भारतीय दर्शकों में क्रिकेट और बॉलीवुड दोनों का बराबर क्रेज है। अगर फिल्म क्रिकेट पर हो और उसमें सुपर सितारे भी हों तो ये एक डेडली कॉम्बिनेशन हो सकता है। 1983 के क्रिकेट वर्ल्डकप में लॉर्ड्स मैदान पर भारतीय टीम की ऐतिहासिक जीत पर बनी फिल्म टीम 83 ऐसा ही एक डेडली कॉम्बिनेशन है।
निर्देशक कबीर खान की टीम 83 इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक है। फिल्म के प्रोड्यूसर और इंडस्ट्री के बाकी लोग भी मानते है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस के गेम में चैंपियन साबित हो सकती है, लेकिन इसकी रिलीज डेट को लेकर अभी कोई कन्फर्मेशन नहीं है। फिल्म 2020 में ही बनकर तैयार हो चुकी है, यह पिछले साल ही रिलीज होने वाली थी, पर कोरोना के चलते टल गई।
फिल्म की रिलीज डेट सबसे पहले 10 अप्रैल 2020 तय हुई थी। उसके बाद 15 अगस्त 2020 से 26 जनवरी 2021 तक की कई डेट्स आईं। इस साल फरवरी में ऐलान हुआ कि फिल्म 4 जून 2021 को रिलीज होगी, लेकिन अब ये भी संभव नहीं लग रहा है।
फिल्म 83 के प्रोड्यूसर और आंत्रप्रन्योर विष्णुवर्धन इंदूरी ने एक बातचीत में दैनिक भास्कर से साफ कहा कि फिल्म ओटीटी पर रिलीज नहीं की जाएगी। यह फिल्म देर से थिएटर और मल्टीप्लेक्स में रिलीज करने से फिल्म बिजनेस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि हम लोग ज्यादा बिजनेस की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि दुनिया में जहां भी थिएटर खुले और सुरक्षा का माहौल बना, वहां फिल्मों ने अपेक्षा से ज्यादा बिजनेस किया है।
फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर सफलता की उम्मीद क्यों?
- क्रिकेट के लिए क्रेजी भारत में 1983 की जीत पूरे देश के लिए सबसे बड़ा प्राउड मोमेंट थी।
- 83 में भारत में TV न के बराबर था, रेडियो कमेंटरी से ही लोग मैच अपडेट्स ले पाते थे। ऐसे में 83 के उन पलों का रिक्रिएशन देखने लायक होगा।
- रणवीर और दीपिका टॉप स्टार कपल हैं। इन दोनों को साथ देखना लोग पसंद करते हैं।
- आमतौर पर हिंदी फिल्म की अपील साउथ और नॉर्थ ईस्ट में एक लिमिट में होती है, लेकिन क्रिकेट और वो भी 83 वर्ल्ड कप विजय की कहानी की अपील पूरे भारत में होगी। यह फिल्म हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ में भी रिलीज हो रही है।
फिल्म की डायरेक्ट रिलीज ओटीटी पर क्यों नहीं?
