शहरी असंतुष्ट हैं, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 37% था।
दूसरे शब्दों में कहें तो फिलहाल देश के हर दूसरे शख्स का मानना है कि सरकार कोरोना को लेकर गलत दिशा में काम कर रही है, जबकि एक महीने पहले तीन में एक शख्स ऐसा मानता था। बात अगर सबसे बड़ी चिंताओं की करें तो कोरोना के बाद भारतीयों की दूसरी सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी है। वहीं, खराब स्वास्थ्य सेवाएं उनकी तीसरी बड़ी चिंता है।
सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया के लोग अपनी सरकार से सबसे ज्यादा संतुष्ट
सर्वे में शामिल सऊदी अरब के 88 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया के 62 फीसदी नागरिकों ने बताया कि उनका देश सही दिशा में है और 'सबसे आशावादी बाजार' है। सर्वे ने ये भी जाहिर किया कि कोलंबिया के 91 फीसदी, पेरु के 83 फीसदी और अर्जेंटीना के 81 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका देश गलत ट्रैक पर है और निराशावाद में सबसे ऊंचा पायदान है।
बेरोजगारी को लेकर 44% और खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर 30% भारतीय चिंतित
अप्रैल 2021 के मुकाबले मई में भारत के शहरी लोगों की निराशा का लेवल बढ़ता हुआ नजर आया। कम से कम तीन में से दो भारतीयों ने कोरोना वायरस महामारी को सबसे चिंताजनक (66 फीसदी) बताया और अप्रैल 2021 के मुकाबले चिंता के स्तर में 21 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।
इस सर्वे में लोगों ने बेरोजगारी को दूसरा नंबर 44 फीसदी दिया, जबकि हेल्थकेयर तीसरी सबसे बड़ी चिंता के तौर पर 30 फीसदी के साथ उभरी। आर्थिक/ सियासी भ्रष्टाचार चौथी चिंता (24 फीसदी) देखी गई क्योंकि अप्रैल के बाद से 11 फीसदी की गिरावट सामने आई, जबकि गरीबी और सामाजिक असमानता पांचवीं सबसे बड़ी चिंता (21 फीसदी) थी। 28 देशों का ग्लोबल एडवाइजर सर्वे 23 मार्च और 7 मई, 2021 के बीच IPSOS के जरिए किया गया था।
एक साल के दौरान कोरोना के आंकड़ों के साथ घटती और बढ़ती रही चिंता