कोटा। देश को आजाद हुए 70 साल बीत चुके है, लेकिन अभी भी कई गांव आधारभूत सुविधाओं को तरस रहे है। हर बार चुनावों में विकास के दावे किए जाते हैं, लेकिन ये विकास के दावे गांवों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते है। नतीजा गांव के वासी बिजली, सड़क व पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से दूर रह जाते है। कोटा जिले में भी एक ऐसा गांव है, जहां आज भी एक पानी की एक बड़ी टंकी नहीं है। यहां लोग पीने का पानी आसपास के बोरिंग वालों से खरीदते हैं। इसके एवज में 300 रुपए महीने का भुगतान करते है। कई लोग दूर दूर से पानी लाते हैं।
गणेशगंज की आबादी लगभग 6 हजार है। यहां हर बार सरपंच पद के चुनाव में पीने का पानी बड़ा मुद्दा बनता है।
हम बात कर रहे है गणेशगंज ग्राम पंचायत की। गणेशगंज की आबादी लगभग 6 हजार है। यहां हर बार सरपंच पद के चुनाव में पीने का पानी बड़ा मुद्दा बनता है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार पानी की टंकी निर्माण का वायदा करते है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वायदा पूरा नहीं कर पाते। ऐसे में ग्रामीण जैसे तैसे जुगाड़ करके पीने के पानी की व्यवस्था करते है।
लगभग 40 घरों में बोरिंग है। इनमें से 30 बोरिंग से पानी के कनेक्शन के लिए पाइप लगा रखे है
घरों से दे रहे कनेक्शन
वैसे तो यहां करीब 16 सरकारी हैडपम्प है। जिनमें में 3-4 में मोटर लगी हुई है। और लगभग 40 घरों में बोरिंग है। इनमें से 30 बोरिंग से पानी के कनेक्शन के लिए पाइप लगा रखे है। गांव में लगभग 200 परिवार ऐसे है जो बोरिंग से कनेक्शन लेकर पानी का उपयोग करते है। बाकायदा बोरिंग से अलग अलग पाइप लगाकर कनेक्शन किए गए है। इन कनेक्शन के जरिये घरों तक पानी की सप्लाई हो रही है।
पैसा इकठ्ठा करके पानी की मोटर डाली।अपने स्तर पर ही पानी की व्यवस्था की। यहां पानी भरने के कतारें लगती है।
एक बोरिंग से लगभग 5-6 घरों तक पाइप लाइन बिछी हुई है। बोरिंग मालिक पानी की सप्लाई के एवज में हर माह 300 रुपए का शुल्क लेते है। हालांकि कई लोगों को पानी लेने के लिए सरकारी हैडपम्प जाना पड़ता है। वहां पर भीड़ जमा रहती हैं। लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।लोगों की मांग है कि सरकार की ओर से ही पाने की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए तो सबसे बेहतर हैं।
कई लोग दूर दूर से पानी लाते है, कुछ लोग आसपास के लोगों पीने का पानी लेते है
पैसे इकट्ठे करके डाली पानी की मोटर
गणेशगंज में बैरवा बस्ती में 15-20 लोगों ने पैसा इकठ्ठा करके पानी की मोटर डाली।अपने स्तर पर ही पानी की व्यवस्था की। यहां पानी भरने के कतारें लगती है। पूर्व वार्ड पंच अशोक बैरवा का कहना है कि गांव में पानी की टंकी होती तो लोगों को घर-घर नल की सुविधा उपलब्ध होती। फिर मोटर डालने की जरूरत नही पड़ती, कई बार टंकी निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों से भी कहा। लेकिन सब ने झूठे वादे किए, टंकी का निर्माण अभी तक नहीं हो सका।
यहां के लोगों की प्रमुख मांग है कि टंकी का निर्माण हो। ताकि पानी की समस्या से निजात मिल सके
आबादी कम,इसलिए नहीं हो सका टंकी का निर्माण
हमने इसकी पड़ताल के लिए गणेशगंज ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच दुर्गा शंकर मीणा से बात की। दुर्गा शंकर ने बताया कि 2005 में सरपंच रहते समय, यहां की आबादी करीब 3 हजार थी। आबादी कम होने के कारण पानी की टंकी का प्रस्ताव पास नहीं हो सका। यहां पर गरीब परिवार के लोग रहते हैं जो मजबूरन आसपास के लोगों से 300 रुपए महीने में पानी लेकर अपना गुजारा चला रहे हैं। वर्तमान में गांव की आबादी 6 हजार के करीब है,अब पानी की टंकी निर्माण का प्रस्ताव पास होने की उम्मीद है।टंकी निर्माण होने से लोगों के घर-घर कनेक्शन हो जाएंगे और कम रेट में पानी मिल सकेगा।
अब पानी की टंकी निर्माण का प्रस्ताव पास होने की उम्मीद है।टंकी निर्माण होने से लोगों के घर-घर कनेक्शन हो जाएंगे और कम रेट में पानी मिल सकेगा।
शौचालय बनवा दिए पानी की सुविधाएं नहीं
भाजपा इकाई अध्यक्ष छीतर लाल मीणा ने बताया कि सरकार द्वारा भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कार्य तो करवा दिया गया। लेकिन लोगों को पानी की सुविधाएं अभी तक उपलब्ध नहीं हुई, यहां के लोगों की प्रमुख मांग है कि टंकी का निर्माण हो। ताकि पानी की समस्या से निजात मिल सके। कई सरपंचों ने लोगों से वादे किए थे। लेकिन अभी तक टंकी का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। गांव में पेयजल समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।