मेकर्स ने पिछले एक साल से इस फिल्म को होल्ड पर रखा है, अब अगर इसे ओटीटी पर रिलीज कर दें तो पिछले पूरे साल का इंतजार बेकार जाएगा। बड़ी कहानी, बड़े सितारे और मल्टीस्टारर फिल्म को देखने का लुत्फ बड़े पर्दे पर ही ज्यादा है।
एक बड़े बजट की फिल्म के लिए थिएटर रिलीज में आमदनी की जितनी गुंजाइश होती है, उतनी डिजिटल रिलीज में नहीं होती।
भारत अभी इतने बड़े बजट की ओटीटी रिलीज के लिए मैच्योर मार्केट नहीं है। पायरेसी का खतरा बहुत है।
फिल्म के डिजिटल स्ट्रीमिंग राइट्स नेटफ्लिक्स खरीद चुका है, लेकिन उसे पहले थिएटर रिलीज का इंतजार करना पड़ेगा।
मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन की ओर से तय हो चुका है कि फिल्म की थिएटर रिलीज और डिजिटल स्ट्रीमिंग के बीच कम से कम चार हफ्ते का गैप होना चाहिए। अगर इससे कम समय में फिल्म ओटीटी पर आती है तो मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन यह फिल्म रिलीज नहीं करेंगे।
इस फिल्म से 300 करोड़ कमाई की उम्मीद
इस फिल्म का बजट 125 करोड़ है। यह फिल्म थिएटर में बड़े पैमाने पर रिलीज की जाए तो कम से कम 300 करोड़ की आमदनी की गुंजाइश रखती है, ऐसा ट्रेड एक्सपर्ट्स बताते हैं।
ट्रेड के लोग मानते हैं कि अगर सही तरह से मार्केटिंग की जाए तो यह फिल्म ओवरसीज में भी बहुत शानदार कमाई कर सकती है, क्योंकि ये क्रिकेट के एक ऐतिहासिक इवेंट पर है। ऐसे में यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देश जहां क्रिकेट पॉपुलर गेम है, वहां इस फिल्म को लोकल दर्शक भी मिल सकते हैं।
शुरुआत में थिएटर खुलेंगे तो भी 100% ऑक्यूपेसी के साथ नहीं खुलेंगे। 50% ऑक्यूपेसी के साथ फिल्म को एक तय आमदनी तक पहुंचने में बहुत देर लग सकती है।
100% ऑक्यूपेसी हो भी जाए तो भी कोरोना के डर से अभी थिएटर हाउसफुल होंगे या नहीं, यह कोई नहीं कह सकता।
सफलता की पहली शर्त, राइटिंग, एक्टिंग और डिजाइन
फिल्म क्रिटिक मयंक शेखर ने भास्कर को बताया कि भाग मिल्खा भाग के बाद हमारे यहां स्पोर्ट्स बायोपिक की दौड़ शुरू हुई, इसलिए एक कॉन्सेप्ट के तौर पर स्पोर्टस फिल्म अब तक बहुत यूज हो चुका सब्जेक्ट है। हर फिल्म की थीम भी एक जैसी ही होती है कि कैसे एक अंडरडॉग खिलाड़ी ने सफलता पाई।
इस तरह की रीयल टाइम स्टोरी पर बनी फिल्म बढ़िया राइटिंग, दमदार परफॉर्मेंस और ओरिजिनल प्रोडक्शन डिजाइन, इन तीनों को मिलाकर वैसे मोमेंट्स रिक्रिएट कर पाएगी, तो ही दर्शकों को अपील करेगी।
83 और दूसरी स्पोर्ट्स आधारित फिल्म में बड़ा फर्क
देश में इससे पहले भी खेल पर आधारित फिल्में बन चुकी हैं। मैरीकॉम, साइना या एमएस धोनीः दी अनटोल्ड स्टोरी जैसी फिल्में और 83 में सबसे बडा फर्क ये है कि वो सारी फिल्में एक इंडिविजुअल स्पोर्ट्स पर्सन की बायोपिक थीं, लेकिन 83 पूरी टीम और खास तौर पर एक स्पोर्ट्स इवेंट पर आधारित है।
फिल्म की तैयारियों के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव और फिल्म में उनकी ही भूमिका निभाने वाले एक्टर रणवीर सिंह।
कास्टिंग में पहली शर्त थी कि एक्टर्स को क्रिकेट आना चाहिए
