इस बार सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, सौम्य और शिवयोग में बुधवार को वैशाख पूर्णिमा पर्व मनाया जा रहा है। इसे पीपल व बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। आज पूर्णिमा तिथि शाम 04:40 तक रहेगी। पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा पर पीपल का पेड़ लगाने से हर तरह के दोष दूर होते हैं और कई यज्ञ करने जितना पुण्य भी मिलता है।
घर पर ही स्नान और दान का संकल्प
हर साल इस दिन शादी, गृह प्रवेश, मुंडन और मांगलिक काम किए जाते हैं, लेकिन ये दूसरा साल है जब कोरोना महामारी के चलते इन सब शुभ कामों पर रोक लगी हुई है। इसलिए इस दिन सनातन धर्म को मानने वाले लोग भगवान विष्णु की पूजा करेंगे। घर पर ही पानी में तीर्थ का जल मिलाकर नहाएंगे और दान का संकल्प लेकर दान करने वाली चीजों को अलग रखेंगे जब हालात ठीक होंगे तब दान किया जाएगा। आज बुद्ध पूर्णिमा भी होने से बौद्ध विहारों में भगवान बुद्ध की आराधना की जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा को स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान
काशी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना हैं कि वैशाख महीने की पूर्णिमा पर पीपल की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए इसे पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है। पीपल की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितर भी संतुष्ट हो जाते हैं। ज्योतिर्विज्ञान के प्रमुख आचार्य वराहमिहिर ने भी अपने ग्रंथों में बताया है कि वैशाख महीने की पूर्णिमा पर पीपल पेड़ लगाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बृहस्पति ग्रह का अशुभ फल भी कम होने लगता है।
डॉ. मिश्र ने बताया कि मान्यताएं हैं कि वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल पर देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। इस कारण इसकी पूजा करनी बहुत लाभदायक होता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा करने से कुंडली में शनि, गुरु समेत अन्य ग्रह भी शुभ फल देते हैं।
पीपल में देवताओं का वास
ग्रंथों में बतााया है कि पीपल ही एक ऐसा पेड़ है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी, तीनों देवताओं का वास होता है। सुबह जल्दी इस पेड़ पर जल चढ़ाने, पूजा करने और दीपक लगाने से तीनों देवताओं की कृपा मिलती है। पीपल के पेड़ पर पानी में दूध और काले तिल मिलाकर चढ़ाने से पितर संतुष्ट होते हैं। इस पेड़ पर सुबह पितरों का भी वास होता है। फिर दोपहर बाद इस पेड़ पर दूसरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है।