अलवर। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। अलवर के किशनगढ़बास में आदर्श कॉलोनी निवासी व CBEO कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी विजेन्द्र कुमार शर्मा को भी इस बीमारी के दर्द से गुजरना पड़ा। उन्हें नवंबर 2020 में कोरोना हुआ था। न इम्यूनिटी कमजोर थी न शुगर ज्यादा थी, लेकिन कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड देने के बाद शुगर बढ़ गई। कोरोना से तो ठीक हो गए, लेकिन घर आने के बाद तबीयत बिगड़ती चली गई। पहले फरीदाबाद में इलाज कराया। फिर सर गंगागाराम हॉस्पिटल में जाना पड़ा। फंगस इतना बढ़ गया था कि दांत, जबड़ा सहित पूरा तलवा ही निकालना पड़ गया। जो ब्लैक फंगस के इलाज के 6 माह बाद भी खाना खाने लायक नहीं हुए हैं। जब कभी जबड़ा चढ़ेगा तब खाना खा सकेंगे।
विजेन्द्र कुमार का कहना है कि यह बीमारी भयंकर है। इससे बचकर रहना। कोरोना को हल्के में नहीं लेना। मुझे भी कोरोना से ठीक होने के बाद ही ब्लैक फंगस हुआ था। करीब 7 लाख रुपए तो केवल दवाओं पर खर्च हो चुके हैं। अस्पतालों का शुल्क अलग है। अभी कृत्रिम तलवा लगा हुआ है।
प्रधानाध्यापक नन्दकुमार शर्मा के 10 दांत निकाले। वो एक साइड से खाना खाते हैं।
प्रधानाध्यापक के 10 दांत निकाले, एक साइड से खाना
अलवर शहर के बुध विहार निवासी व राजकीय माध्यमिक विद्यालय जाजोर के प्रधानाध्याक नन्दकुमार शर्मा को भी अक्टूबर 2020 में ही कोरोना हुआ था। उन्होंने बताया कि पहले अलवर में इलाज कराया। शुभम अस्पताल में भर्ती हुआ। वहां से जयपुर के राजस्थान हॉस्पिटल जाना पड़ा। जयपुर में स्टेरॉइड व रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए। इसके बाद ठीक होकर घर आ गया। यहां आने के बाद मुझे दर्द होने लग गया। इसके बाद न्यूरोसर्जन से इलाज लिया। फिर भी ठीक नहीं हुआ तो विनायक अस्पताल पहुंचा तो वहां फंगस बताया गया। इसके बाद इलाज के लिए जयपुर के मित्तल हॉस्पिटल पहुंचा। वहां डॉक्टर ने कहा कि ब्लैक फंगस है। दांत निकालने पड़ेंगे। वहां मेरे 10 दांत निकाल दिए गए, फिर डॉक्टर ने कहा फंगस निकाल दिया है। तभी से मैं एक तरफ से ही खाना खा पाता हूं। इलाज में लाखों रुपए खर्च हो गए। परिवार के लोगों की परेशानी पूछिए मत।
ब्लैक फंगस पहली लहर से
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के केस अधिक सामने आए हैं। अकेले अलवर शहर में ये दो बड़े उदाहरण सामने हैं कि ब्लैक फंगस कोरोना के साथ-साथ ही चल रहा है। अलवर जिले में कोरोना का पहला मरीज मार्च 2020 में आया था। अक्टूबर व नवम्बर में कोरोना की बड़ी लहर थी। उसी समय बड़ी संख्या में मरीज सामने आए। उनमें से ये दो ब्लैक फंगस के केस सामने हैं। जबकि पूरे जिले में सर्वे किया जाएगा तो ब्लैक फंगस के केस काफी अधिक हो सकते हैं। जिनको कोरोना की पहली लहर में ब्लैक फंगस ने घेर लिया था। दवा कम्पनी के डिस्ट्रीब्यूटर नगेन्द्र सिंह ने बताया कि ब्लैक फंगस के केस कोरोना की पहली लहर में भी सामने आए थे। अधिकतर मरीज जयपुर व दिल्ली इलाज कराने गए। प्रशासन व सरकारों की मॉनिटरिंग कमजोर रही। इस कारण इस तरह के केस पहले सामने नहीं आ सके।