1983 वर्ल्ड कप की विश्व विजेता भारतीय टीम के सारे खिलाड़ी भारतीय जनता के दिलोदिमाग में बसे हुए हैं। इसलिए इस फिल्म की सबसे बड़ी चुनौती कास्टिंग ही थी। फिल्म में एसोसिएट कास्टिंग डायरेक्टर वैभव विशांत ने भास्कर को बताया कि आमतौर पर कास्टिंग के लिए हमें सिर्फ एक्टिंग का क्राइटेरिया देखना होता है, लेकिन इस फिल्म के लिए यह भी देखा गया कि वो क्रिकेट खेलना जानते हों। जैसे कि संदीप पाटिल की भूमिका कर रहे चिराग पाटिल खुद क्रिकेटर रहे हैं।
बडे स्टार में सिर्फ रणवीर और दीपिका
83 की कहानी पूर्व कप्तान कपिल देव के आसपास घूमती है। ऑलराउंडर कपिल देव को खुद और टीम पर विश्वास था कि भारत क्रिकेट में विश्व विजेता बन सकता है। निर्देशक कबीर खान का मानना है कि पॉपुलर स्टार से फिल्म का मैसेज लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलती है। इसलिए कपिल की भूमिका में रणवीर सिंह को चुना गया है। दीपिका कपिल की पत्नी रोमी की भूमिका में हैं।
चॉकलेटी फेस नहीं चाहिए था
वैभव ने बताया कि ओरिजिनल भारतीय टीम के ज्यादातर क्रिकेटर मध्यमवर्गीय परिवारों से थे। कास्टिंग में भी ख्याल रखा गया कि कोई चॉकलेटी फेस न हो। वह किस प्रदेश के रहने वाले थे, यह भी देखा गया। जैसे मोहिंदर अमरनाथ के लिए साउथ के किसी कलाकार को कास्ट नहीं किया जा सकता था।
कपिल की बेटी असिस्टेंट डायरेक्टर
इस फिल्म की खास बात यह है कि कपिल देव की बेटी अमिया देव इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही हैं। अमिया फिलहाल 25 साल की हैं। भारत ने वर्ल्ड कप जीता, इसके 13 साल बाद अमिया का जन्म हुआ था।
मैल्कम मार्शल के किरदार में उनका बेटा
1983 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत वेस्टइंडीज के सामने 43 रन से जीता था। इस मैच में वेस्टइंडीज की ओर से मैल्कम मार्शल ने दो विकेट लिए थे। फिल्म में मैल्कम मार्शल का किरदार उनके ही बेटे माली मार्शल निभा रहे हैं।
रणवीर और दीपिका बाकायदा कपिल के घर रुके
फिल्म में सबसे अहम किरदार कपिल का है इसलिए रणवीर सिंह और दीपिका बाकायदा कुछ दिनों तक कपिल के घर रहे और उनकी बातचीत, हंसने-बोलने के तौर-तरीके और सब कुछ सीखा।
कीर्ति बोले -शूटिंग के वक्त अक्सर फोन आ जाता था
क्रिकेटर से नेता बने कीर्ति आजाद ने भास्कर को बताया कि उनकी भूमिका निभा रहे दिनकर शर्मा ने उनके साथ 20 दिन तक रोजाना 3-3 घंटे के सेशन किए। मेरे बोलने, हंसने, गुस्सा करने, खाने-पीने के तमाम तरीके न केवल सीखे, बल्कि उन्हें रिकॉर्ड भी किया। इसके अलावा सीन फिल्माते हुए जहां क्रू को दिक्कत आई, वहां उन्होंने मुझे फोन किया।
आजाद का कहना है कि हालांकि 1983 को एक अरसा हो चुका है, अब वैसा चलना, हंसना और गुस्सा करना नहीं होता है, सब बदल जाता है, लेकिन शेर की धारियां तो वैसी ही रहती हैं, वह कभी नहीं बदलतीं। इतने सालों बाद भी सारे क्रिकेटर्स अपने किरदार कर रहे एक्टर्स को ट्रेनिंग दे पाए।
धर्मशाला में ओरिजिनल टीम मेंबर्स ने दी ट्रेनिंग
सभी कलाकारों ने मुंबई और धर्मशाला के एचपीसीए क्रिकेट के मैदान में कड़ी प्रैक्टिस की है। धर्मशाला में खुद कपिल देव, बलविंदर संधू, यशपाल शर्मा और मोहिंदर अमरनाथ ने फिल्म एक्टर्स को ट्रेनिंग दी।
एचपीसीए (धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम) के मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने भास्कर को बताया कि तीन साल पहले फिल्म 83 के कलाकार और 83 विश्वकप टीम के खिलाड़ी धर्मशाला स्टेडियम में आए थे। सब लोग लगभग 2 हफ्ते तक यहां रहे थे।
