नई दिल्लीः सिस्टम की चूक कई बार इंसान पर कितनी भारी पड़ जाती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एमपी के अशोक नगर जिले में एक युवक अपने जिंदा होने के सबूत लेकर बीते दो माह से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है लेकिन अभी तक उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई है. दरअसल सरकारी कागजों में युवक को 2019 में मृत घोषित कर दिया गया. अब वह राशन व अन्य सरकारी सुविधाएं पाने के लिए अपने जिंदा होने के सबूत लिए भटक रहा है.
क्या है मामला
मामला एमपी के अशोकनगर जिले की चंदेरी तहसील का है. यहां रहने वाला 24 वर्षीय युवक शिवकुमार अहिरवार इन दिनों अजब परेशानी से जूझ रहा है. दरअसल दिहाड़ी मजदूरी करने वाले शिवकुमार ने साल 2018 में राज्य सरकार की योजना 'मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना' के तहत अपना पंजीकरण कराया था. इस योजना के तहत लाभार्थियों को राशन वितरण, स्वास्थ्य लाभ और मौत के बाद परिजनों को आर्थिक सहायता मिलती है.
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, योजना में पंजीकृत होने के बाद शिवकुमार को अपने बेटे के जन्म के बाद सरकार की तरफ से 18 हजार रुपए की आर्थिक मदद मिली. लेकिन जब इस साल उसकी बेटी का जन्म हुआ और वह सरकार की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद लेने मार्च में ब्लॉक ऑफिस पहुंचा तो उसे बताया गया कि आधिकारिक तौर पर सरकारी कागजों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है!
किसी अधिकारी ने नहीं की सुनवाई
शिवकुमार का कहना है कि उसे सरकारी कागजों में 2019 में ही मृत घोषित कर दिया गया है. अब वह अधिकारियों को बताने की कोशिश कर रहा है कि वह जिंदा है, लेकिन कोई उसकी बात नहीं सुन रहा है. वह सबूत के तौर पर गांव के सरपंच द्वारा जारी किया गया पत्र भी साथ लिए हुए हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सरकारी कागजों में इस संबंधी कोई भी बदलाव प्रशासन के शीर्ष स्तर पर होगा. उसके बाद ही उसे सरकारी योजना का लाभ मिल सकेगा.
सिस्टम की गलती का भुगत रहा खामियाजा
रिपोर्ट के अनुसार, चंदेरी तहसील के एसडीएम का कहना है कि साल 2019 में योजना के लाभार्थियों का फिजिकल वेरिफिकेशन हुआ, उस वक्त क्लर्क की गलती के चलते रिकॉर्ड में शिवकुमार का नाम मृत के तौर पर दर्ज हो गया. वहीं अशोक नगर के कलेक्टर अभय वर्मा का कहना है कि गलती को सुधारा जा रहा है और अगले एक हफ्ते में इसे ठीक कर लिया जाएगा. जिसके बाद शिवकुमार को सरकारी योजना के लाभ दे दिए जाएंगे