नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और हरियाणा में गुनाह की दुनिया में कुछ बरसों से बदलाव आया है। दोनों राज्यों की पुलिस को इसका अंदाजा था, लेकिन ओलिंपिक चैंपियन सुशील कुमार की गिरफ्तारी ने सबको चौंका दिया है। अब खेल-खेल में ये खेल इतना खतरनाक हो गया है कि कई बार खेलने वाले का ही खेल खत्म कर देता है। चाहे आपको बाउंसर चाहिए या पीएसओ या फिर कहीं धमकी दिलवानी हो, या चाहे जमीनों पर कब्जा करना हो। इन सबके अलावा भी कोई अपराध करवाना हो तो ये सब काम आसानी से करने को तैयार हैं। आपको आम चुनाव में नेताओं के साथ भी ये पहलवान अक्सर देखने को मिलेंगे। 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में ये पहलवान कई उम्मीदवारों के साथ भी दिखाई दिए थे।
पहलवानों की धरती कहे जाने वाले हरियाणा की बात करे तो अब यहां पहलवानों की आड़ में जम कर पैसा इकट्ठा करने का काम चल रहा है। राज्य में बड़े व्यापारियों को धमकी देने और पैसे वसूलने के मामले सामने आते रहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार गुरुग्राम में कौशल गैंग ने पुष्पांजलि हॉस्पिटल और ओम स्वीट्स के मालिकों को धमकी दी थी। इस गैंग के कुछ सदस्यों के नाम फरीदाबाद के कांग्रेसी नेता विकास चौधरी को भी वसूली के कारण गोली मार कर हत्या करने के मामले में सामने आए थे।
मामला दर्ज भी हो जाए तो कार्रवाई की गारंटी नहीं
दिक्कत ये है कि खुद पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में रहती है, क्योंकि इस प्रकार के अपराधों में शामिल पहलवानों की जानकारी पहले से ही पुलिस के पास रहती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर होता कुछ भी नहीं है। अधिकतर लोग तो इन पहलवानों के डर के कारण पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करवाते है और यदि किसी ने मामला दर्ज करवा भी दिया तो पीड़ित पक्ष को ये लोग गवाही न देने की धमकी दे देते हैं और अदालत से बड़ी आसानी से बच निकलते हैं। दिल्ली में अनेकों मुकदमों में हरियाणा के अपराधियों के नाम सामने आते हैं। इन दिनों अपराध की दुनिया में बड़ा नाम नीरज बवाना का है।
नोएडा में भी फल-फूल रहा है बदमाशों का धंधा
उत्तर प्रदेश में भाटी गैंग का बोल-बाला है। यदि आप गुरुग्राम या दिल्ली के किसी बड़े कॉरपोरेट ऑफिस में जाएंगे तो आपको इन पहलवानों के दर्शन हो जाएंगे। कॉरपोरेट के लोग इन पहलवानों को इसलिए रखते है कि उनको कोई दूसरे अखाड़े का पहलवान तंग न करे या वसूली ना मांगे। इनके पास हथियार भी खुलेआम देखे जा सकते हैं। जिसके जवाब में इनका यही कहना होता है कि ये हथियार तो लाइसेंस वाला है।
आपको पहले निजी सेक्टर में दरवाजों पर सुरक्षा गार्ड मिलते थे, लेकिन आज की बात करें तो चाहे हॉस्पिटल हो या मॉल या फिर कोई कॉरपोरेट ऑफिस, हर जगह पहलवान ही दरवाजों पर खड़े मिलते हैं और अगर जरा भी किसी ने कुछ कहा तो उसके साथ मारपीट करने में देर नहीं करते। चंद दिनों पहले ही एक मरीज को दाखिला ना मिलने के कारण परिवार के लोगों ने विरोध किया तो दिल्ली के हॉस्पिटल के बाउंसरो ने परिजनों को काफी मारा-पीटा था।
करोड़ों में होती है इनकी कमाई
सूत्रों की मानें तो दिल्ली और उसके साथ लगे हरियाणा में इन पहलवानों की कमाई लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में होती है। जिसमें काला जठेडी व राजू बसोदी और अक्षत पलड़ा बड़े नाम हैं। हरियाणा के सोनीपत व गुरुग्राम में बढ़ती जमीन की कीमतों के कारण इनकी नजर उस पर कब्जा जमाने की भी रहती है। जब मालिक को कब्जे का पता चलता है तो कब्जा खाली करने के नाम पर लाखों रुपए लिए जाते हैं। जानकारों का ये भी कहना है कि इस काम को अंजाम देने वाले कई बड़े आका सामने नहीं आते। वो केवल विदेश में बैठ कर अपने नौकरों से काम करवा रहे हैं। हाल ही में गैंगस्टर कौशल को हरियाणा पुलिस ने पकड़ा था। जिसके सम्पर्क में कई पहलवान भी थे, जो उसके इशारों पर काम करते थे।
पहलवान योगेश्वर दत्त का कहना है, ‘छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान की हत्या का मामला बेहद दुखद है और ये कुश्ती के लिए बहुत नुकसानदायक है। मैं इससे आहत हूं। चंद दिनों पहले रोहतक के स्टेडियम में भी गोलीबारी में एक साथ कई हत्याएं की गई थीं। जो खेल जगत के लिए सही नहीं है। युवाओं को सिर्फ खेल पर ध्यान देना चाहिए और अपनी ताकत का सही उपयोग करना चाहिए। जेलों में बंद सभी अपराधी पहलवान नहीं है। अगर आपस में कोई बात हो भी जाती है तो उसे मिल-बैठ कर सुलझाया जाना चाहिए।’
इस प्रकरण को लेकर हमने कई अधिकारियों और बड़े पहलवानों से बात करने की कोशिश की तो वे इससे खुद को बचाते नजर आए। बड़ी बात ये है कि आखिरकार क्यों हर कोई इस प्रकरण से अपना दामन बचाना चाहता है? पीड़ित लोग भी फोन करने पर सॉरी बोल कर फोन काट देते हैं। लगता है कि मौत का डर हर किसी के दिल में बैठा हुआ है ।