खुद खिलाड़ियों से ट्रेनिंग लेने के अलावा पुराने वीडियो देखकर तमाम खिलाड़ियों के एक्शन और हाव-भाव सीखे। खिलाड़ियों से निजी ट्रेनिंग के दौरान वीडियोग्राफी भी की गई, ताकि बाद में कलाकार उसे देख सकें।
फिल्म 83 में भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य बने एक्टर रणवीर सिंह और अन्य एक्टर्स।
पहली बार लॉर्ड्स में इतना लंबा शूट
फिल्म प्रोड्यूसर विष्णुवर्धन इंदूरी का कहना है कि 83 पहली फिल्म है, जिसकी शूटिंग लॉर्ड्स स्टेडियम, इंग्लैंड में हुई है। फिल्म का 70 फीसदी शूट यूके में हुआ है। फिल्म के ज्यादातर क्रू मेंबर्स भी वहीं के हैं।
80 के दशक के कपड़े-जूते खरीदे
उस जमाने को हू-ब-हू स्क्रीन पर उतारने के लिए काफी मेहनत की गई है। कीर्ति आजाद ने बातचीत में बताया कि फिल्म क्रू ने खिलाड़ियों से उनकी पसंद की घड़ी, जूते, कपड़े, पसंदीदा ब्रांड संबंधी लंबी लिस्ट तैयार की। बाकायदा उसी तरह की चीजें खरीदी गईं या डिजाइन की गईं। उसमें से जो सामान खिलाड़ियों के घर पर है, उसे देखा गया, उसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई।
दो साल रिसर्च: ताकि वास्तविकता से खिलवाड़ न हो
प्रोड्यूसर इंदूरी के मुताबिक फिल्म की संजीदगी, फैक्ट्स और ओरिजिनैलिटी के साथ कोई खिलवाड़ न हो, इसके लिए हमने बोर्ड में क्रिकेट कंसलटेंट हायर किए। हमारी टीम ने कई महीनों तक क्रिकेट आर्काइव खंगाले। कबीर खान की टीम ने हर खिलाड़ी से जाकर मुलाकात की। इस फिल्म के रिसर्च वर्क में पूरे दो साल लगे।
दीपिका पादुकोण फिल्म की प्रोड्यूसर भी
फिल्म 83 के एक मुख्य प्रोड्यूसर विष्णुवर्धन इंदूरी इससे पहले भी दो बायोपिक प्रोड्यूस कर चुके हैं। जूनियर एनटीआर और थलाइवी। हालांकि थलाइवी अभी तक रिलीज नहीं हुई है। इंदूरी इस तरह के प्रोड्यूसर और आंत्रप्रन्योर हैं, जिनसे फिल्म इंडस्ट्री में हर कोई दोस्ती रखना चाहता है। 83 के दूसरे प्रोड्यूसर्स में खुद दीपिका पादुकोण भी हैं और इंडस्ट्री के बड़े प्रोड्यूसर साजिद नडियावाला भी। ये प्रोड्यूसर्स इस फिल्म की रिलीज के लिए लंबे समय तक इंतजार कर सकते हैं।
नेशनल अवॉर्ड विनर कबीर खान 83 के निर्देशक
कबीर खान लेखक, निर्देशक और सिनेमेटोग्राफर हैं। वे बियॉन्ड दि हिमालयाज डॉक्यूमेंट्री की सिनेमेटोग्राफी के लिए जाने जाते हैं।
कबीर खान के निर्देशन में बनी वेब सीरीज द फॉरगॉटन आर्मी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी पर आधारित थी। इस सीरीज में कबीर खान ने द्वितीय विश्व युद्ध के पलों को हू-ब-हू जीवंत किया है। इसलिए उम्मीद है कि वह 83 में ओरिजिनैलिटी बनाए रखेंगे। वर्ष 2006 में उन्होंने फिल्म काबुल एक्सप्रेस के निर्देशन के साथ मेनस्ट्रीम सिनेमा में कदम रखा।
2009 में न्यूयॉर्क और एक था टाइगर की सफलता ने उन्हें कॉमर्शियल सिनेमा में सफल निर्देशक के तौर पर स्थापित किया। हालांकि फैंटम और ट्यूबलाइट उनकी औसत फिल्में मानी जाती हैं।
कबीर खान के निर्देशन में बनी बजरंगी भाईजान ने कमाई और सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। साथ में पॉपुलर कैटेगरी में बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।