छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान सागर की हत्या मामले में आरोपी सुशील कुमार को 6 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। उन पर अब कई गैंगस्टर से कनेक्शन के आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली और गुड़गांव में जमीन पर कब्जा और वसूली करने में सुशील समेत कई पहलवान और गैंगस्टर्स मिलकर काम करते थे।
सुशील की सुंदर भाटी, नीरज बावनिया और जठेड़ी समेत कई गैंगस्टर्स से दोस्ती की भी खबरें सामने आ रही हैं। यह भी बताया जा रहा है कि सुशील ने स्टेडियम में सागर और उनके जिन साथियों को पीटा था, उसमें सोनू नाम का भी एक व्यक्ति था। सोनू चर्चित गैंगस्टर काला जठेड़ी का भांजा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुशील जेल में बंद पूर्व विधायक रामबीर शौकीन के जरिये गैंगस्टर के कथित संपर्क में आए।
ऐसा क्या हुआ कि 2 ओलिंपिक मेडल, कॉमनवेल्थ गेम्स में 3 गोल्ड जीत चुके और सरकारी नौकरी कर रहे सुशील को गैंगस्टर वाले धंधे में उतरना पड़ा? 2019 के बाद से वे इंटरनेशनल रेसलिंग से भी दूर हो गए। उनकी किस्मत इतनी फूटी कि जिस रेसलिंग से उन्होंने नाम कमाया, उसी वर्ल्ड रेसलिंग डे के दिन उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ऐसा क्या हुआ कि ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद शान से तिरंगा लहराने वाले पहलवान को अब तौलिए से मुंह छिपाना पड़ रहा है? हम आपको सुशील के अर्श से फर्श पर आने तक की पूरी कहानी बताते हैं...
2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल के साथ सुशील।
2009 में सुशील को खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया
सुशील ने 14 साल की उम्र में पहलवान यशवीर और रामफल के मार्गदर्शन में छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू की। इसके बाद महाबली सतपाल ने उनका खेल संवारा। 2008 बीजिंग ओलिंपिक में सुशील ने कुश्ती में भारत के 52 साल के सूखे को खत्म किया। सुशील ने इसमें ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इससे पहले 1952 में केडी जाधव ने मेडल जीता था। इसके बाद लंदन ओलिंपिक में भी सुशील ने सिल्वर मेडल जीता। 2009 में सुशील को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड और 2006 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।
2012 से दूसरे पहलवानों से रिश्ते खराब होने शुरू हुए
2012 लंदन ओलिंपिक के बाद से उनके दूसरे पहलवानों से रिश्ते खराब हुए। एक समय में सुशील के खास दोस्त माने जाने वाले योगेश्वर दत्त और बजरंग पूनिया ने उनसे दूरी बना ली। इसके साथ ही छत्रसाल स्टेडियम तक छोड़ दिया। वहीं, जीतेंद्र और प्रवीण समेत कई पहलवानों ने उनसे बात करना बंद कर दिया। एक समय सुशील के कोच रहे रामफल और वीरेंद्र सिंह ने भी छत्रसाल स्टेडियम छोड़ दिया।
2012 लंदन ओलिंपिक में सिल्वर मेडल के साथ सुशील।
2016 के बाद से गैंगस्टर्स से कथित दोस्ती बढ़ी
बताया जा रहा है कि 2016 ओलिंपिक के बाद से ही सुशील की गैंगस्टर्स के साथ दोस्ती बढ़ गई थी। उन्होंने प्रोफेशनल ट्रेनिंग कम और वसूली के कामों में ध्यान देना शुरू कर दिया था। आरोप है कि सुशील विवादित जगहों को खरीदते थे। छत्रसाल स्टेडियम में पूरी दबंगई थी। दिल्ली के अधिकतर टोल ठेकों में गठजोड़ है। सुशील कई गैंगस्टर के साथ कथित संपर्क में थे।
रेसलिंग से दूर रहे, रियो ओलिंपिक नहीं जा पाए
सुशील ने दिल्ली और गाजियाबाद के बॉर्डर पर टोल टैक्स वसूलने का ठेका दिल्ली नगर निगम से लिया था। सुशील पर आरोप था कि उन्होंने यहां पर टोल वसूलने का जिम्मा गैंगस्टर सुंदर भाटी को सौंपा था। इन सबके बीच में रेसलिंग पर कम ध्यान देने की वजह से ही उन्हें 2016 रियो ओलिंपिक में कोटा नहीं मिला।
2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप के पहले ही राउंड में अजरबैजान के खाजीमुराद से हारकर बाहर हुए थे सुशील।
जेल में बंद विधायक के जरिए गैंगस्टर के संपर्क में आए सुशील
बताया जाता है कि इसके बाद सुशील को बंदूक रखने का भी शौक चढ़ा। सूत्रों के मुताबिक सुशील जेल में बंद पूर्व विधायक रामबीर शौकीन के जरिये कुख्यात गैंगस्टर नीरज बावनिया के संपर्क में आए। शौकीन नीरज बावनिया के मामा हैं। वहीं, शौकीन के जरिए ही सुशील बहादुरगढ़ के गैंगस्टर राजीव उर्फ काला असौदा के संपर्क में आए थे। काला को 2017 में झज्जर कोर्ट के बाहर नीतू-दाबोदिया-अशोक प्रधान गैंग के शॉर्प शूटर ने मार गिराया था।
कुछ समय पहले जठेड़ी और उसके गैंग से बढ़ी दोस्ती
कुछ समय पहले वह काला जठेड़ी के संपर्क में आए थे। काला जठेड़ी 2 फरवरी 2020 को फरीदाबाद कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सुशील ने काला जठेड़ी के लिए मुंडका में सेटलमेंट का काम कराया था। बताया जा रहा है कि जठेड़ी फिलहाल दुबई में है।
2009 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने सुशील राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा था।
झड़प में घायल हुआ सोनू, जठेड़ी का भांजा है
सुशील जिस सागर की हत्या मामले में आरोपी हैं, उसके साथ मौजूद सोनू जठेड़ी का भांजा है। बताया जा रहा है कि सागर की हत्या से ज्यादा बवाल सोनू पर हाथ उठाने को लेकर हुआ है। जठेड़ी सोनू को बैटे जैसा मानता है। सूत्रों के मुताबिक सुशील को सागर की हत्या का कोई अफसोस नहीं है। वह चाहता है कि जठेड़ी उसे माफ कर दे। वह चाहता है कि पुलिस उसे जेल में मौजूद जठेड़ी के गैंग के सदस्यों से बचा ले।
जिस फ्लैट के लिए बवाल हुआ, उसकी यह कहानी...
दिल्ली मॉडल टाउन में मौजूद जिस फ्लैट को लेकर यह सारा बवाल हुआ है, उसके पीछे भी गैंगस्टर्स का ही हाथ बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस घर में कई क्रिमिनल्स को पनाह दी गई। इसमें जठेड़ी, लॉरेंस और बिश्नोई गैंग के सदस्य शामिल हैं। पिछले कुछ दिनों से सुशील के नीरज बावनिया और नवीन बाली जैसे गैंगस्टर्स के संपर्क में आने से जठेड़ी गैंग नाराज था।
सुशील को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए ले जाती पुलिस। उन्हें 6 दिन की पुलिस कस्टडी मिली है।
फ्लैट नहीं छोड़ने पर सागर और सोनू को चुनौती दी
सूत्रों के मुताबिक इसी कड़ी में जठेड़ी ने सुशील से मॉडल टाउन में मौजूद फ्लैट बेचने के लिए कहा। इस पर सुशील ने फ्लैट में रह रहे सागर और सोनू समेत कई लोगों को खाली करने के लिए कह दिया। इसने जठेड़ी गैंग को नाराज कर दिया। सुशील को जब पता चला, तो उन्होंने सागर और सोनू को मिलने के लिए कहा।
वीडियो बनाकर जठेड़ी गैंग को अल्टीमेटम दिया
सोनू को लगा था की जठेड़ी के मामले में होने की वजह से सुशील कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे। पर बावनिया और बाकी गैंगस्टर्स के सपोर्ट से सुशील ने छत्रसाल स्टेडियम के बेसमेंट में इनकी पिटाई की और वीडियो भी बनाया, ताकि वे जठेड़ी गैंग को अल्टिमेटम दे सकें कि उनसे पंगा नहीं लिया जाए। सूत्रों के मुताबिक अब जठेड़ी गैंग सुशील से इसका बदला भी लेना चाहता है।
दिल्ली का छत्रसाल स्टेडियम।
गुंडागर्दी और वसूली में रेसलर्स की कैसे हुई एंट्री?
रिटायर्ड पुलिस अफसर अशोक चंद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पहलवानों को इस्तेमाल राजनेताओं और वसूली करने वाले लोगों के द्वारा किया जाता रहा है। कई मामलों में इन पर हत्या और किडनैपिंग जैसे आरोप भी लगे। रिपोर्ट के मुताबिक इसके कई उदाहरण भी हैं।
कई पहलवानों पर वसूली और हत्या के केस दर्ज
दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब के बाहर उमर खालिद पर गोली चलाने वाला व्यक्ति नवीन दलाल, हरियाणा के मंडोथी गांव का पूराना पहलवान था। हत्या के आरोपी हरियाणा के राकेश मलिक भी पेशे से पहलवान हैं। इसी साल एक रेसलिंग कोच ने 5 स्पोर्ट्सपर्सन की हत्या कर दी थी। उस कोच पर एक महिला रेसलर ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था।
अखाड़े में प्रैक्टिस करते सुशील कुमार।
90 के दशक से पहलवानों और माफियाओं का कनेक्शन
सीनियर क्राइम रिपोर्टर इंदर वशीष्ठ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि छत्रसाल स्टेडियम सिर्फ एक रेसलिंग हब नहीं है, बल्कि क्रिमिनल्स का ठिकाना भी रहा है। 90 की दशक में दिल्ली पुलिस वसूली के मामले को लेकर एक माफिया की तलाश कर रही थी।
इंदर ने बताया कि तहकीकात के दौरान पुलिस को पता चला कि वह माफिया छत्रसाल स्टेडियम में दिग्गज पहलवान सतपाल के बगल में खड़े होकर अवॉर्ड बांट रहा था। पिछले कुछ दशकों से इस स्टेडियम में कई बदमाशों को रिफ्यूजी के तौर पर स्टेडियम में पनाह दी गई। सतपाल और सुशील दोनों एक रेसलर होने के साथ-साथ सरकारी अधिकारी भी रहे हैं।